Residential areas : बाढ़ से सांप बिलों से निकल रिहायशी इलाकों में घुस रहे, रामपुर-दिया में दहशत

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में आई बाढ़ ने जहां जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है, वहीं अब एक नया खतरा ग्रामीणों के सामने आ खड़ा हुआ है। पानी के लगातार बढ़ते स्तर और चौतरफा जलभराव के कारण अब जीव-जंतु जैसे सांप अपने बिलों से निकलकर रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं। ये सांप सूखे स्थानों की तलाश में घरों, आंगनों और खेतों तक पहुंचने लगे हैं, जिससे स्थानीय लोगों के बीच डर का माहौल बना हुआ है। रामपुर और दिया गांव की ताजा तस्वीरें और घटनाएं इस खतरे को साफ तौर पर बयां कर रही हैं।
चंदौली जिले के इन गांवों में बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश के चलते गंगा और उसकी सहायक नदियां उफान पर हैं। गांवों के चारों ओर फैले खेत-खलिहान और सड़कें पानी में डूब चुकी हैं। जिन रास्तों से ग्रामीण अपने दैनिक कार्यों के लिए आते-जाते थे, वहां अब नावें चल रही हैं। ऐसे में जमीन के नीचे रहने वाले जीव-जंतु, खासकर जहरीले सांप, अपने प्राकृतिक बिलों से बाहर निकलकर सूखी जगहों की तलाश में इंसानों के बीच पहुंच रहे हैं।
रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं जहरीले सांप
रामपुर और दिया गांव में पिछले दो दिनों के भीतर दर्जनों घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जहां लोगों ने अपने घरों या आसपास के इलाकों में सांपों को देखा है। कई ग्रामीणों ने बताया कि सांप कभी रसोई में, कभी खाट के नीचे, तो कभी दरवाजों के पास देखे जा रहे हैं। कुछ जगहों पर सांपों को मारने की भी नौबत आई, जबकि कई स्थानों पर वे खुद ही किसी छेद या गड्ढे में चले गए।
ग्रामीण शैलेश कुमार ने बताया कि बीते दिन जब वह सुबह अपने आंगन में निकले, तो एक सांप खाट के नीचे बैठा था। जैसे ही उसने हलचल की आवाज सुनी, वह तेजी से बाहर निकल गया। शैलेश ने बताया कि इससे पहले उन्होंने अपने जीवन में कभी इतनी संख्या में सांपों को एक साथ नहीं देखा। उन्होंने कहा कि “बाढ़ का पानी हमारे लिए तो परेशानी था ही, अब ये सांप और बढ़ी हुई मुसीबत बन गए हैं।”
छोटे बच्चों और महिलाओं में डर
गांव के लोग पहले ही पानी से घिरे हुए हैं, ऊपर से अब जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा बच्चों और महिलाओं के लिए और गंभीर हो गया है। महिलाएं अब घर के कामकाज करते समय बेहद सतर्कता बरत रही हैं, खासकर जब वे रसोई, बाथरूम या कोनों में जाती हैं। बच्चों को घरों के अंदर रहने की हिदायत दी जा रही है क्योंकि एक लापरवाही गंभीर परिणाम ला सकती है।
दिया गांव की एक महिला, सरोज देवी, ने बताया कि उन्होंने अपने रसोई घर के पास एक काले रंग का बड़ा सांप देखा था। “हम डर के मारे घंटों तक बाहर नहीं निकले। बच्चों को पास के रिश्तेदारों के यहां भेज दिया है। जब तक पानी नहीं उतरता, तब तक चैन नहीं है।”
प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था की मांग
गांव के लोगों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू टीम के साथ-साथ वन विभाग की टीमों को भी तैनात किया जाए ताकि जहरीले सांपों और अन्य जीव-जंतुओं से लोगों को सुरक्षित रखा जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में न तो पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं हैं और न ही एंटी-स्नेक वेनम (सांप के काटने का इलाज) उपलब्ध है। ऐसे में अगर किसी को सांप काट ले, तो उसका तत्काल इलाज मुश्किल हो सकता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, बारिश और बाढ़ के समय सांपों के बिल पानी से भर जाते हैं, जिससे वे सूखे और सुरक्षित स्थानों की तलाश में बाहर निकलते हैं। जब चारों ओर पानी होता है, तो उनके पास एकमात्र विकल्प ऊंची और सूखी जगहों की ओर जाना होता है। ऐसे में रिहायशी क्षेत्र, जहां लोग रहते हैं और घर बने होते हैं, सबसे उपयुक्त विकल्प बन जाते हैं।
विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि ऐसे समय में लोगों को अत्यधिक सतर्क रहने की जरूरत है। घर के कोनों, कपड़े के ढेर, बिस्तरों और बाथरूम जैसी जगहों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। रात में टॉर्च का उपयोग करें, खुले में न सोएं, और पैरों में चप्पल पहनकर ही चलें। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन को गांवों में जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग किसी भी आपात स्थिति में सही कदम उठा सकें।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
फिलहाल, प्रशासन द्वारा बाढ़ राहत कार्य तो चलाया जा रहा है लेकिन वन्यजीवों से सुरक्षा की दिशा में अभी कोई विशेष कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, तहसील प्रशासन ने ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से लिया है और कहा है कि वन विभाग से संपर्क कर विशेष टीम भेजने की तैयारी की जा रही है।
चंदौली जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में ये स्थिति तेजी से गंभीर हो रही है। पानी से घिरे गांवों में लोगों को एक और नए संकट का सामना करना पड़ रहा है। जहां एक ओर राहत सामग्री और सुरक्षित स्थानों की आवश्यकता है, वहीं दूसरी ओर सांप जैसे खतरनाक जीवों से सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रही है।
जब तक बाढ़ का पानी नहीं उतरता, तब तक ग्रामीणों को पूरी सतर्कता के साथ जीवन यापन करना होगा। प्रशासन और आम जनता को मिलकर इस संकट से निपटने के लिए तैयार रहना होगा, क्योंकि यह सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि एक बहुस्तरीय चुनौती बन चुकी है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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