Reviews on conservation : जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र की अध्यक्षता में वृक्षारोपण, जियो टैगिंग और संरक्षण पर समीक्षा

जिला वृक्षारोपण समिति, पर्यावरण समिति और गंगा समिति की संयुक्त बैठक का आयोजन
- जौनपुर कलेक्ट्रेट सभागार में जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र की अध्यक्षता में जिला वृक्षारोपण समिति, जिला पर्यावरण समिति एवं जिला गंगा समिति की एक संयुक्त समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का उद्देश्य वर्ष 2025-26 के वृक्षारोपण कार्यक्रम की समीक्षा, पूर्व में किए गए पौधारोपण की प्रगति, जियो टैगिंग की स्थिति तथा संबंधित विभागों के कार्यों का समन्वय था। बैठक में पर्यावरण संरक्षण से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर गहन चर्चा की गई और अधिकारियों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए। बैठक की शुरुआत में जिलाधिकारी ने बताया कि सरकार की प्राथमिकता में शामिल वृक्षारोपण कार्यक्रम को धरातल पर प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि वृक्षारोपण केवल औपचारिकता न होकर भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वातावरण और हरियाली छोड़ने का एक जिम्मेदार प्रयास है। इसी उद्देश्य से हर रोपित पौधे की जियो टैगिंग अनिवार्य की गई है, ताकि उसकी निगरानी, देखभाल और प्रगति की पुष्टि हो सके।
पौधरोपण के बाद सात दिन में अनिवार्य हो जियो टैगिंग
- जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने वर्ष 2025-26 में विभिन्न विभागों द्वारा किए गए पौधरोपण की समीक्षा करते हुए जियो टैगिंग की प्रगति पर विशेष रूप से बल दिया। उन्होंने कहा कि सभी विभाग यह सुनिश्चित करें कि वृक्षारोपण के एक सप्ताह के भीतर उसकी जियो टैगिंग पूरी हो जाए। जो विभाग जियो टैगिंग में पीछे हैं, उन्हें आवश्यक संसाधन और तकनीकी सहयोग लेकर कार्य में तेजी लानी चाहिए। जियो टैगिंग से न केवल रोपित पौधे की संख्या का रिकॉर्ड तैयार होता है, बल्कि उसकी वास्तविक स्थिति, स्थान और जीवित रहने की स्थिति का भी आकलन किया जा सकता है। जिलाधिकारी ने कहा कि यदि किसी विभाग में जियो टैगिंग की प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई तो उसकी जवाबदेही तय की जाएगी। उन्होंने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रोपण स्थलों की फोटोग्राफी और स्थल निरीक्षण की रिपोर्ट भी समय से प्रस्तुत करें।
पौधों की सुरक्षा, सिंचाई और सीमांकन पर विशेष दिशा-निर्देश
- बैठक में पौधों की सुरक्षा और रखरखाव को लेकर भी विशेष चर्चा की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि केवल पौधे लगाना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि उनकी नियमित देखभाल, सिंचाई और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी सुनिश्चित होनी चाहिए। इसके लिए संबंधित विभागों को “कंप्रिहेंसिव प्रोटेक्शन प्लान” (Comprehensive Protection Plan) बनाकर कार्य करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रत्येक पौधरोपण स्थल की घेराबंदी, पानी की उपलब्धता, मल्चिंग, पौधों की निगरानी और पशुओं से सुरक्षा जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि ग्राम पंचायतों, स्कूलों, और स्वयंसेवी संगठनों को भी इस कार्य में सम्मिलित कर सामूहिक प्रयास किए जाएं, जिससे सामाजिक भागीदारी बढ़े और वृक्षों की देखभाल सुनिश्चित हो सके। इसके अतिरिक्त, जिलाधिकारी ने जनपद की आर्द्रभूमियों (Wetlands) के सीमांकन की प्रक्रिया को शीघ्र पूर्ण कराने के लिए समिति गठन के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि ऐसे संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्रों की पहचान और संरक्षण आवश्यक है, जो जलवायु संतुलन बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समिति द्वारा किए गए सीमांकन के बाद इन स्थलों को संरक्षित करने की कार्रवाई तेज की जाएगी।
अधिकारियों की सक्रिय भागीदारी और जनसहयोग से ही संभव होगा पर्यावरण संरक्षण
- इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्य विकास अधिकारी श्री ध्रुव खाड़िया, प्रभागीय वन अधिकारी (DFO) प्रोमिला सहित अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, अधिशासी अभियंता, जिला पंचायत राज अधिकारी, जिला गंगा समिति के प्रतिनिधि, नगर निकायों के अधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, कृषि, उद्यान, ग्राम्य विकास, जल निगम, वन विभाग, जल शक्ति विभाग समेत कई विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।जिलाधिकारी ने बैठक के अंत में कहा कि पर्यावरण संरक्षण आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और यह कार्य केवल प्रशासनिक स्तर पर नहीं बल्कि जनभागीदारी से ही सफल हो सकता है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि प्रत्येक विभाग अपने स्तर पर वृक्षारोपण की समीक्षा बैठकें नियमित रूप से करें और अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को इसके लिए प्रशिक्षित भी करें।मुख्य विकास अधिकारी ध्रुव खाड़िया ने भी विभागों के आपसी समन्वय पर बल देते हुए कहा कि एकीकृत प्रयासों से ही वृक्षारोपण जैसे महत्वपूर्ण अभियानों को सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने विभागीय रिपोर्टिंग सिस्टम को पारदर्शी एवं वास्तविक आंकड़ों पर आधारित रखने की बात कही।
निष्कर्ष: वृक्षारोपण से जुड़े हर पहलू पर निगरानी और सक्रियता अनिवार्य
- बैठक ने स्पष्ट कर दिया कि जिला प्रशासन वृक्षारोपण को महज एक औपचारिकता के रूप में नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक और पर्यावरणीय निवेश के रूप में देख रहा है। इसके तहत पौधों का रोपण, सुरक्षा, देखभाल, जियो टैगिंग और निगरानी की प्रत्येक प्रक्रिया पर प्रशासनिक सतर्कता आवश्यक है। आगामी वर्षों में पौधरोपण कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु एक ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जिसमें टेक्नोलॉजी और सामाजिक सहभागिता का बेहतर समन्वय होगा। बैठक में लिए गए निर्णयों से यह उम्मीद की जा रही है कि जिले में हरियाली बढ़ेगी, पर्यावरण संतुलित होगा और भावी पीढ़ियों को एक सुरक्षित प्रकृति प्राप्त होगी।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)