Sheikh Hasina : शेख हसीना को मिली मौत की सजा बांग्लादेश कोर्ट में फैसला सुनाते बजने लगी तालियां

बांग्लादेश में तख्तापटल के 15 महीने बाद पूर्व पीएम शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने दोषी करार दिया है. उन्हें मौत की सजा सुना दी है. शेख हसीना के खिलाफ जैसे ही मौत की सजा सुनाई गई, न्यायाधिकरण के अंदर तालियां बजने लगीं.
बांग्लादेश में कड़ी सुरक्षा तैनाती और हिंसा के बीच सोमवार, 17 नवंबर को ICT-BD ने फैसला सुनाया. उसने माना कि शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं. शेख हसीना के साथ-साथ उनके सरकार में गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-मामून को दोषी पाया गया है. अब्दुल्ला अल-मामून सरकारी गवाह बन गए थे तो उन्हें कम सजा दी गई.
कोर्ट ने कहा कि शेख हसीना को तीन मामलों (काउंट्स पर) में दोषी पाया गया है. लोगों को उकसाना, हत्या का आदेश देना और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने का दोषी पाया गया है. इसमें से पहले आरोप में उन्हें आजीवन कारावास की सजा मिली है जबकि दूसरे आरोप- घातक हथियारों, ड्रोन हेलीकाप्टरों के उपयोग का आदेश देने के लिए मौत की सजा सुनाई गई है.
तीन सदस्यों वाले ICT-BD ने 28 दिनों (वर्किंग डे) तक इस मामले पर सुनवाई की. आखिर में 23 अक्टूबर को मामले की सुनवाई पूरी की, जिसमें 54 गवाहों ने अदालत के सामने गवाही थी.

- “प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किया. यह न्यायाधिकरण उन्हें दोषी पाता है.”
- “उन्होंने घातक हथियारों, हेलीकाप्टरों के उपयोग करने के आदेश जारी करके मानवता के खिलाफ अपराध किए.”
- “आरोपी प्रधानमंत्री शेख हसीना वरिष्ठ कमांडिंग पद पर थीं.”
- “इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (IGP) चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून (आरोपी) गवाह बन गए थे और उन्होंने पूरा खुलासा किया है. साबूत देने के लिए उन्हें माफ कर दिया गया है. उनसे एक गवाह के रूप में पूछताछ की गई है.”
- “IGP के अपराधों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है, लेकिन उसके खुलासे को ध्यान में रखते हुए हम उसे दोषी ठहराते हैं और उसे कम सजा देते हैं.”
शेख हसीना के खिलाफ यह 5 आरोप लगे थे
- शेख हसीना, उनकी सरकार में गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (IGP) या पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर न्यायाधिकरण में मुकदमा चलाया गया है. शेख हसीना और कमाल पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया और अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है. वहीं पूर्व पुलिस प्रमुख ने व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होकर मुकदमे का सामना किया और वह सरकारी गवाह बन गए. उन्होंने अपनी भूमिका स्वीकार की और पिछले साल छात्रों के नेतृत्व वाले आंदोलन को दबाने में दो सह-अभियुक्तों की भूमिका के बारे में बताया.
- तीनों पर कुल पांच मामलों के तहत अपराध करने का आरोप लगाया गया था. पहले मामले में तीनों पर हत्या, हत्या का प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कामों का आरोप लगाया गया. दूसरी मामले में हसीना पर प्रदर्शनकारियों को “साफ करने” का आदेश देने का आरोप लगाया गया है. तीसरे मामले में, उन पर भड़काऊ टिप्पणी करने और प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश देने का आरोप लगाया गया है. बाकी मामलों के तहत, तीनों पर ढाका और उसके उसपास छात्रों सहित छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप लगाया गया है.
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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