Shukla of the month : हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल

पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है
- सावन मास में मनाए जाने वाले तीज को हरियाली तीज कहते हैं। इस वर्ष यह 27 जुलाई को है। हरियालीj तीज को श्रावणी तीज के नाम से भी जाना जाता हैं। हरियाली तीज सावन मास का सबसे महत्वपूर्ण पर्व हैं। महिलाएं इस दिन का पूरे वर्ष इंतजार करती हैं। हरियाली तीज सौंदर्य और प्रेम का पर्व हैं। यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता हैं। अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं गौर और गणेश की आराधना करती हैं। हरियाली तीज वैसे तो मुख्यतः मारवाड़ी समाज के लोग मनाते हैं लेकिन अब अन्य समाज में भी इस व्रत की परंपरा चल पड़ी है। हरियाली तीज व्रत में मिट्टी की बनी शिव-पार्वती की प्रतिमा को पूजने की परंपरा है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए शिव पार्वती की आराधना करती हैं। इस दिन हाथों में मेहंदी रचाना शुभ माना गया है। हरी चूड़ियां और हरे परिधान व सोलह श्रृंगार करके संध्या में मिट्टी से बने शिव पार्वती की पूजा की जाती है। माता पार्वती को श्रृंगार का सामान चुनरी, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी आदि चढ़ाया जाता है जबकि महादेव को पंचामृत का भोग लगाकर अखंड सौभाग्य व सुखी दांपत्य जीवन की कामना की जाती है।
पूजा विधि-
- सुहागन स्त्रियां स्नान आदि से निवृत होकर मायके से आए हुए कपड़े पहन लें।
- पूजा के शुभ मुहूर्त में एक चौकी पर माता पार्वती के साथ भगवान शिव और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- मां पार्वती को 16 श्रृंगार की सामग्री, साड़ी, अक्षत्, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें।
- शिव जी को भांग, धतूरा, अक्षत, बेल पत्र, श्वेत फूल, गंध, धूप, वस्त्र आदि चढ़ाएं।
- गणेश जी की पूजा करते हुए हरियाली तीज की कथा सुनें।
- भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
- भगवान को भोग अवश्य लगाएं।
पूजा सामग्री की लिस्ट- गंगाजल, पूजा की चौकी, तांबे और पीतल का कलश, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, पान, सुपारी, जनेऊ, कपूर, आक का फूल, कपूर, दूर्वा, जटावाल नारियल, बेलपत्र, अबीर, चंदन, मौली, इत्र, गुलाल, अक्षत, धूप, दीपक, शमी का पत्ता, धतूरे का फल, हल्दी, भांग, धतूरा, भस्म, पांच प्रकार के फल, मिठाई, पांच पल्लव, दक्षिणा, व्रत की पुस्तक पूजन सामग्री होनी चाहिए।
महिलाएं हाथों में लगाएं मेहंदी-
- शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज शिव-पार्वती के मिलन का दिन है, इसलिए सौभाग्यवती महिलाओं को इस दिन सोलह श्रृंगार करना चाहिए और हाथों में मेहंदी जरूर लगवानी चाहिए।
शुभ मुहूर्त-
- तृतीया तिथि प्रारम्भ – जुलाई 26, 2025 को 10:41 पी एम बजे
- तृतीया तिथि समाप्त – जुलाई 27, 2025 को 10:41 पी एम बजे
- ब्रह्म मुहूर्त 04:17 ए एम से 04:58 ए एम
- प्रातः सन्ध्या 04:37 ए एम से 05:40 ए एम
- अभिजित मुहूर्त 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
- विजय मुहूर्त 02:43 पी एम से 03:38 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त 07:15 पी एम से 07:36 पी एम
- सायाह्न सन्ध्या 07:15 पी एम से 08:18 पी एम
- अमृत काल 01:56 पी एम से 03:34 पी एम
- निशिता मुहूर्त 12:07 ए एम, जुलाई 28 से 12:49 ए एम, जुलाई 28
- रवि योग 04:23 पी एम से 05:40 ए एम, जुलाई 28
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News Editor- (Jyoti Parjapati)