Slap on the system : सड़क नहीं तो हेलीकॉप्टर भेजिए: सीधी की लीला साहू की पीड़ा बनी व्यवस्था पर तमाचा

सीधी (मध्य प्रदेश), 24 जुलाई 2025:- मध्य प्रदेश के सीधी जिले से बुनियादी सुविधाओं की बदहाली पर एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने जनप्रतिनिधियों की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लीला साहू नाम की महिला, जो एक ग्रामीण क्षेत्र में रहती हैं, ने अपने गांव में सड़क निर्माण की मांग की थी ताकि गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाया जा सके। लेकिन इस गंभीर मांग का जवाब एक मजाक के रूप में आया।
स्थानीय सांसद राजेश मिश्रा ने बेहद तंजभरे अंदाज में कहा, “डिलीवरी की एक्सपेक्टेड डेट बता देना, एक हफ्ता पहले उठा लिया जाएगा। अब तो हेलीकॉप्टर की भी सुविधा है।” यह बयान सुनने के बाद ग्रामीणों में रोष और निराशा फैल गई, और अब लीला साहू का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वे दर्द से कराहते हुए कह रही हैं, “सांसद महोदय अब हेलीकॉप्टर भेज दीजिए, मुझे अस्पताल जाना है।”
बुनियादी सुविधाओं से वंचित गांव, गर्भवती महिलाओं की हालत दयनीय
लीला साहू जिस गांव की निवासी हैं, वह सीधी जिले के एक सुदूर क्षेत्र में स्थित है जहाँ अब तक पक्की सड़क तक नहीं बन पाई है। बरसात के दिनों में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। कीचड़, दलदल और उबड़-खाबड़ रास्तों के कारण गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाना चुनौती बन जाता है।
ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रसव घर पर ही कराना पड़ता है, जिससे महिलाओं और नवजातों की जान जोखिम में पड़ जाती है। गांव में न एंबुलेंस आ सकती है, न कोई निजी वाहन आसानी से वहां तक पहुँच पाता है। इस समस्या को लेकर कई बार स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ।
सांसद का बयान बना विवाद, अब वीडियो ने मचाया हड़कंप
लीला साहू के बयान का वीडियो वायरल होने के बाद यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियों में आ गया। सांसद राजेश मिश्रा का मजाकिया और असंवेदनशील बयान अब उन्हें भारी पड़ता नजर आ रहा है। वीडियो में लीला साहू दर्द से कराहते हुए कहती हैं, “मुझे अस्पताल जाना है, सांसद जी ने कहा था हेलीकॉप्टर है, तो अब भेजिए।”
इस वीडियो ने प्रशासन और सत्ता में बैठे लोगों की निष्क्रियता को उजागर कर दिया है। आम जनता की तकलीफें और जनप्रतिनिधियों की हँसी-मजाक वाली प्रतिक्रियाएं देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की गंभीर विफलता को दर्शाती हैं। इस बयान के बाद कई सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने भी सांसद की आलोचना की है।
प्रशासन की चुप्पी, ग्रामीणों का बढ़ता गुस्सा
अब तक इस मामले में न तो सांसद की तरफ से कोई माफी या सफाई आई है और न ही प्रशासन ने लीला साहू की मदद के लिए कोई कदम उठाया है। गांव के लोग प्रशासन की इस चुप्पी से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि नेता सिर्फ चुनाव के समय वादे करते हैं और फिर पांच साल तक कोई नहीं पूछता।
गांव के लोगों का यह भी कहना है कि सड़क जैसी बुनियादी सुविधा की मांग करना कोई अपराध नहीं है, लेकिन जब जवाब मजाक में दिया जाए तो इससे गहरी पीड़ा होती है। इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि देश के कई हिस्सों में अब भी विकास केवल कागज़ों में है, ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है।
निष्कर्ष
सीधी जिले की यह घटना न केवल एक महिला की व्यक्तिगत पीड़ा है, बल्कि यह भारत के लाखों ग्रामीण नागरिकों की आवाज़ है, जिन्हें आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष करना पड़ता है। सांसद का असंवेदनशील जवाब और प्रशासन की निष्क्रियता इस बात की मिसाल हैं कि कैसे व्यवस्था आम लोगों की जरूरतों को हल्के में ले रही है।
अब ज़रूरत है कि इस मामले को केवल वायरल वीडियो तक सीमित न रखा जाए, बल्कि लीला साहू जैसे लोगों की आवाज़ को नीतियों और विकास की मुख्यधारा में लाया जाए। अगर सड़क नहीं है, तो हेलीकॉप्टर भले न भेजा जाए, परंतु संवेदनशीलता और जवाबदेही ज़रूर भेजी जानी चाहिए।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)