Special Puja : नाग पंचमी पर देशभर के रहस्यमयी नाग मंदिरों में विशेष पूजन

नाग पंचमी पर विशेष जानकारी
- भारत भूमि को देवी-देवताओं का देश कहा जाता है। हिंदू धर्म में कई पर्व मनाए जाते हैं जो अलग-अलग देवी देवताओं से जुड़े होते हैं, उन्हीं में से एक नाग देवता भी हैं, जिनकी पूजा के लिए एक विशेष तिथि हैं। सावन माह भगवान शिव का प्रिय महीना है। ऐसे में भगवान शिव के गले में किसी आभूषण की तरह सुशोभित नाग देवता की पूजा भी इसी सावन माह में की जाती है। प्रत्येक वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन भारत के कई हिस्सों में नाग मंदिरों में विशेष पूजन किया जाता है। कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जो साल में केवल एक दिन यानी नाग पंचमी के अवसर पर ही खुलते हैं। इस वर्ष नाग पंचमी 29 जुलाई 2025 को मनाई जा रही है। कोई खुलता है साल में एक बार तो कहीं विराजते हैं 30000 नाग, ये हैं भारत के 7 रहस्यमय नाग मंदिर
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन (मध्यप्रदेश)
- यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है और पूरे वर्ष में केवल नाग पंचमी के दिन ही श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। यहां भगवान शिव और माता पार्वती नाग के फन के नीचे विराजमान हैं, जो नेपाल से लाई गई अनोखी मूर्ति है। कहते हैं, इस दिन यहां पूजा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
कर्कोटक नागराज मंदिर, भीमताल
- उत्तराखंड के भीमताल में स्थित ककोर्टक नागराज मंदिर 5 हजार साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। मंदिर कर्कोटक नामक पहाड़ी के टॉप पर स्थित है और इसका उल्लेख स्कंद पुराण के मानसखंड में भी मिलता है। यहां पूजा करने से सर्प दोष से छुटकारा मिलता है।
सेम-मुखेम नागराजा मंदिर, टिहरी
- उत्तराखंड में ही टिहली क्षेत्र में सेम-मुखेम नागराजा मंदिर स्थित है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के नाग अवतार की पूजा होती है। माना जाता है कि द्वारका के जल में डूबने के बाद वे यहां नागराज के रूप में प्रकट हुए थे। मंदिर में स्वयंभू शिला रूप में नागराज की उपस्थिति मानी जाती है।
मन्नारशाला मंदिर, केरल
- केरल के अलेप्पी जिले में स्थित मन्नारशाला मंदिर अपने 30,000 नाग प्रतिमाओं के लिए प्रसिद्ध है। 16 एकड़ में फैला यह मंदिर नागराज और उनकी पत्नी नागयक्षी को समर्पित है। कहा जाता है कि यहां महिलाओं की संतान प्राप्ति की मनोकामना विशेष रूप से मानी जाती है।
नाग वासुकी मंदिर, प्रयागराज
- उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में नाग वासुकी मंदिर है। नाग वासुकी वही सर्प है जो भगवान शिव के गले में विराजते हैं।यहां नाग पंचमी के दिन विशाल मेला लगता है और दूर-दराज़ से लोग पूजन के लिए आते हैं। मंदिर को सर्पनाथ, शेषराज और अनंत नामों से भी जाना जाता है।
तक्षकेश्वरनाथ मंदिर, प्रयागराज
- प्रयागराज में ही यमुना नदी के किनारे तक्षकेश्वरनाथ मंदिर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर भी नागदेव की भक्ति का केंद्र है। मान्यता है कि यहां दर्शन मात्र से सर्प भय और सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।मंदिर में शिव और नाग देवता की पूजा साथ में की जाती है।
शेषनाग मंदिर, जम्मू-कश्मीर
- जम्मू कश्मीर में नाग देवता का एक प्राचीन मंदिर है। कश्मीर का अनंतनाग क्षेत्र नागवंशियों का प्राचीन गढ़ रहा है। यहां पीर पंजाल की पर्वत श्रृंखला में पटनीटॉप के पास स्थित शेषनाग मंदिर 600 साल पुराना है। नाग पंचमी पर यहां भव्य उत्सव आयोजित होता है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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