The big decision : बिना धर्म बदले दूसरे धर्म में की गई शादी मानी जाएगी अवैध, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ?

The big decision : बिना धर्म बदले दूसरे धर्म में की गई शादी मानी जाएगी अवैध, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

The big decision : बिना धर्म बदले दूसरे धर्म में की गई शादी मानी जाएगी अवैध, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ?
The big decision : बिना धर्म बदले दूसरे धर्म में की गई शादी मानी जाएगी अवैध, इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला ?

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम और प्रभावशाली फैसला

  • धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ को लेकर देशभर में चल रही बहस के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम और प्रभावशाली फैसला सुनाया है, जिसने इस विषय को लेकर नई बहस को जन्म दे दिया है. कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अलग-अलग धर्मों के दो व्यक्ति यदि धर्म परिवर्तन के बिना विवाह करते हैं, तो वह शादी कानूनन मान्य नहीं होगी. यह टिप्पणी कोर्ट ने एक अंतरधार्मिक विवाह के मामले में सुनवाई करते हुए दी है. यह मामला उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के निचलौल थाना क्षेत्र से जुड़ा है, जहां एक युवक सोनू उर्फ सहनूर पर एक नाबालिग लड़की का अपहरण, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी.

क्या है पूरा मामला?

  • आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मुकदमा रद्द करने की मांग की, यह कहते हुए कि उसने पीड़िता से आर्य समाज मंदिर में विवाह किया है और अब लड़की बालिग हो चुकी है, लिहाजा आपराधिक मुकदमा चलाना गलत होगा. हालांकि, इस याचिका का सरकारी वकील ने जोरदार विरोध किया और दलील दी कि युवक और युवती अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं और बिना धर्म परिवर्तन के किया गया यह विवाह भारतीय कानून के अनुसार अवैध है.

आर्य समाज मंदिरों की शादियों पर जताई चिंता

  • दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की एकल पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और साथ ही आर्य समाज मंदिरों द्वारा इस प्रकार की शादियों में निभाई जा रही भूमिका पर गंभीर चिंता व्यक्त की. कोर्ट ने कहा कि कई आर्य समाज संस्थान बिना वैध प्रक्रिया अपनाए, सिर्फ शुल्क और दक्षिणा के आधार पर शादी के प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं, जो पूरी तरह गैरकानूनी है.

जांच के दिए आदेश

  • कोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव को सख्त निर्देश दिए हैं कि वह प्रदेश में संचालित ऐसे आर्य समाज मंदिरों की डीसीपी रैंक के आईपीएस अधिकारियों से जांच कराएं, जो विपरीत धर्म के या नाबालिग जोड़ों को विवाह प्रमाणपत्र दे रहे हैं. साथ ही, कोर्ट ने कहा कि इसकी जांच रिपोर्ट 29 अगस्त 2025 तक व्यक्तिगत हलफनामे के साथ कोर्ट में दाखिल की जाए.

स्पेशल मैरिज एक्ट को लेकर क्या कहा?

  • इस फैसले के बाद ऐसे सभी संस्थानों पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है जो धर्मांतरण के बिना अंतरधार्मिक विवाह करवा रहे हैं और झूठे प्रमाणपत्र जारी कर रहे हैं. हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि यदि किसी विवाह में धर्मांतरण नहीं हुआ है तो वह स्पेशल मैरिज एक्ट की प्रक्रिया से ही मान्य हो सकता है, अन्यथा नहीं. यह फैसला ना सिर्फ ‘लव जिहाद’ से जुड़े मामलों पर प्रभाव डालेगा बल्कि सामाजिक संस्थानों की जवाबदेही भी तय करेगा. कोर्ट ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि विवाह जैसे गंभीर विषय पर हो रहे दुरुपयोग को रोका जाए और इसके लिए शासन को सख्त कदम उठाने होंगे.

 

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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