The controversy gained momentum : योगेंद्र राणा की टिप्पणी पर FIR इकरा हसन से निकाह कबूल विवाद ने पकड़ी रफ्तार

मुरादाबाद में दर्ज FIR: महिला सम्मान और सामाजिक सौहार्द पर हमला?
- मुरादाबाद की कटघर थाने में एक महिला वकील सुनीता की शिकायत पर करणी सेना के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेंद्र राणा के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि राणा ने मुरादाबाद सांसद इकरा हसन पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा — “मैं इकरा हसन से निकाह कबूल फरमाता हूं… वह भी मुस्लिम धर्म अपनाए रखें, मेरे घर में नमाज़ पढ़ें।”
- शिकायत में दावा किया गया है कि यह बात सामाजिक सौहार्द, महिला सम्मान और मर्यादा की सीमाओं का उल्लंघन है। एक महिला जनप्रतिनिधि की गरिमा का अपमान करने वाली यह टिप्पणी आपराधिक स्वरूप की है। महिला वकील का कहना है कि ऐसे बयान से सामाजिक एकता और महिलाओं की सुरक्षा को ठेस पहुंचती है और इसलिए इस पर कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है।
योगेंद्र राणा का बचाव: “मुझे माफी नहीं मांगनी है”
- FIR के बाद योगेंद्र राणा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने प्रश्न किया, “मैंने निकाह का प्रस्ताव दिया, तो गुनाह हो गया?” उन्होंने पूर्व सपा सांसद डॉ. एसटी हसन का नाम उजागर किया, जिन्होंने मंच से एक हिंदू महिला पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, लेकिन तब नैतिकतावादी शक्ति चुप रही। राणा ने कहा: “हमलावर थे: ‘आजम खान महिला सांसद के अंतर्वस्त्र (इनरवियर) का रंग बताएं तो जायज है।’ मुझे सीख देने वाले डॉ. एसटी हसन ने तो खुलेआम अभद्रता की।”
- यह बयान राजनीति और नौटंकी के बीच की सीमाएं उजागर करता है, जहां एक ओर एक पक्ष खुद को बलपूर्वक सामाजिक संरक्षक बनाता है, और दूसरे पक्ष ने कथित दोगलापन उजागर कर दिया।
विवाद की शुरूआत: 19 जुलाई का वीडियो और दो घंटे में हटाया पोस्ट
- योगेंद्र राणा ने 19 जुलाई को एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने इकरा हसन को लेकर विवादित टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि वह इकरा से शादी करना चाहते हैं, और उन्हें मुस्लिम धर्म अपनाने और नमाज़ पढ़ने की पेशकश की।
- बहस बढ़ते देख राणा ने दो घंटे में यह पोस्ट हटा दी, लेकिन तब तक वायरल हो चुकी थी। इस वीडियो منتشر होने के बाद अखिलेश यादव, डॉ. एसटी हसन, और अन्य विपक्षी नेता भड़क उठे। उनका कहना था कि यह टिप्पणी न केवल व्यक्तिगत संवेदनाओं को आहत करती है, बल्कि धार्मिक आस्थाओं को भी उकसाती है।
राजनैतिक प्रतिक्रियाएं और कानून की लड़ाई
- इस विवाद पर राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी ने इसे महिला सांसद के खिलाफ नस्लवादी और लैंगिक उल्लंघन बताया और योगेंद्र राणा से माफी मांगने की मांग की। वहीं, करणी सेना ने इस पर सफाई देते हुए इसे एक व्यक्तिगत अभिव्यक्ति कहा और माफी को खारिज कर दिया।
- मुरादाबाद की कोर्ट में दोष सिद्ध होने पर राणा पर सजा हो सकती है, जिसमें जुर्माना और संभवतः बलात्कार-रोधी कानून की धारा भी लगाई जा सकती है। हालांकि मामला अभी प्रारंभिक जांच चरण में है।
- दमकल बनती यह कानूनी लड़ाई महिला अधिकारों, राजनैतिक भाषण की स्वतंत्रता और नैतिकता की सीमाओं पर नए बहस को जन्म दे रही है।
निष्कर्ष:
- योगेंद्र राणा की टिप्पणी ने ना सिर्फ इकरा हसन के व्यक्तिगत सम्मान को प्रभावित किया, बल्कि सामाजिक सौहार्द, महिला गरिमा और धार्मिक आस्थाओं के बीच के संवेदनशील संतुलन को भी हिला दिया। एफआईआर फिर चाहे कानूनी दृष्टिकोण से चले, लेकिन इसमें छिपा बहस कई सवालों को जन्म दे रहा है:
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क्या राजनीतिज्ञों को ऐसी अभद्र भाषा की इजाजत है?
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क्या राजनैतिक द्वंद्व की आड़ में महिलाओं और आस्थाओं का अपमान सामान्य होता जा रहा है?
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और क्या यह बयान लोकतंत्र की भाषण स्वतंत्रता की रक्षा की आड़ में लाया गया?
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आने वाले दिनों में, अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है, यह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण मानदंड स्थापित करेगा।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)