The priest standing : ब्यास का रौद्र रूप, हनुमान मंदिर तक पहुंचा पानी, फिर भी अडिग खड़ा रहा पुजारी ?

The priest standing : ब्यास का रौद्र रूप, हनुमान मंदिर तक पहुंचा पानी, फिर भी अडिग खड़ा रहा पुजारी

The priest standing : ब्यास का रौद्र रूप, हनुमान मंदिर तक पहुंचा पानी, फिर भी अडिग खड़ा रहा पुजारी ?
The priest standing : ब्यास का रौद्र रूप, हनुमान मंदिर तक पहुंचा पानी, फिर भी अडिग खड़ा रहा पुजारी ?

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू ज़िले में उस समय श्रद्धालुओं की सांसें थम गईं जब ब्यास नदी अपने प्रचंड वेग से बहती हुई हनुमान मंदिर के ठीक बगल तक पहुंच गई। तेज़ बहाव, गड़गड़ाहट और पानी की उठती लहरों के बीच मंदिर के पुजारी पूरे धैर्य और आस्था के साथ गर्भगृह में खड़े रहे। यह दृश्य देखकर हर किसी की रूह कांप उठी और लोग इसे ‘आस्था और साहस का अद्भुत संगम’ बताने लगे। सोशल मीडिया पर वायरल हुए इस वीडियो में साफ दिखाई देता है कि ब्यास नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और मंदिर की दीवारों से टकराता हुआ बहाव मानो मंदिर को निगल जाने की कोशिश कर रहा हो। बावजूद इसके, पुजारी ने मंदिर छोड़ने से इनकार कर दिया और मंत्रोच्चार करते हुए भगवान हनुमान की सेवा में लगे रहे।निखिल सैनी नाम के एक यूजर ने इस वीडियो को एक्स पर पोस्ट किया है। इस वीडियो को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा है क रोंगटे खड़े हो जाएंगे!

The priest standing : ब्यास का रौद्र रूप, हनुमान मंदिर तक पहुंचा पानी, फिर भी अडिग खड़ा रहा पुजारी ?
The priest standing : ब्यास का रौद्र रूप, हनुमान मंदिर तक पहुंचा पानी, फिर भी अडिग खड़ा रहा पुजारी ?

कुल्लू के हनुमान मंदिर में, पुजारी मंदिर के अंदर अडिग खड़ा है, जबकि ब्यास नदी उसके ठीक बगल में उत्पात मचा रही है। ऐसे क्षण हमें याद दिलाते हैं कि प्रकृति ही ईश्वर का साक्षात् रूप है। सोशल मीडिया पर इस वायरल वीडियो पर लोगों का मिला जुला रिएक्शन देखने को मिल रहा है। कुछ मंदिर की पुजारी की सराहना कर रहे हैं तो कुछ इसे बेवकूफी बता रहे हैं। अभिषेक नाम के यूजर ने एक्स पर शेयर की गई इस वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा है कि मनुष्य सोचता है कि वह पूरी दुनिया पर विजय प्राप्त कर सकता है और प्रकृति उसे हमारा असली स्थान बताती है।वहीं अवधेश शर्मा नाम के यूजर ने लिखा है कि हमने पिछले वर्षों की तुलना में बहुत अधिक प्राकृतिक आपदाएं देखी हैं, हमें निर्माण कार्य करते समय बहुत सावधान रहना चाहिए, विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में, यदि हम इसे नहीं रोकेंगे तो ऐसी सभी गतिविधियाँ कई और आपदाओं को आमंत्रित करेंगी। अमित कुमार नाम के यूजर ने वीडियो पर कमेंट करते हुए लिखा है कि इसमें कुछ भी असाधारण नहीं है। हो सकता है आत्महत्या की हो और बस किस्मत अच्छी हो। अगर वो तब बह जाता तो? वैष्णो देवी जाते हुए अर्धक्वाँरी में मारे गए लोगों के परिजनों से पूछो। प्रकृति और आस्था दो अलग-अलग चीज़ें हैं।

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