Wandering around : बदायूं में अवर अभियंता मुकुल यादव पर शोषण के गंभीर आरोप, पीड़िता न्याय की गुहार लगाती भटक रही

बदायूं जनपद के विक्टोरिया उपकेंद्र चौक डिवीजन में तैनात अवर अभियंता मुकुल यादव की रंगीन मिजाजी की पोल तब खुली जब एक महिला ने उस पर गंभीर शारीरिक और मानसिक शोषण का आरोप लगाया। इस महिला का कहना है कि मुकुल यादव ने उसे वर्षों तक शोषित किया, विवाह करके पत्नी बनाकर रखा और फिर दूसरी शादी कर लखनऊ में पोस्टिंग मिलने के बाद सभी संबंध खत्म कर दिए। पीड़िता अब न्याय की तलाश में बदायूं से लेकर लखनऊ तक दर-दर भटक रही है, लेकिन कथित रूप से मुकुल यादव ने अपने रसूख और धन के बल पर मामले को दबाने की कोशिश की है।
पीड़िता की दर्दभरी दास्तान
सीमा राठौर नाम की यह महिला, जो खुद को मुकुल यादव की पूर्व पत्नी बताती हैं, ने बताया कि उनका शारीरिक और मानसिक शोषण वर्षों तक चलता रहा। उन्होंने बताया कि जब वे बदायूं में रहती थीं, तब मुकुल यादव ने विवाह का वादा किया और उन्हें पत्नी बनाकर रखा, लेकिन असली मकसद उनका शोषण था। विवाह के बाद भी वे पति-पत्नी के रिश्ते में बराबर का सम्मान नहीं दिया गया। इसके बाद मुकुल यादव ने दूसरी शादी कर ली और लखनऊ में पोस्टिंग मिलते ही पीड़िता के साथ सभी संबंध खत्म कर दिए।
सीमा ने आगे बताया कि उन्होंने न्याय के लिए कई बार प्रशासन, उच्च अधिकारियों और न्यायालयों का दरवाजा खटखटाया, लेकिन मुकुल यादव के रसूख और पैसों के कारण मामला दबा दिया गया। वह बदायूं से लखनऊ तक कई अधिकारियों के पास गईं, लेकिन न्याय नहीं मिल पाया। उनकी यह याचिका मध्यांचल की प्रबंध निदेशिका, चीफ मध्य जोन और अधीक्षण अभियंता चौक मंडल तक पहुंच चुकी है। बावजूद इसके, आरोप है कि मुकुल यादव ने अपने पद और पैसे के बल पर सबको प्रभावित कर रखा है।
विभाग की छवि पर सवाल
इस गंभीर घटना के प्रकाश में आने से विभाग की छवि पर भी प्रश्नचिह्न लग गया है। एक ऐसा अधिकारी, जो अपने पद और शक्ति का दुरुपयोग कर महिला का शोषण करता है, वह विभाग की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है। विभाग की छवि न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि पूरे क्षेत्र में धूमिल हो रही है।
सवाल उठता है कि क्या विभाग इस मामले को गंभीरता से लेगा और जांच कराकर उचित कार्रवाई करेगा? या फिर रसूखदार अधिकारी की कथित दबंगई के आगे सब मूकदर्शक बने रहेंगे? ऐसे अधिकारी जो अपने पद का गलत इस्तेमाल करते हैं, उन्हें विभाग से तत्काल हटाकर सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि अन्य कर्मचारियों को भी साफ संदेश मिले कि इस प्रकार के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पीड़िता का न्याय का संघर्ष
सीमा राठौर की न्याय की लड़ाई काफी लंबी और कठिन रही है। सामाजिक, आर्थिक और मानसिक दबावों के बावजूद वह हिम्मत नहीं हारी हैं और न्याय के लिए आवाज उठाती रही हैं। उनका कहना है कि न्याय पाने के लिए प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर लगाना, अधिकारियों से मिलना और कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटना आसान नहीं है, खासकर तब जब विपक्ष में कोई ऐसा हो जो अपने रसूख और धन से सबको प्रभावित कर सकता हो।
उन्होंने मीडिया के माध्यम से भी अपनी पीड़ा और न्याय की गुहार लगाई है ताकि उनकी आवाज दब न सके और प्रशासन उनकी मदद कर सके।
विभाग और प्रशासन की भूमिका
इस मामले में आवश्यक है कि विभाग और प्रशासन तुरंत जांच करें और निष्पक्ष कार्रवाई करें। महिला सुरक्षा और संवेदनशील मामलों में तेजी से कार्रवाई होना जरूरी है ताकि महिला अधिकारों की रक्षा हो सके। इस प्रकार के मामलों में लापरवाही न केवल पीड़िता के लिए बल्कि विभाग की भी बदनामी है।
यदि विभाग इस मामले को उचित गंभीरता से लेकर कार्रवाई करता है, तो यह एक मिसाल बनेगा और अन्य लोगों को भी यह संदेश जाएगा कि न्याय सबके लिए समान है। वहीं यदि मामले को दबाने की कोशिश की गई, तो यह प्रशासनिक अक्षमता को दर्शाता है।
निष्कर्ष
अवर अभियंता मुकुल यादव पर लगे गंभीर आरोप न केवल एक महिला की व्यक्तिगत पीड़ा हैं, बल्कि ये समाज और प्रशासन के लिए भी चिंताजनक संकेत हैं। एक अधिकारी का पद का दुरुपयोग कर शोषण करना गंभीर अपराध है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।
पीड़िता सीमा राठौर की न्याय की लड़ाई को सफल बनाने के लिए प्रशासन, पुलिस, और न्यायालय को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। साथ ही विभाग को भी चाहिए कि वह अपने भीतर ऐसे अधिकारियों की जांच-परख करे जो पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।
इससे न केवल पीड़ित महिला को न्याय मिलेगा, बल्कि विभाग की छवि भी पुनः सुदृढ़ होगी और अन्य अधिकारियों के लिए एक उदाहरण कायम होगा कि किसी भी प्रकार का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
आखिरकार, न्याय की प्रक्रिया तभी सफल हो सकती है जब सच को दबाने की बजाय उजागर किया जाए और अपराधियों को सजा मिले। पीड़ित महिला के संघर्ष को सफल बनाने के लिए समूचा समाज, प्रशासन और मीडिया को मिलकर प्रयास करना होगा ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सकें।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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