Who is responsible : डॉक्टरों की लापरवाही मौजूदगी में डॉक्टर का ना होना युवक पर पड़ा भारी चली गई जान जिम्मेदार कौन

मेरठ (उत्तर प्रदेश)।
- उत्तर प्रदेश के मेरठ स्थित मेडिकल कॉलेज से एक दर्दनाक और शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने चिकित्सा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक युवक ने अस्पताल के बेड पर डॉक्टर की मौजूदगी में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश डॉक्टर ने उसकी तरफ देखने की ज़हमत तक नहीं उठाई। युवक मदद की गुहार लगाता रहा, लेकिन सामने बैठा डॉक्टर गहरी नींद में सोता रहा। यह दिल दहला देने वाली घटना मरीज के तीमारदारों ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर ली और सोशल मीडिया पर वायरल कर दी। घटना सामने आने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया और प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी।
क्या है पूरा मामला?
- घटना मेरठ के मेडिकल कॉलेज की है, जहां एक युवक को गंभीर हालत में भर्ती कराया गया था। परिजनों के अनुसार युवक की हालत लगातार बिगड़ रही थी और उसे तत्काल इलाज की आवश्यकता थी। जब परिजनों ने वार्ड में डॉक्टर को जगाने की कोशिश की, तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। डॉक्टर कुर्सी पर ही गहरी नींद में सोते रहे, जबकि मरीज तड़पता रहा और अंततः उसकी मौत हो गई।
- यह पूरी घटना वहां मौजूद युवक के परिजन ने अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर ली। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि एक मरीज जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है, जबकि पास ही डॉक्टर आंखें बंद कर सोया हुआ है। यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पूरे चिकित्सा महकमे में हड़कंप मच गया।
सोशल मीडिया पर उठे सवाल, मचा बवाल
- वीडियो वायरल होने के बाद आम जनता, राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाया कि क्या डॉक्टर की यही संवेदनशीलता होती है? क्या एक मरीज की जान इतनी सस्ती हो गई है कि उसे बचाने के लिए डॉक्टर उठने की भी जहमत नहीं उठाते? कुछ यूज़र्स ने यहां तक कह दिया कि यह हत्या के समान है, जिसमें लापरवाही ही मुख्य अपराध है।
प्राचार्य ने की त्वरित कार्रवाई, दो डॉक्टर सस्पेंड
- घटना के सामने आने के बाद मेरठ मेडिकल कॉलेज प्रशासन हरकत में आया। कॉलेज के प्राचार्य ने इस गंभीर लापरवाही को संज्ञान में लेते हुए दो रेजिडेंट डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। साथ ही पूरे प्रकरण की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन भी कर दिया गया है, जो यह पता लगाएगी कि आखिर घटना कैसे हुई, और किन-किन लोगों की इसमें लापरवाही सामने आई।
जांच कमेटी कर रही है पड़ताल
- प्राचार्य द्वारा गठित की गई जांच कमेटी ने संबंधित वार्ड, स्टाफ और नाइट ड्यूटी चार्ट की जांच शुरू कर दी है। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि मरीज की स्थिति क्या थी, कितनी बार परिजनों ने डॉक्टरों से संपर्क किया, और क्या किसी प्रकार का जीवनरक्षक उपचार देने की कोशिश की गई या नहीं। यह जांच कमेटी कुछ दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
मेडिकल स्टाफ पर लापरवाही के आरोप आम, जवाबदेही नहीं
- यह कोई पहला मामला नहीं है जब सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और चिकित्सा स्टाफ की लापरवाही से किसी मरीज की जान गई हो। यूपी में ऐसी घटनाएं समय-समय पर सामने आती रही हैं, जहां डॉक्टर ड्यूटी पर नहीं होते, या होते हुए भी गंभीरता नहीं दिखाते। इन घटनाओं से साफ है कि मरीज की जान की कीमत आज भी बेहद कम समझी जाती है।
परिजनों का आक्रोश: इंसाफ की मांग
- मृतक के परिजनों का कहना है कि उन्होंने कई बार डॉक्टर को जगाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने अस्पताल प्रशासन से मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए। परिजनों ने यह भी मांग की कि मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की जवाबदेही सुनिश्चित की जाए और ड्यूटी में लापरवाही बरतने पर सख्त सजा दी जाए।
डॉक्टर की नींद भारी पड़ गई एक ज़िंदगी पर
- यह मामला केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है, यह एक ऐसे सिस्टम की विफलता है, जिसमें ड्यूटी के दौरान डॉक्टर सोते हैं, और जिम्मेदारी का कोई भाव नहीं दिखाई देता। एक प्रशिक्षित, जिम्मेदार डॉक्टर के लिए यह अनैतिक और अमानवीय है कि वह मरीज की जिंदगी और मौत की लड़ाई के दौरान आराम फरमाए।
कानून क्या कहता है?
- चिकित्सा लापरवाही (Medical Negligence) भारतीय दंड संहिता की धारा 304A के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें दोषी पाए जाने पर जेल और जुर्माने का प्रावधान है। अगर जांच में यह साबित होता है कि डॉक्टरों की लापरवाही से युवक की मौत हुई, तो उन पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
निष्कर्ष
- मेरठ मेडिकल कॉलेज में हुई यह घटना केवल एक मौत नहीं, बल्कि चिकित्सा व्यवस्था की संवेदनहीनता का प्रमाण है। जब डॉक्टर ही लापरवाह हो जाएं, तो मरीज कहां जाएं? यह मामला एक चेतावनी है, कि अस्पतालों में केवल इलाज ही नहीं, इंसानियत की भी ज़रूरत है। अब यह जांच का विषय है कि दोषी कौन है, लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसे मामलों में सिर्फ सस्पेंशन काफी है? या हमें सिस्टम में व्यापक सुधार की ज़रूरत है? यह जवाब भविष्य के स्वास्थ्य तंत्र के लिए बेहद जरूरी होगा।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)