Will have to think : चांद पर यात्रा करना चाहते हैं तो गुजरात के NH 48 पर आइये, गड्ढे ऐसे क‍ि निकलने से पहले सोचना पड़ेगा ?

Will have to think : चांद पर यात्रा करना चाहते हैं तो गुजरात के NH 48 पर आइये, गड्ढे ऐसे क‍ि निकलने से पहले सोचना पड़ेगा

Will have to think : चांद पर यात्रा करना चाहते हैं तो गुजरात के NH 48 पर आइये, गड्ढे ऐसे क‍ि निकलने से पहले सोचना पड़ेगा ?
Will have to think : चांद पर यात्रा करना चाहते हैं तो गुजरात के NH 48 पर आइये, गड्ढे ऐसे क‍ि निकलने से पहले सोचना पड़ेगा ?

 

  • सूरत: गुजरात में आए बाढ़ ने विकास की पोल खोल दी है। बाढ़ के पानी ने राष्ट्रीय राजमार्ग 48 को जर्जर कर दिया है। इस सड़क पर पहले ही बहुत गड्ढे थे। अब तो भरूच से वापी के बीच ये इसकी स्‍थि‍ति और दयनीय हो गई है। कई जगह तो लगभग एक फीट के गहरे गड्ढे हो गये हैं। तस्‍वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इससे पहले वापी-सिलवासा की तस्‍वीरें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारी नुकसान के लिए बारिश को जिम्मेदार बता रहे हैं। उनका दावा है क‍ि सड़क की मरम्‍मत का काम बराबर किया जा रहा है। लेकिन बारिश के कारण गड्ढे बढ़ जाते हैं। लेकिन दूसरा तथ्य यह भी गड्ढों वाली सड़क पर चलने के लिए मुंबई की ओर जाने वाले यात्रियों को सूरत, नवसारी और वापी, तीन जगहों पर टोल टैक्‍स भी देना पड़ता है।कडोदरा चौराहे पर फ्लाईओवर के साथ सर्विस रोड पर आवागमन रोकना पड़ा है क्‍योंक‍ि बड़े-बड़े गड्ढों में भारी वाहन फंस सकते हैं। इस सड़क से प्रतिदिन हजारों की संख्‍या में गाड़ि‍या जाती हैं। ऐसे में अगर इसे रोका नहीं गया तो लंबा जाम लग सका है। गड्ढों की वजह से जानमाल का खतरा बढ़ गया है।
  • लंबी दूरी की यात्रा करने वालों के लिए राजमार्ग का उपयोग कम ही होता है। लेकिन स्थानीय लोगों के लिए से बड़ी चुनौती बन गई है। कडोदरा निवासी हितेश पटेल कहते हैं क‍ि जब मैं कडोदरा चौराहे पर था तब मेरी कार का अगला बंपर सड़क को छू गया था क्योंकि पूरा अगला पहिया गड्ढे में था। इन चौराहे से गुजरना एक बुरे सपने की तरह है। एनएचएआई के अधिकारियों का दावा है कि मरम्मत के बावजूद बारिश और वाहनों की आवाजाही बार-बार सड़क को नुकसान पहुंचाती है। उन्होंने कहा हमारे सहयोगी टीओआई को बताया, ‘क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत का काम किया जा रहा है। लेकिन बारिश के कारण यह ज्यादा देर तक नहीं रुक रही है। हम अब ब्लॉक और अन्य तरीकों का उपयोग करके मरम्मत करने की कोशिश कर रहे हैं।’

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