Communal harmony : मुंबई के शम्स मुलानी ने पूजा कर सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की मिसाल पेश की ?

Communal harmony : मुंबई के शम्स मुलानी ने पूजा कर सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की मिसाल पेश की

Communal harmony : मुंबई के शम्स मुलानी ने पूजा कर सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की मिसाल पेश की ?
Communal harmony : मुंबई के शम्स मुलानी ने पूजा कर सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की मिसाल पेश की ?

मुंबई, 12 अगस्त 2025:

  • खेल सिर्फ मनोरंजन या प्रतिस्पर्धा का जरिया नहीं, बल्कि यह सामाजिक समरसता, एकता और सौहार्द का भी प्रतीक है। भारत जैसे विविधताओं से भरे देश में, जहां धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति में भिन्नता होने के बावजूद एकता की भावना सबसे ऊपर मानी जाती है — वहाँ खेल, विशेष रूप से क्रिकेट, एक ऐसे मंच के रूप में उभरा है जिसने इन विविधताओं को आत्मीयता में बदला है। इसी भावना को जीवंत करते हुए एक प्रेरणादायक दृश्य मुंबई में देखने को मिला, जब मुंबई रणजी टीम के स्टार स्पिनर शम्स मुलानी, जो मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, ने एक घरेलू क्रिकेट मैच शुरू होने से पहले हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा में हिस्सा लिया। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और देशभर में इसकी सराहना की जा रही है।

शम्स मुलानी: एक खिलाड़ी, एक भारतीय

  • शम्स मुलानी भारतीय क्रिकेट में एक उभरते हुए स्पिनर हैं, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में अपने शानदार प्रदर्शन से अपनी अलग पहचान बनाई है। रणजी ट्रॉफी में मुंबई की ओर से खेलते हुए उन्होंने कई अहम मुकाबलों में टीम को जीत दिलाई है। पर इस बार उन्होंने सिर्फ खेल के मैदान पर नहीं, बल्कि समाज के दिलों में भी जगह बना ली। दरअसल, एक अहम घरेलू मुकाबले से पहले मुंबई टीम के खिलाड़ियों ने परंपरागत हिंदू विधि-विधान से पूजा आयोजित की थी। इस पूजा में टीम के सभी खिलाड़ी मौजूद थे, और सबसे खास बात यह रही कि शम्स मुलानी भी इस पूजा में पूरे श्रद्धा और सम्मान के साथ शामिल हुए। उन्होंने न सिर्फ पूजा में भाग लिया, बल्कि आरती के समय हाथ जोड़कर खड़े दिखाई दिए, जिससे यह संदेश गया कि धर्म की दीवारें इंसानियत और आपसी सम्मान से बड़ी नहीं होतीं।

खेल का असली मकसद: जोड़ना, तोड़ना नहीं

  • भारत में क्रिकेट सिर्फ एक खेल नहीं है — यह एक भावना है, एक धर्म जैसा जुनून है, जो हर गली, मोहल्ले, गाँव और शहर में सांस लेता है। इस खेल ने हमेशा लोगों को जोड़ा है, चाहे वो अलग जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से ही क्यों न हों। क्रिकेट मैदान पर कई ऐसे उदाहरण देखने को मिले हैं, जहाँ खिलाड़ियों ने एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं का आदर करते हुए सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम की है। सचिन तेंदुलकर और मोहम्मद अजहरुद्दीन, वीरेंद्र सहवाग और ज़हीर खान, महेंद्र सिंह धोनी और इरफान पठान, ये सभी जोड़ की कहानियाँ हैं, जो इस देश की विविधता में एकता की ताकत को दिखाती हैं। शम्स मुलानी का यह कदम उसी परंपरा को आगे बढ़ाता है।

सोशल मीडिया पर सराहना की लहर

  • इस दृश्य का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ट्विटर (अब X), इंस्टाग्राम, और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्मों पर हजारों यूज़र्स ने शम्स मुलानी की इस पहल को “भारतीयता की पहचान”, “विविधता में एकता की मिसाल”, और “सच्चे खिलाड़ी की सोच” बताते हुए उनकी प्रशंसा की।
  • एक यूज़र ने लिखा — “शम्स मुलानी ने जो किया, वो भारत को दर्शाता है। धर्म इंसानियत से बड़ा नहीं हो सकता। जय हिंद!”
  • वहीं एक अन्य टिप्पणी थी — “खेल ने फिर एक बार साबित किया कि जब दिल मिलते हैं, तो धर्म कोई बाधा नहीं बनता। सलाम शम्स भाई!”

टीम भावना और आपसी सम्मान

  • खेलों में, खासकर क्रिकेट जैसी टीम गेम में, टीम भावना (Team Spirit) और आपसी सम्मान (Mutual Respect) सफलता की कुंजी होती है। एक टीम तब ही जीत सकती है जब खिलाड़ी न सिर्फ मैदान पर एकजुट हों, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी एक-दूसरे की सोच, संस्कृति और विश्वासों को सम्मान दें।
  • मुंबई की टीम में विभिन्न पृष्ठभूमियों से आए खिलाड़ी हैं — कोई मराठी है, कोई गुजराती, कोई दक्षिण भारतीय, कोई मुस्लिम, कोई सिख — लेकिन जब वे मैदान पर उतरते हैं, तो वे सिर्फ एक टीम होते हैं — मुंबई
  • शम्स मुलानी का यह कदम यह भी दर्शाता है कि टीम के भीतर कैसा मजबूत भाईचारा और सौहार्द है, जहाँ हर खिलाड़ी को अपनी आस्था का सम्मान देते हुए दूसरों की आस्था को भी आत्मसात करने की स्वतंत्रता है।

एक सकारात्मक संदेश देश के लिए

  • आज जब देश में कई बार धर्म और जाति को लेकर विवाद और बंटवारे की खबरें सामने आती हैं, ऐसे समय में शम्स मुलानी जैसे खिलाड़ियों का यह व्यवहार एक सकारात्मक ऊर्जा देता है। यह युवाओं को सिखाता है कि असली देशभक्ति सिर्फ झंडा फहराने में नहीं, बल्कि देशवासियों को जोड़ने में है। खेल का असली उद्देश्य यही है — लोगों को जोड़ना, एक-दूसरे की भावनाओं को समझना और साझी संस्कृति का निर्माण करना।

निष्कर्ष: भारत की आत्मा – एकता में विविधता

  • शम्स मुलानी का यह छोटा सा लेकिन बेहद महत्वपूर्ण कदम हमें फिर याद दिलाता है कि भारत की आत्मा उसकी विविधता में एकता है। धर्म, भाषा, क्षेत्र — ये सभी हमारी पहचान हैं, पर हमारी सबसे बड़ी पहचान है “हम भारतीय हैं”। खेल, खासकर क्रिकेट, इस भावना को रोज़ मैदान पर जीता है। और जब कोई खिलाड़ी किसी दूसरे धर्म की परंपरा का सम्मान करता है, तो वह सिर्फ एक व्यक्ति नहीं होता — वह पूरे देश के लिए एकता का प्रतीक बन जाता है। शम्स मुलानी जैसे खिलाड़ी खेल को सिर्फ जीतने का नहीं, समाज को जोड़ने का जरिया बना रहे हैं — और यही भारतीय क्रिकेट की सबसे बड़ी ताकत है।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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