Congress Bike : धारा 163 लागू होने से 24 अगस्त की कांग्रेस बाइक रैली की अनुमति पर संशय ?

Congress Bike : धारा 163 लागू होने से 24 अगस्त की कांग्रेस बाइक रैली की अनुमति पर संशय

Congress Bike : धारा 163 लागू होने से 24 अगस्त की कांग्रेस बाइक रैली की अनुमति पर संशय ?
Congress Bike : धारा 163 लागू होने से 24 अगस्त की कांग्रेस बाइक रैली की अनुमति पर संशय ?

सहारनपुर।

  • कांग्रेस सांसद इमरान मसूद द्वारा घोषित की गई 24 अगस्त (रविवार) की बाइक रैली को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यह रैली “वोट चोरी” के विरोध में आयोजित की जानी थी और इसके लिए तैयारियां भी कांग्रेस खेमे में जोर-शोर से चल रही थीं, लेकिन प्रशासन की ओर से धारा 163 लागू किए जाने के बाद अब इस रैली के आयोजन पर सवालिया निशान लग गया है।

सांसद कार्यालय पर मीटिंग के बाद बनी थी रणनीति

  • शुक्रवार को कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने अपने कैंप कार्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक अहम बैठक की थी, जिसमें 24 अगस्त को प्रस्तावित बाइक रैली की रूपरेखा तय की गई थी। यह रैली सहारनपुर शहर की मंडी समिति रोड से शुरू होकर घंटाघर तक जाने वाली थी। इस रैली के माध्यम से कांग्रेस कार्यकर्ता “वोट चोरी” का विरोध दर्ज कराना चाहते थे। कांग्रेस का आरोप है कि हाल ही में हुई चुनावी प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं, और जनता का जनादेश चोरी किया गया है।

धारा 163 बनी रुकावट

  • हालांकि, इसी दिन यानी शुक्रवार को ही जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जनपद में 55 दिनों के लिए धारा 163 लागू कर दी गई। इसके पीछे प्रशासन ने त्यौहारों और आगामी परीक्षाओं के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने का हवाला दिया है। धारा 163 के अंतर्गत जनपद में किसी भी प्रकार की रैली, जुलूस, जनसभा या भीड़ एकत्रित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू हो गया है। इस निर्णय के बाद कांग्रेस खेमे में हलचल मच गई है। सांसद इमरान मसूद और उनके सहयोगियों को आशंका है कि प्रशासनिक निर्णय के कारण उनकी रैली को अनुमति नहीं मिलेगी, जिससे वे अपना विरोध दर्ज कराने के लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित रह जाएंगे।

सिटी मजिस्ट्रेट ने क्या कहा?

  • इस मुद्दे पर JK24x7 News द्वारा जब सिटी मजिस्ट्रेट से संपर्क किया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस की बाइक रैली के लिए आवेदन उनके कार्यालय में प्राप्त हुआ है। उन्होंने यह भी बताया कि उक्त एप्लिकेशन को आगे रिपोर्ट हेतु संबंधित सीओ कार्यालय और स्थानीय थाने को भेज दिया गया है। हालांकि, थाना स्तर से अभी तक कोई स्पष्ट रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है, इसलिए फिलहाल रैली की अनुमति को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह स्थिति कांग्रेस खेमे में और भी अधिक संशय और असमंजस पैदा कर रही है।

कांग्रेस ने मीडिया ग्रुप में जारी की कवरेज सूचना

  • वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस कार्यकर्ता इस रैली को लेकर अभी भी पूरी तरह से सक्रिय हैं। कांग्रेस के मीडिया सूचना ग्रुप पर शुक्रवार को ही एक संदेश साझा किया गया, जिसमें रविवार सुबह 11 बजे से बाइक रैली की कवरेज की सूचना दी गई है। इस संदेश में सभी पत्रकारों और मीडियाकर्मियों को रैली के कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया है। यह दर्शाता है कि कांग्रेस खेमे में अभी भी रैली को लेकर उम्मीदें बरकरार हैं और कार्यकर्ता किसी न किसी तरह से रैली निकालने के लिए तैयार हैं।

प्रशासन की दुविधा और राजनीतिक दबाव

  • धारा 163 लागू होने के बाद प्रशासन एक दुविधा की स्थिति में है। एक ओर कांग्रेस जैसे बड़े राजनीतिक दल के सांसद द्वारा घोषित रैली है, तो दूसरी ओर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी। सूत्रों की मानें तो प्रशासन पर राजनीतिक दबाव भी बन रहा है कि वह इस रैली को अनुमति न दे। वहीं प्रशासन इस बात से भी चिंतित है कि अगर अनुमति न देने पर कांग्रेस सड़क पर उतर आती है तो स्थिति बिगड़ सकती है।

कांग्रेस की प्रतिक्रिया

  • कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि लोकतंत्र में शांतिपूर्ण ढंग से विरोध प्रदर्शन करना उनका संवैधानिक अधिकार है। वे आरोप लगाते हैं कि जिला प्रशासन जानबूझकर उन्हें दबाने की कोशिश कर रहा है और राजनीतिक दबाव में आकर उनकी रैली को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। सांसद इमरान मसूद के एक करीबी सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि, “हमने नियमों के तहत रैली के लिए परमिशन मांगी है। अगर प्रशासन निष्पक्ष होता, तो वह हमें अनुमति दे देता। यह पूरी तरह से लोकतंत्र की हत्या है।”

पुलिस की तैयारी

  • हालांकि अभी तक रैली को लेकर कोई आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है, लेकिन स्थानीय पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर तैयारी शुरू कर दी है। रैली के संभावित मार्ग पर पुलिस बल की तैनाती की योजना तैयार की जा रही है। थाना स्तर पर भी सभी अधिकारी अलर्ट मोड में हैं। इस बीच पुलिस का ध्यान इस बात पर भी है कि अगर बिना अनुमति के रैली निकाली जाती है, तो कानूनी कार्रवाई की जा सके। धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है।

अब आगे क्या?

  • अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या 24 अगस्त को कांग्रेस की यह बहुप्रचारित बाइक रैली आयोजित हो पाएगी या नहीं? प्रशासन की अनुमति की प्रतीक्षा में कांग्रेस की रणनीति अधर में लटकी हुई है। अगर अनुमति नहीं मिलती, तो क्या कांग्रेस शांतिपूर्वक रैली को स्थगित करेगी, या फिर प्रशासन की मनाही के बावजूद सड़क पर उतरकर विरोध जताएगी, यह आने वाला समय बताएगा।

निष्कर्ष

  • सहारनपुर में प्रस्तावित कांग्रेस की बाइक रैली वर्तमान राजनीतिक और प्रशासनिक परिस्थितियों के बीच फंसी हुई है। जहां एक ओर कांग्रेस इसे जनहित से जुड़ा मुद्दा बता रही है, वहीं प्रशासन कानून व्यवस्था का हवाला देकर सतर्कता बरत रहा है। धारा 163 के चलते स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। रविवार को यह साफ हो जाएगा कि क्या लोकतांत्रिक विरोध का यह प्रयास प्रशासनिक दीवारों को लांघ पाएगा या नहीं। लेकिन एक बात स्पष्ट है — यह मामला केवल एक रैली का नहीं, बल्कि राजनीतिक अभिव्यक्ति की आज़ादी और प्रशासनिक रवैये की पारदर्शिता का भी है।

News Editor- (Jyoti Parjapati)

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