Modern policing : आरक्षियों के प्रशिक्षण पर विशेष जोर आधुनिक पुलिसिंग और व्यावहारिक दक्षताओं की ओर कदम

उत्तर प्रदेश पुलिस के प्रशिक्षण तंत्र को और अधिक प्रभावी व आधुनिक बनाने के उद्देश्य से अपर पुलिस महानिदेशक (ADG) ने हाल ही में प्रशिक्षण केंद्र का दौरा करते हुए कई महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि नव नियुक्त आरक्षियों को केवल पारंपरिक प्रशिक्षण तक सीमित न रखते हुए उन्हें आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए। इसके लिए प्रशिक्षण में अनुशासन, शारीरिक फिटनेस, कानूनी ज्ञान और जनता के साथ व्यवहार संबंधी कौशलों को प्राथमिकता दी जा रही है।
अपर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि एक दक्ष और जिम्मेदार पुलिस बल तैयार करने के लिए सबसे जरूरी है कि आरक्षियों को व्यावहारिक परिस्थितियों से रूबरू कराया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रशिक्षण केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहे, बल्कि फील्ड में उपयोगी तकनीकों और रणनीतियों पर आधारित हो। उन्होंने प्रशिक्षण अधिकारियों को निर्देशित किया कि हर आरक्षी को कानून व्यवस्था बनाए रखने की तकनीक, अपराध नियंत्रण की रणनीतियों और संवेदनशील परिस्थितियों में व्यवहारिक निर्णय लेने की योग्यता दी जानी चाहिए। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया कि केस स्टडी, मॉक ड्रिल, सिमुलेशन और रीयल-टाइम पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रमों को प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
उन्होंने पुलिसिंग के क्षेत्र में तेजी से बदलते परिदृश्य का उल्लेख करते हुए बताया कि आज की दुनिया में पुलिस अधिकारियों को डिजिटल साक्ष्य, सोशल मीडिया निगरानी, साइबर क्राइम, सीसीटीवी फुटेज विश्लेषण, और अन्य तकनीकी पहलुओं की गहरी समझ होनी चाहिए। इसके लिए, आरक्षियों को डिजिटल उपकरणों के कुशल उपयोग का प्रशिक्षण अनिवार्य है। उन्होंने डायल-112 जैसी आपातकालीन सेवाओं से प्रभावी समन्वय के प्रशिक्षण पर भी विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। डायल-112, जो राज्य की त्वरित प्रतिक्रिया सेवा है, उसमें पुलिसकर्मियों की भूमिका बहुत ही अहम होती है। ऐसे में यह जरूरी है कि प्रशिक्षु आरक्षियों को इस सेवा की कार्यप्रणाली और तकनीकी संचालन की जानकारी हो।
प्रशिक्षण केंद्रों में संसाधनों की उपलब्धता और उनके बेहतर उपयोग को लेकर भी समीक्षा की गई। समीक्षा के दौरान कुछ प्रशिक्षण अधिकारियों ने संसाधनों की कमी और तकनीकी सहायता के अभाव की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जिस पर अपर पुलिस महानिदेशक ने त्वरित संज्ञान लिया और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण तभी प्रभावी हो सकता है जब प्रशिक्षकों को आवश्यक उपकरण, तकनीकी सहयोग और वातावरण मिले।

इसके अतिरिक्त, अपर पुलिस महानिदेशक ने प्रशिक्षण के दौरान फीडबैक प्रणाली को और अधिक सुदृढ़ बनाने की बात कही। उन्होंने प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे आरक्षियों से सीधा संवाद किया और उनकी कठिनाइयों, सुझावों तथा अनुभवों को समझने का प्रयास किया। यह फीडबैक प्रणाली केवल समस्या पहचान के लिए नहीं बल्कि प्रशिक्षण गुणवत्ता सुधारने के लिए भी एक आधार बनेगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षकों की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे नवीनतम तकनीकों और विधियों से अवगत हैं तथा उन्हें प्रभावी ढंग से प्रयोग कर रहे हैं।
समीक्षा बैठक के दौरान अपर पुलिस महानिदेशक ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस बल की छवि जनता में केवल कानून लागू करने वाले बल के रूप में नहीं बल्कि एक सेवा प्रदाता और विश्वासपात्र के रूप में बननी चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आरक्षियों को जनता से संवाद, सामुदायिक पुलिसिंग और नागरिकों के प्रति संवेदनशीलता जैसे मानवीय पहलुओं की भी गहन समझ हो। उन्होंने कहा कि एक अच्छा पुलिसकर्मी वह होता है जो न केवल कानून की रक्षा करता है, बल्कि आम जनता के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार भी करता है।
उन्होंने महिला सुरक्षा, बाल अपराध, साइबर अपराध और संवेदनशील समुदायों के मामलों में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि इन विशिष्ट विषयों पर विशेषज्ञों को बुलाकर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएं, ताकि आरक्षियों को जमीनी स्तर पर इन मुद्दों की गहराई से जानकारी हो और वे इन्हें प्रभावी ढंग से संभाल सकें।
अपर पुलिस महानिदेशक ने यह भी कहा कि समय के साथ पुलिस बल को लगातार अपडेट करने की आवश्यकता है, और यह तभी संभव है जब प्रशिक्षण प्रणाली में निरंतर नवाचार और सुधार होते रहें। उन्होंने सुझाव दिया कि हर छह महीने में प्रशिक्षण की समीक्षा की जाए और आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रम में बदलाव किया जाए। उन्होंने प्रशिक्षण अधिकारियों से कहा कि वे अन्य राज्यों और देशों के प्रशिक्षण मॉडलों का अध्ययन करें और उनमें से उपयोगी पहलुओं को अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल करें।
उन्होंने प्रशिक्षण में “अनुशासन” को सबसे बड़ी प्राथमिकता देने की बात कही और कहा कि अनुशासन के बिना कोई भी पुलिसकर्मी प्रभावी नहीं बन सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रशिक्षण के दौरान किसी भी प्रकार की लापरवाही, अनुपस्थिति या अनुचित व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए नियमित मूल्यांकन और अनुशासनात्मक कार्रवाई की नीति अपनाई जाएगी।
सारांशतः अपर पुलिस महानिदेशक की यह पहल न केवल उत्तर प्रदेश पुलिस बल की कार्यक्षमता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि इससे भविष्य के आरक्षियों में आधुनिक पुलिसिंग की समझ, तकनीकी दक्षता, संवेदनशीलता और व्यावहारिक निर्णय क्षमता का विकास होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि जब ये आरक्षक मैदान में उतरें, तो वे न केवल कानून के रक्षक हों, बल्कि जनता के सच्चे सेवक और समाज के प्रति उत्तरदायी अधिकारी बनें।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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