Policeman : पुलिस थाने में पुलिसकर्मी की पिटाई के आरोपी दिल्ली के वकील को जमानत मिली

नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने 30 और 31 जुलाई की रात को आनंद विहार पुलिस थाने के अंदर एक पुलिसकर्मी की पिटाई करने केआरोपी वकील को शुक्रवार को जमानत दे दी। इस मामले में वकील 6 अगस्त से न्यायिक हिरासत में था। घटना का वीडियो वायरल हो गया था। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने सतीश कुमार को 15,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि के जमानत बांड पर जमानत दे दी।
अदालत ने कहा, “आरोपी कड़कड़डूमा बार एसोसिएशन, दिल्ली का सदस्य और एक वकील है। एक बार सदस्य/वकील से यह अपेक्षा की जाती है कि वह सार्वजनिक अधिकारियों के साथ संबंध बनाते समय पेशेवर और गरिमापूर्ण तरीके से काम करेगा।” अदालत ने गंभीरता से लेते हुए कहा, “आरोपी के कृत्य ने बार संस्था की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और अदालत में उपस्थित आरोपी के वकील ने यह विश्वास व्यक्त किया है कि आरोपी का कृत्य उचित नहीं था, हालांकि यह पुलिस अधिकारी एच.सी. प्रकाश के कारण हुई हाथापाई का परिणाम था, जो पुलिस थाने में नशे में था।”
अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि वर्तमान मामले में आरोपी सतीश कुमार 6 अगस्त, 2022 से न्यायिक हिरासत में है। यह घटना 31 जुलाई, 2022 की है, जब आरोपी पर आनंद विहार थाने में हेड कांस्टेबल के काम में बाधा डालने और उसे चोट पहुँचाने का आरोप है। अदालत ने कहा कि हिरासत में पूछताछ की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इसकी अनुमति पहले ही दी जा चुकी है। न्यायालय ने कहा, “आईपीसी की धारा 332 और 353 के तहत अपराध को छोड़कर सभी अपराध जमानती प्रकृति के हैं, जिनमें क्रमशः तीन वर्ष और दो वर्ष तक की सजा का प्रावधान है।

आरोपी की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रवीण चौधरी, दुष्यंत चौधरी, सत्य प्रकाश गौतम और अन्य ने तर्क दिया कि आरोपी 6 अगस्त, 2022 से हिरासत में है और पुलिस हिरासत के दौरान उससे कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। आरोपी एक वकील है और अपने सगे भाई अजय की मदद के लिए ही पुलिस स्टेशन गया था। यह भी तर्क दिया गया कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से विरत करने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) और 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से विरत करने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत अपराध को छोड़कर सभी कथित अपराध जमानती हैं।
ज़मानत याचिका का विरोध करते हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक ने दलील दी कि घटना वाली रात पीड़ित, जो एक लोक सेवक है, को आरोपियों और उनके साथियों ने थाने में कथित तौर पर पीटा था। आरोपियों को ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए। आरोप लगाया गया कि 6 अगस्त को एचसी प्रकाश उपरोक्त व्यक्तियों द्वारा थाने में की गई क्रूर और अमानवीय मारपीट का वायरल वीडियो लेकर थाने में आए और 31 जुलाई की रात की घटना से संबंधित अपना बयान दिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें उनके कर्तव्य को पूरा करने से रोका गया और अजय, सतीश मयंक, अंश, साहब सिंह, केशव, राहुल, सौरव और उनके साथियों द्वारा पीटा गया।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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