Aak and Dhatura : सावन विशेष – महादेव को क्यों प्रिय है भांग, आक और धतूरा? ‘नीलकंठ’ से है कनेक्शन ?

Aak and Dhatura : सावन विशेष – महादेव को क्यों प्रिय है भांग, आक और धतूरा? ‘नीलकंठ’ से है कनेक्शन

Aak and Dhatura : सावन विशेष - महादेव को क्यों प्रिय है भांग, आक और धतूरा? ‘नीलकंठ’ से है कनेक्शन ?
Aak and Dhatura : सावन विशेष – महादेव को क्यों प्रिय है भांग, आक और धतूरा? ‘नीलकंठ’ से है कनेक्शन ?

 

  • नई दिल्ली, । सावन का महीना भगवान शिव और उनके भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। महादेव अपने भक्तों पर जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं, चाहे वह इंसान हो, देवता या असुर। शिव को प्रसन्न करने के लिए न तो महंगी मिठाइयों की जरूरत है न ही जटिल पूजा विधि की। बेलपत्र, भांग, आक, धतूरा और एक लोटा जल ही उनके लिए काफी है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा कि भगवान शिव को भांग, आक और धतूरा क्यों प्रिय है? इसके पीछे ‘नीलकंठ’ से जुड़ा पौराणिक और आध्यात्मिक कनेक्शन है, जिसका उल्लेख शिव पुराण और भगवती पुराण में मिलता है। भगवान शिव श्रृंगार के रूप में धतूरा, आंकड़े के फूल और बेल पत्र स्वीकारते हैं। शिवजी का यह उदार रूप इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज में जिन चीजों का त्याग कर दिया गया, महादेव उन चीजों को स्वीकार लें ताकि, उनका सेवन अन्य लोग नहीं कर सके। भोलेनाथ उन चीजों को स्वीकार लेते हैं, जो लोगों को त्यागने की सलाह दी जाती है।
  • जिसके इस्तेमाल से लोगों को दूर रहने को कहा जाता है, ताकि उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर ना पड़े। शिव उसे अपने पर अर्पित करने को कहते हैं ताकि लोग इसके उपयोग से बच सकें। शिव पुराण के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत के लिए देवताओं और असुरों में खींचतान हो रही थी, तब समुद्र से ‘हलाहल’ नामक विष निकला। यह विष इतना भयंकर था कि वह तीनों लोकों को नष्ट कर सकता था। सभी देवता और असुर भयभीत हो गए, लेकिन भगवान शिव ने विश्व के कल्याण के लिए इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया, जिसके कारण उन्हें ‘नीलकंठ’ कहा गया।
    Aak and Dhatura : सावन विशेष - महादेव को क्यों प्रिय है भांग, आक और धतूरा? ‘नीलकंठ’ से है कनेक्शन ?
    Aak and Dhatura : सावन विशेष – महादेव को क्यों प्रिय है भांग, आक और धतूरा? ‘नीलकंठ’ से है कनेक्शन ?
  • भगवती पुराण के अनुसार, ‘हलाहल’ को बेअसर करने के लिए मां शक्ति प्रकट हुईं और उन्होंने महादेव के ऊपर भांग, धतूरा और आक जैसे प्राकृतिक और जंगली फल-फूल का लेप लगाने के साथ ही जल अर्पित किया। माता के साथ ही सभी देवी-देवताओं ने भी महादेव के सिर पर औषधीय गुणों से भरपूर भांग, आक, धतूरा और जल चढ़ाया, जिससे महादेव के मस्तिष्क का ताप कम हुआ। यही वजह है कि ये चीजें उनकी पूजा में महत्वपूर्ण बन गए। सावन में शिवलिंग पर भांग, धतूरा और आक चढ़ाने की परंपरा भक्तों के बीच गहरी आस्था का प्रतीक है। बेलपत्र और जल के साथ ये जंगली फल-फूल शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनते हैं। मान्यता है कि इनके अर्पण से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सुख-शांति आती है और महादेव प्रसन्न होते हैं।

 

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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