Degree conferred : गाजियाबाद में पंडित बीके शर्मा हनुमान जी को मातृ-पितृ सेवा उपाधि से सम्मानित

गाजियाबाद जनपद स्थित हिंदी भवन में दिनांक विशेष पर एक भव्य और गरिमामय आयोजन में विश्व ब्रह्म ऋषि ब्राह्मण महासभा के तत्वावधान में एक ऐतिहासिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में पीठाधीश्वर पंडित बीके शर्मा हनुमान जी को उनकी अद्वितीय सेवाभावना, विशेष रूप से मातृ-पितृ सेवा में समर्पण को सम्मानित करते हुए उन्हें “सरवन कुमार उपाधि” प्रदान की गई। यह उपाधि उन्हें एक स्मृति चिन्ह, चांदी की सोल माला और पगड़ी पहनाकर भव्य रूप में प्रदान की गई, जो समाज में एक मिसाल कायम करने वाले उनके कार्यों को सम्मान देने का प्रतीक था।
कार्यक्रम में देश और प्रदेश की राजनीति, समाजसेवा और चिकित्सा जगत के दिग्गजों की उपस्थिति ने इसे और अधिक विशेष बना दिया। इस विशेष अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ सांसद पंडित महेश चंद्र शर्मा, राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल, गाजियाबाद सदर विधायक संजीव, पूर्व विधायक सुरेंद्र मनी, गाजियाबाद के वर्तमान माननीय सांसद अतुल गर्ग, वृंदावन हॉस्पिटल के डायरेक्टर बृजपाल शर्मा, पंडित अमरनाथ शर्मा, पंडित तीर्थ प्रकाश फर्स वाले, डॉ. संदीप शर्मा सहित समाज के प्रतिष्ठित चेहरे एवं हजारों की संख्या में आम नागरिक और ब्राह्मण समाज के सदस्य उपस्थित रहे।
समारोह का उद्देश्य केवल एक व्यक्ति को सम्मानित करना नहीं था, बल्कि इसके माध्यम से एक व्यापक संदेश देना था कि आज के आधुनिक समय में भी मातृ-पितृ सेवा सर्वोपरि है। पंडित बीके शर्मा हनुमान जी को यह उपाधि प्रदान करते समय वक्ताओं ने यह बताया कि उन्होंने अपने जीवन में अपने माता-पिता की जिस श्रद्धा, समर्पण और सेवा भावना के साथ देखभाल की है, वह इस कलियुग में दुर्लभ है। उन्होंने इस संबंध में समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि कैसे एक पुत्र अपने माता-पिता को ईश्वर तुल्य मानकर जीवन पर्यंत उनकी सेवा कर सकता है।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ताओं ने अपने उद्बोधन में भारतीय संस्कृति में माता-पिता के स्थान पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जब संतान अपने माता-पिता की सेवा करती है तो वह न केवल अपने कर्तव्यों का पालन करता है, बल्कि समाज में संस्कारों की मजबूत नींव रखता है। आज के समय में जब पारिवारिक संरचना में बदलाव आ रहा है और युवा पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति की ओर आकर्षित हो रही है, तब पंडित बीके शर्मा हनुमान जी का यह कार्य अत्यंत प्रेरणादायक है।
सभी अतिथियों ने मंच से अपने विचार रखते हुए उन्हें बधाई दी और उनके जीवन से सीख लेने की प्रेरणा दी। साथ ही, ब्राह्मण समाज की एकजुटता, संस्कृति, संस्कार और सामाजिक योगदान पर भी चर्चा की गई। वक्ताओं ने बताया कि ब्राह्मण समाज हमेशा से ही ज्ञान, सेवा, तप और त्याग का प्रतीक रहा है और इस तरह के आयोजनों से यह परंपरा और भी सुदृढ़ होती है।

सम्मान समारोह के दौरान मंच को भव्य रूप से सजाया गया था। पूरे कार्यक्रम के दौरान श्रद्धा, भक्ति और गौरव का वातावरण बना रहा। जहां एक ओर संस्कृत श्लोकों और वैदिक मंत्रोच्चार से माहौल धार्मिक बना रहा, वहीं दूसरी ओर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और भजनों ने लोगों को भावविभोर कर दिया। पूरे समारोह में एक अनुशासित और आध्यात्मिक ऊर्जा व्याप्त रही, जिसमें उपस्थित जनसमूह भावनात्मक रूप से जुड़ा रहा।
समारोह में उपस्थित अतिथियों द्वारा पंडित बीके शर्मा हनुमान जी को शॉल, पुष्पमालाएं, प्रतीक चिन्ह आदि देकर उन्हें सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पीठाधीश्वर शर्मा जी ने अपने उद्बोधन में यह कहा कि यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी के लिए है जो अपने माता-पिता को जीवन का आधार मानते हैं। उन्होंने कहा कि यदि हर संतान अपने माता-पिता की सेवा को अपना धर्म मान ले, तो समाज में कभी वृद्धाश्रमों की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। माता-पिता के आशीर्वाद से बड़ा कोई वरदान नहीं होता।
कार्यक्रम में मौजूद सांसद और विधायकों ने ब्राह्मण समाज की भूमिका की सराहना करते हुए समाज को एकजुट होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने पंडित बीके शर्मा हनुमान जी को ‘समाज के सच्चे रत्न’ की संज्ञा दी और कहा कि उनके जैसे व्यक्तित्व समाज को नई दिशा और सोच प्रदान करते हैं।
वृंदावन हॉस्पिटल के डायरेक्टर बृजपाल शर्मा ने भी मंच से बोलते हुए कहा कि सेवा का कोई मोल नहीं होता, और जब वह सेवा अपने जीवनदाता—माता-पिता—की हो, तो वह सेवा नहीं, तपस्या बन जाती है। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम न केवल एक सम्मान समारोह है, बल्कि यह हमें हमारे जीवन के मूल्यों की याद दिलाने वाला एक जागरूकता कार्यक्रम भी है।
आयोजन की सफलता का श्रेय आयोजकों की कड़ी मेहनत और उत्कृष्ट योजना को जाता है। कार्यक्रम की व्यवस्थाएं उत्तम थीं, और सभी आगंतुकों को उचित सम्मान और आतिथ्य मिला। भोजन, जलपान, स्वागत-सत्कार से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक, हर पहलू में भव्यता और गरिमा दिखाई दी।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजकों ने सभी आगंतुकों, गणमान्य अतिथियों, मीडिया प्रतिनिधियों और स्वयंसेवकों का आभार प्रकट किया। यह आयोजन न केवल गाजियाबाद, बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया और समाज में संस्कार, सेवा और सम्मान जैसे मूल्यों को और भी मजबूत करने का प्रेरणास्त्रोत बना।
इस प्रकार, हिंदी भवन गाजियाबाद में आयोजित यह सम्मान समारोह एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक आयोजन के रूप में हमेशा स्मरणीय रहेगा, जिसमें पंडित बीके शर्मा हनुमान जी जैसे समाजसेवी को मातृ-पितृ सेवा सरवन कुमार उपाधि से सम्मानित कर समाज को यह सशक्त संदेश दिया गया कि माता-पिता की सेवा ही सच्ची ईश्वर भक्ति है, और जो संतान इस मार्ग पर चलती है, वही सच्चे अर्थों में जीवन में सफल और धन्य कहलाती है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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