Dr. Anurag : इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी ने डॉ. अनुराग संग सीपीआर प्रशिक्षण से जागरूकता बढ़ाई

आज दिनांक 10 दिसंबर 2025 को प्रातः 9 बजे इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के तत्वावधान में जन–जागरूकता के लिए एक महत्वपूर्ण सीपीआर (कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन) प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम जिले के दो प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों— पुलिस मॉडर्न स्कूल, 12वीं वाहिनी पीएसी तथा सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, खुशवक्तराय नगर, फ़तेहपुर में संपन्न हुआ।
इस प्रशिक्षण सत्र का संचालन इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी उत्तर प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य एवं फ़तेहपुर शाखा के चेयरमैन डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने किया, जिन्होंने उपस्थित छात्र–छात्राओं, शिक्षकों एवं अन्य प्रतिभागियों को सीपीआर की क्रियाविधि विस्तार से समझाई।
डॉ. अनुराग ने अपने सम्बोधन में बताया कि सीपीआर एक ऐसी जीवन-रक्षक तकनीक है, जिसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी व्यक्ति का हृदय अचानक धड़कना बंद कर देता है। आमतौर पर दिल की धड़कन रुकने पर व्यक्ति बेहोश हो जाता है और उसका सांस लेना भी बंद हो सकता है। ऐसी स्थिति में यदि आसपास मौजूद लोग तुरंत सीपीआर देना शुरू कर दें, तो व्यक्ति के जीवन को बचाने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि अस्पताल या एम्बुलेंस के आने में होने वाली देरी के दौरान यह तकनीक व्यक्ति की जान बचाने में निर्णायक साबित होती है।
उन्होंने समझाया कि एक वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को सीपीआर देते समय एक विशेष क्रम का पालन किया जाता है—
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पहले 30 बार छाती पर दबाव (Chest Compressions) दिया जाता है।
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इसके बाद दो बार मुंह से सांस देना (Rescue Breaths) होता है।
इस प्रक्रिया को बिना रुके तब तक दोहराना चाहिए जब तक हृदय की धड़कन वापस न लौट आए या चिकित्सा सहायता उपलब्ध न हो जाए।
इसके साथ ही, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों में सीपीआर की प्रक्रिया थोड़ी अलग होती है, क्योंकि शिशुओं की शारीरिक बनावट को ध्यान में रखते हुए दबाव हल्का और नियंत्रित होना चाहिए। शिशुओं में—

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15 बार हल्का दबाव,
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और 2 बार सांस देना आवश्यक बताया गया।
डॉ. अनुराग ने बताया कि शिशुओं में सीपीआर बेहद सावधानी और कोमलता के साथ करना चाहिए ताकि किसी प्रकार की शारीरिक क्षति न हो और सही तरीके से जीवन-रक्षक सहायता मिल सके।
प्रशिक्षण सत्र के दौरान उन्होंने मैनिकिन (Dummy) की सहायता से सीपीआर की विधि का व्यवहारिक प्रदर्शन भी किया, जिससे विद्यार्थियों और उपस्थित लोगों को वास्तविक परिस्थिति में इस तकनीक को अपनाने का आत्मविश्वास प्राप्त हुआ। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सीपीआर एक ऐसी कला है जिसे हर व्यक्ति को सीखना चाहिए, चाहे वह छात्र हो, शिक्षक, गृहिणी, ड्राइवर या किसी भी पेशे से जुड़ा नागरिक। आपात स्थिति में यह प्रशिक्षण सामान्य व्यक्ति को भी किसी की जान बचाने में सक्षम बना देता है।
उन्होंने बताया कि भारत में प्रतिवर्ष हजारों लोगों की मृत्यु सिर्फ इसलिए हो जाती है क्योंकि आसपास मौजूद लोग सीपीआर देना नहीं जानते। यदि स्कूल स्तर पर ही इस प्रकार के प्रशिक्षण अनिवार्य कर दिए जाएं, तो देश में जीवन-रक्षक जागरूकता का स्तर अत्यधिक बढ़ सकता है।
इस अवसर पर प्रधानाचार्या सीमा शुक्ला, पंकज मिश्र, तथा इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य सुरेश कुमार श्रीवास्तव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। उन्होंने डॉ. अनुराग के इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न केवल छात्रों को जीवन-मूल्य सिखाते हैं, बल्कि समाज में जागरूकता फैलाने का एक मजबूत माध्यम भी बनते हैं।
विद्यालय के शिक्षकों ने भी बताया कि छात्र इस प्रशिक्षण को लेकर बेहद उत्साहित थे। कई विद्यार्थियों ने कहा कि यह पहली बार था जब उन्होंने सीपीआर को इतना नजदीक से सीखा और समझा। उन्होंने महसूस किया कि आपात स्थितियों में यह ज्ञान कितना उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
कार्यक्रम के अंत में डॉ. अनुराग ने सभी विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अपने परिवार, पड़ोस और समाज में भी इस जानकारी को आगे साझा करें, ताकि अधिक से अधिक लोग जीवन-रक्षक तकनीकों से परिचित हों। उन्होंने यह भी संदेश दिया कि संकट की घड़ी में घबराने के बजाय संयम और प्रशिक्षण के साथ कार्य करना चाहिए, क्योंकि सही समय पर दिया गया एक कदम किसी की पूरी ज़िंदगी बदल सकता है।
इस सफल आयोजन ने न केवल प्रतिभागियों को सीपीआर का व्यावहारिक ज्ञान दिया, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति सचेत और जागरूक होने का मजबूत संदेश भी प्रसारित किया।
इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी द्वारा ऐसे प्रशिक्षण भविष्य में भी आयोजित किए जाते रहेंगे, जिससे आपातकालीन स्थितियों में अधिक से अधिक लोग मददगार बन सकें।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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