I Love Mohammed : अलीगढ़ में मंदिर पर “आई लव मोहम्मद” लिखने वाले चार हिंदू युवक साजिश में गिरफ्तार हुए

यह मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ (थाना लोढ़ा क्षेत्र) से सामने आया है, जहाँ कुछ हिंदू युवकों द्वारा मंदिरों की दीवारों पर “I LOVE MOHAMMAD” लिखे जाने की घटना ने सामाजिक व कानूनी दोनों स्तरों पर हलचल मचा दी है। पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि यह कार्य सामाजिक–साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का नहीं, बल्कि एक निजी संपत्ति विवाद को धार्मिक रंग देने की साजिश थी।
घटना का पूरा क्रम
25 अक्टूबर 2025 को लोढ़ा थाना क्षेत्र के गाँवों भगवानपुर और बुलकगढ़ी में चार-पाँच मंदिरों की दीवारों पर “I LOVE MOHAMMAD” लिखे नारे पाए गए। घटना के बाद इलाके में तनाव फैलने की संभावना देख पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पर पहुंची, सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई, लेखन के नमूने लैब भेजे गए।
प्रारंभ में इस घटना के आधार पर मुस्लिम समुदाय के कई लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था—जिनमें मुस्तकीम, गुल मोहम्मद, सुलेमान, सोनू, अल्लाहबख्श, हसन, हामिद और यूसुफ के नाम भी शामिल थे।
विषय-वस्तु और खुलासा
हालाँकि आगे की जांच में पाया गया कि इस पूरे मामले का मूल कारण जमीन-संपत्ति को लेकर चल रहा पुराना विवाद था। पुलिस ने बताया कि इन मंदिरों पर लिखे गए नारे स्पेलिंग त्रुटियों के कारण, और पूर्व में दर्ज मुकदमों एवं कार्रवाईकों के रिकॉर्ड की पड़ताल करके यह निष्कर्ष निकाला गया कि यह कोई साम्प्रदायिक हमला नहीं था बल्कि एक पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष को फँसाने की योजना थी।
इसमें गिरफ्तार हुए चार युवकों के नाम सामने आए हैं: जीशांत सिंह, आकाश सारस्वत, दिलीप शर्मा एवं अभिषेक सारस्वत। इन चार आरोपियों के खिलाफ यह पाया गया कि उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी पक्ष के व्यक्ति को फँसाने के लिए उक्त लेखन करवाया था।
उदाहरण के लिए: 2024 में गुल मोहम्मद के पक्ष का विवाद Mukesh के परिवार से हुआ था, इसी तरह सितंबर 2025 में मुस्तकीम व जीशांत के बीच झगड़ा भी हुआ था।

पुलिस की कार्रवाई व सामाजिक असर
उपरोक्त खुलासों के बाद पुलिस ने पुराने दर्ज मुकदमों पर पुनर्विचार किया है—जिसमें मंदिरों पर लिखे नारे के कारण मुस्लिम पक्ष के नाम दर्ज प्रकरणों को पुनर्जीवित रूप से देखा जा रहा है।
एसएसपी नीरज कुमार जादौन ने कहा है कि इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया गया और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
सामाजिक तौर पर यह घटना अहम इसलिए है क्योंकि धार्मिक स्थलों की दीवारों पर लेखन-भित्ति आमतौर पर सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील माना जाता है, और यदि इसे निजी विवाद की भाषा से जोड़ा जाए तो इसका असर सामाजिक शांति पर पड़ सकता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, अलीगढ़ में मंदिरों की दीवारों पर ‘I LOVE MOHAMMAD’ लिखे जाने की घटना शुरू में एक साम्प्रदायिक विवाद की तरह सामने आई, लेकिन आगे की तहकीकात में यह स्पष्ट हुआ कि यह एक निजी संपत्ति विवाद के संदर्भ में दूसरे पक्ष को फँसाने का प्रयास था। पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की गहराई से जाँच जारी है।
यदि आप चाहें, तो मैं इस मामले के कानूनी पहलू (उदाहरण के रूप में कौन-कौन से धाराएँ लागू हुईं), या प्रदेश में इसी तरह की अन्य घटनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत कर सकता हूँ। आप किस दिशा में जानकारी चाहेंगे?
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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