Important decision of High Court : दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला: तबलीगी जमात से जुड़े 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ सभी मामले रद्द

दिल्ली हाईकोर्ट:- ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तबलीगी जमात से जुड़े 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ कोविड-19 फैलाने के आरोप में दर्ज किए गए सभी केस रद्द कर दिए हैं। यह फैसला पांच साल बाद आया है, जब कोरोना महामारी के शुरुआती दौर में इन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किए गए थे। कोर्ट ने इन 70 भारतीयों के खिलाफ दर्ज 16 एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया, जिनमें कई गंभीर आरोप थे। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने यह फैसला सुनाया और खुले कोर्ट में यह घोषणा की कि इन सभी मामलों की कार्यवाही रद्द की जाती है।
कोविड-19 महामारी के दौरान तबलीगी जमात पर लगे थे गंभीर आरोप
- मार्च 2020 में जब भारत में कोविड-19 महामारी ने खतरनाक रूप धारण किया था, तब तबलीगी जमात को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। आरोप था कि तबलीगी जमात के कुछ भारतीय और विदेशी सदस्य देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान दिल्ली के विभिन्न मस्जिदों में छुपकर बैठकर कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने का काम कर रहे थे। इन आरोपों में भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किए गए थे, जिनमें आपराधिक साजिश (Section 120-B) और महामारी अधिनियम की धारा 3 का उल्लंघन भी शामिल था।
- इसके अलावा, इन आरोपों में कहा गया था कि इन लोगों ने 24 से 30 मार्च 2020 के बीच लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में स्थित तबलीगी जमात के मरकज़ में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों को ठहराया था, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हुआ था। हालांकि, कोर्ट ने अब इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया है, और इन 70 भारतीयों को बाइज्जत बरी कर दिया है।
Important decision of High Court : दिल्ली हाईकोर्ट का अहम फैसला: तबलीगी जमात से जुड़े 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ सभी मामले रद्द
मीडिया और सरकारी आरोपों के बीच खारिज हुए मामले
- कोविड-19 महामारी के शुरुआती दिनों में जब तबलीगी जमात पर आरोप लगने शुरू हुए, तो मीडिया में इसके खिलाफ नेगेटिव कवरेज किया गया था। कई नेताओं और मीडिया रिपोर्टों ने तबलीगी जमात को कोरोना वायरस फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया। सरकार ने इस मामले में 950 से ज्यादा विदेशी नागरिकों को ब्लैकलिस्ट भी किया था, जिनके बारे में आरोप था कि उन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रमों में भाग लिया था। इस दौरान यह आरोप भी था कि इन लोगों ने आपातकालीन स्वास्थ्य नियमों का उल्लंघन किया और वायरस के प्रसार में योगदान दिया।
- इन आरोपों के बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने महामारी रोग अधिनियम, 1897 की धारा 3 और आईपीसी की धाराएं 188, 269, 270, 120-बी और 271 के तहत सात भारतीयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। हालांकि, इन आरोपों के बावजूद, अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इन सभी मामलों को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने यह आदेश दिया कि इन आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं था और इनमें से अधिकांश मामलों में सही तथ्य नहीं थे।
कोर्ट का आदेश: पांच साल बाद मिली राहत
- पांच साल तक चलने वाले इस कानूनी विवाद का अंत अब हुआ है। तबलीगी जमात से जुड़े 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ कोविड-19 फैलाने के आरोप में दर्ज किए गए मामलों को कोर्ट ने अब पूरी तरह से खारिज कर दिया है। इस फैसले के बाद उन लोगों ने राहत की सांस ली है, जिन पर बिना किसी ठोस प्रमाण के आरोप लगाए गए थे। इस फैसले को उन लोगों के लिए बड़ी न्यायिक जीत माना जा रहा है, जिनकी छवि और मान-सम्मान पर इसके कारण बुरा असर पड़ा था।
- इस फैसले को लेकर तबलीगी जमात के समर्थकों ने इसे सत्य की जीत बताया है। इससे पहले इस मामले में कई विवाद पैदा हो चुके थे, जिसमें सरकार, मीडिया और सामाजिक संगठनों ने जमात के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां की थीं। अब, कोर्ट के इस फैसले से यह साबित हो गया कि आरोपों के खिलाफ कोई ठोस प्रमाण नहीं थे। इस फैसले के बाद अब यह उम्मीद जताई जा रही है कि कोविड-19 महामारी से जुड़ी अन्य कानूनी कार्रवाईयों को भी पुनः जांचने का वक्त आ गया है, ताकि सही तथ्यों के आधार पर न्याय किया जा सके।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)