In broad daylight : पुलिस की निष्क्रियता के चलते संपादक पर दिन-दहाड़े जानलेवा हमला, पत्रकारों में भारी आक्रोश

हस्तिनापुर में दिनदहाड़े पत्रकार पर हमला: पुलिस की निष्क्रियता पर उठे सवाल
- हस्तिनापुर में कानून व्यवस्था की हालत एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है, जहां दिनदहाड़े हुए एक पत्रकार पर जानलेवा हमला पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर कर गया। यह शर्मनाक घटना तब हुई जब एक स्थानीय अखबार के संपादक रोहित दिलावर पर कुछ युवकों ने धारदार हथियारों से हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए। रोहित दिलावर को सिर में गंभीर चोटें आई हैं और उनका दाहिना हाथ भी टूट चुका है। इस समय वे अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं।
- घटना को लेकर सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि पीड़ित पत्रकार ने पहले ही संबंधित पुलिस अधिकारियों, विशेषकर एसपी देहात, को संभावित खतरे के बारे में सूचित कर दिया था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि क्या पुलिस तब कार्रवाई करेगी जब उन्हें गोली लग जाएगी? इसके बावजूद पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया और आरोपियों को खुला छोड़ दिया गया, जिसका नतीजा इस गंभीर हमले के रूप में सामने आया।
- स्थानीय पत्रकारों और समाज के जागरूक नागरिकों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है। हमले के विरोध में क्षेत्र के दर्जनों पत्रकार थाने पहुंचे और जोरदार प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि यह हमला सिर्फ एक व्यक्ति पर नहीं, बल्कि पूरी पत्रकारिता पर है। यह एक ऐसी कोशिश है जिसमें दबाव और हिंसा के माध्यम से स्वतंत्र पत्रकारिता की आवाज को कुचलने की कोशिश की जा रही है। पत्रकारों ने प्रशासन से मांग की है कि आरोपियों पर तत्काल गैंगस्टर एक्ट के तहत कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति कानून को अपने हाथ में लेने की हिम्मत न कर सके।
- यह मामला केवल एक पत्रकार पर हमला नहीं है, बल्कि यह समाज की उस व्यवस्था पर भी करारा तमाचा है, जहां सुरक्षा की गारंटी देने वाली पुलिस आंखें मूंदे बैठी रहती है। अगर एक पत्रकार, जो समाज की सच्चाई उजागर करने का कार्य करता है, वह भी सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिक की सुरक्षा की कल्पना करना भी व्यर्थ है। पत्रकारों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द इस मामले में कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो प्रदेश भर में आंदोलन छेड़ा जाएगा।
- वहीं, अब यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या पुलिस प्रशासन की निष्क्रियता और लापरवाही ही अपराधियों को बढ़ावा दे रही है? रोहित दिलावर ने पहले ही अपने ऊपर खतरे की आशंका जताई थी, फिर भी पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया। इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि पुलिस शिकायतों को कितनी गंभीरता से लेती है, और जब एक संवेदनशील वर्ग की बात तक अनसुनी रह जाती है, तो आम जनता की गुहार का क्या होगा?
- यह घटना न केवल पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की उस विफलता का भी उदाहरण है, जहां आवाज उठाने वालों को चुप कराने की कोशिशें की जाती हैं। अब यह समय है कि सरकार और प्रशासन आंखें खोलें और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं, वरना यह हमला एक खतरनाक सिलसिले की शुरुआत बन सकता है।
- समाज और मीडिया जगत को एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि रोहित दिलावर को न्याय मिले और दोषियों को कड़ी सजा। साथ ही, यह भी जरूरी है कि पुलिस व्यवस्था में सुधार हो ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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