India-US : ट्रंप की वापसी से भारत-अमेरिका साझेदारी और मजबूत, बाइडन से बेहतर दोस्त साबित होंगे

नई दिल्ली: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की हालिया यात्रा पर गए तो डोनाल्ड ट्रंप के साथ मुलाकात में वही पुरानी गर्मजोशी दिखी। दोनों पहले से अच्छे दोस्त हैं और यात्रा के दौरान दोनों ने एक दूसरे की जमकर तारीफ भी की। दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के साथ व्यापार युद्ध छेड़ दिया है, लेकिन भारत को इससे कोई गंभीर नुकसान नहीं हुआ है। भारत ने अमेरिका के साथ कुछ ऐसे सौदे भी किए हैं, जो दोनों देशों के हित में हैं। भारत ने कच्चा तेल-LNG खरीदने का सौदा किया है। वह हथियार भी खरीदेगा।
गलतफहमी दूर: भारत की ओर से पहला काम गलतफहमी दूर करना था। ट्रंप को बताया गया कि राष्ट्रपति चुनाव से पहले अमेरिकी एस्टेब्लिशमेंट ने मोदी पर दबाव डाला था कि वह उनसे न मिलें। इससे दोनों पक्षों के बीच सियासी बाधा दूर हो गई। भारत का भरोसा बढ़ा कि ट्रंप-मोदी की मुलाकात बढ़िया रहेगी। ऐसा ही हुआ भी। सच पूछिए तो यह उम्मीद से बेहतर रही। इस बैठक में दोनों लीडर्स के बीच जो गर्मजोशी दिखी, उस पर चीन की नजर होगी। वह सोच रहा होगा कि ट्रंप, भारत का किस हद तक साथ देंगे। दूसरी ओर, भारत का ध्यान इस पर होगा कि मोदी के साथ मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रंप ने शी चिनफिंग को लेकर सधा हुआ बयान दिया। वहीं, भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर ट्रंप ने मध्यस्थता का ऑफर दिया तो उसे मोदी सरकार की ओर से तुरंत खारिज कर दिया गया।
दोस्ती बनी रहेगी: असल में, ट्रंप की चीन नीति क्या होगी, यह अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन भारत को लेकर उनकी नीति साफ है। भारत-अमेरिका की साझेदारी पहले की तरह मजबूत बनी रहेगी। 36 पैरा के संयुक्त बयान में पहले से तय क्षेत्रों में सहयोग जारी रखने की बात है। बाइडन सरकार के दौरान दोनों देशों के संबंधों में जो प्रगति हुई थी, उसे नए स्तर पर ले जाने की बात भी इसमें है। हां, पुरानी पहल को नया नाम दिया गया है ताकि ट्रंप उन्हें अपना कह सकें।
सहयोग जारी: अहम टेक्नॉलजी को लेकर अमेरिका का भरोसा भारत पर बना हुआ है। अमेरिका AI इंफ्रा, छोटे मॉड्युलर रिएक्टर और एडवांस अंडरसी सिस्टम्स भारत को दे सकता है। क्वॉड जैसे संगठनों को लेकर भी सहयोग बना रहेगा। बाइडन सरकार के कार्यकाल में इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर (IMEC) और इंडिया-इस्राइल-US-UAE (I2U2) जैसी पहल को लेकर भी सहयोग जारी रहेगा।
सख्त कदम: आतंकवाद से लड़ाई के मुद्दे पर यह और मजबूत होगा। मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राना का प्रत्यर्पण जल्द हो सकता है। कनाडा में खालिस्तान के नाम पर जो लोग अलगाववाद को बढ़ावा दे रहे हैं, उन पर सख्ती की जाएगी। ट्रंप सरकार को बताया गया है कि ये लोग किस तरह से अवैध प्रवासियों को कनाडा की सीमा से अमेरिका में भेजते हैं। इन लोगों का क्राइम सिंडिकेट, ट्रकों के नेटवर्क पर नियंत्रण है और जो भी उनकी आलोचना करता है, ये लोग उसे खुली धमकी देते हैं।
रक्षा साझेदारी: ट्रंप भारत को हथियार बेचना चाहते हैं, यह पहले से पता था। रक्षा क्षेत्र में भी यात्रा के दौरान साझेदारी मजबूत हुई। भारत ने अमेरिका से और 6 P-81 मैरीटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट खरीदने का वादा किया। भारत और चिनूक हेलिकॉप्टर्स भी खरीद सकता है। दोनों देशों के बीच जैवलिन मिसाइलों और स्ट्राइकर कॉम्बैट वीइकल्स मिलकर बनाने का भी समझौता हुआ है।
लड़ाकू विमान का पेच: जहां तक ट्रंप के भारत को F-35 स्टील्थ फाइटर्स बेचने के प्रस्ताव की बात है तो इसमें शायद प्रगति न हो पाए। अव्वल तो ये लड़ाकू विमान बहुत महंगे हैं। इनके लिए भारी-भरकम तामझाम की भी जरूरत पड़ती है। इससे लागत और बढ़ जाती है। हालांकि, इस प्रस्ताव की समीक्षा का वादा किया गया है। भारत में रूसी डिफेंस सिस्टम S-400 है। अमेरिकी अधिकारी पहले यह देखेंगे कि कहीं S-400 की वजह से F-35 तकनीक लीक तो नहीं होगी। इसके बाद भी अगर भारत के सामने लड़ाकू विमान खरीदने का प्रस्ताव आया तो शर्तें बहुत कड़ी होंगी। ऐसे में यह सौदा भारत के लिए बहुत अर्थपूर्ण नहीं रह जाएगा।
भारत की अहमियत: लेकिन यह बात काफी मायने रखती है कि ट्रंप अमेरिका के बेहतरीन लड़ाकू विमान भारत को बेचना चाहते हैं। पहले कार्यकाल में भी उन्होंने तब की नीति को बदलकर MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन भारत को बेचने का प्रस्ताव किया था। इसी वजह से बाइडन सरकार ने भारत के साथ ड्रोन बेचने की डील की।
कठिनाई दूर हुई: अब आते हैं सीमा शुल्क यानी टैरिफ पर। लगता है कि भारत ने इस मुश्किल को सुलझा लिया है। यह बात सही है कि मोदी संग मुलाकात से कुछ ही समय पहले ट्रंप ने जवाबी टैरिफ लगाने की नीति घोषित की थी। उन्होंने भारत के ऊंचे टैरिफ का भी जब मौका मिला, तब जिक्र किया। लेकिन मोदी और उनकी टीम ने समझौतों पर इसकी आंच नहीं आने दी। योजना द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर एक और कोशिश करने की है, पिछली बार से कहीं अधिक संजीदगी के साथ। इस समझौते के पहले चरण को क्वॉड सम्मेलन के लिए ट्रंप की भारत यात्रा से पहले पूरा करने का वादा किया गया है। यही नहीं, भारत ने हार्ले डेविडसन, bourbon शराब, तकनीकी सामानों पर शुल्क घटा दिया है। ऐसे में आशा है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में दोनों देशों के रिश्ते नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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