looming danger : यमुना किनारे किसानों की ज़मीन पर अवैध रेत खनन का खुलासा पर्यावरण और किसानों की आजीविका पर मंडराया खतरा

सहारनपुर ज़िले के कुंडा कला क्षेत्र में यमुना नदी के किनारे अवैध रेत खनन का एक गंभीर मामला उजागर हुआ है। ग्रामीणों और किसानों ने आरोप लगाया है कि उनकी उपजाऊ ज़मीनों पर बिना अनुमति के भारी मशीनों की मदद से दिन-रात रेत निकाली जा रही है। यह अवैध गतिविधि न केवल पर्यावरण के लिए खतरा बन चुकी है बल्कि किसानों की आजीविका और नदी तट की स्थिरता पर भी गंभीर असर डाल रही है।
अवैध खनन का खुलासा और ग्रामीणों की शिकायतें
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई महीनों से रात के अंधेरे में बड़ी-बड़ी जेसीबी मशीनों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से रेत की निकासी की जा रही है। यह काम कथित रूप से कुछ प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में चल रहा है। किसानों का आरोप है कि यह खनन उनकी ज़मीनों पर हो रहा है, जिन पर वे वर्षों से खेती करते आ रहे हैं।
गांव के किसान रामपाल सिंह ने बताया, “हमने कई बार प्रशासन को इस बारे में सूचना दी, लेकिन कोई अधिकारी मौके पर नहीं आया। हमारी उपजाऊ ज़मीन बर्बाद हो रही है। खेतों में गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिनमें अब पानी भी जमा हो जाता है।”
दूसरे किसान, हरीश चौधरी ने कहा कि पहले जहां गेहूं और गन्ने की अच्छी पैदावार होती थी, अब वह ज़मीन बेकार होती जा रही है। “रेत खनन से मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ परत पूरी तरह हट चुकी है। अब वहां कुछ भी नहीं उगता,” उन्होंने बताया।
प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने कई बार तहसील और जिला प्रशासन को शिकायत दी, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कभी-कभार प्रशासन की टीम पहुंचती भी है, तो खनन माफिया पहले से सतर्क होकर मशीनें और ट्रैक्टर हटा लेते हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क संगठित रूप से काम करता है। क्षेत्र में आने-जाने वाली ट्रॉलियों की निगरानी करने वाले लोग पहले से सूचना दे देते हैं कि अधिकारी क्षेत्र में आ रहे हैं, जिससे वे गतिविधि रोक देते हैं।
पर्यावरण कार्यकर्ता रजनीश शर्मा का कहना है कि यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का परिणाम है। “रेत खनन को रोकने के लिए सरकार ने स्पष्ट नियम बनाए हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इनका पालन नहीं होता। अधिकारी तब तक कार्रवाई नहीं करते जब तक मीडिया या जनता दबाव न बनाए,” उन्होंने कहा।
पर्यावरणीय खतरे और विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, अवैध रेत खनन नदी की पारिस्थितिकी (इकोसिस्टम) के लिए अत्यंत विनाशकारी साबित होता है। यमुना जैसी नदियों में रेत प्राकृतिक जल फिल्टर की भूमिका निभाती है, जो भूजल स्तर को संतुलित रखती है। जब रेत अत्यधिक मात्रा में निकाली जाती है, तो नदी की धारा अस्थिर हो जाती है, तटबंध कमजोर पड़ जाते हैं, और भूजल स्तर तेजी से नीचे चला जाता है।
सहारनपुर के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार ने बताया, “अगर यह खनन नहीं रुका, तो कुछ वर्षों में यमुना नदी का प्रवाह क्षेत्र बदल सकता है। इससे न केवल नदी के किनारे बसे गांव प्रभावित होंगे, बल्कि क्षेत्र का पूरा भूजल तंत्र असंतुलित हो जाएगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि रेत के अत्यधिक दोहन से जैव विविधता पर भी बुरा असर पड़ता है। कई जलजीव और पक्षी प्रजातियाँ अपने प्राकृतिक आवास खो देती हैं, जिससे पर्यावरणीय असंतुलन और बढ़ जाता है।

किसानों की आजीविका पर संकट
कुंडा कला क्षेत्र में अधिकांश किसान अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं। रेत खनन से उनकी ज़मीनें गहरी और अनुपजाऊ होती जा रही हैं। जब मशीनें खेतों में रेत निकालती हैं, तो मिट्टी की ऊपरी परत, जिसमें जैविक तत्व होते हैं, पूरी तरह नष्ट हो जाती है। इसके बाद वहाँ खेती संभव नहीं रह जाती।
किसान सुरेश कुमार का कहना है, “हमारे खेतों में अब इतनी गहराई हो गई है कि बारिश का पानी भर जाता है। फसल बोना तो दूर, खेत में चलना भी मुश्किल हो गया है। अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो हमें अपनी ज़मीन छोड़नी पड़ेगी।”
अवैध खनन का आर्थिक पक्ष
अवैध रेत खनन एक बड़ा समानांतर कारोबार बन चुका है। ट्रक और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के माध्यम से रोज़ाना लाखों रुपये की रेत बाहर भेजी जा रही है। इससे सरकार को भारी राजस्व नुकसान हो रहा है। रेत की क़ीमतें भी कृत्रिम रूप से बढ़ाई जा रही हैं, जिससे निर्माण कार्य महंगे होते जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई ट्रॉलियाँ बिना किसी परमिट या रॉयल्टी स्लिप के रेत लेकर निकलती हैं। यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि सार्वजनिक संपत्ति की लूट भी है।
कानूनी प्रावधान और कार्रवाई की आवश्यकता
भारतीय खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 के तहत बिना अनुमति खनन एक दंडनीय अपराध है। इसके तहत दोषियों पर जुर्माना और जेल दोनों का प्रावधान है। बावजूद इसके, प्रदेश के कई इलाकों में अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि समस्या का समाधान केवल समय-समय पर की जाने वाली छापेमारी से नहीं होगा। इसके लिए स्थानीय स्तर पर सख्त निगरानी व्यवस्था, ड्रोन सर्विलांस और पुलिस-प्रशासन की जवाबदेही तय करनी होगी।
ग्रामीणों की माँग और संभावित समाधान
कुंडा कला के ग्रामीणों ने ज़िला प्रशासन से अवैध खनन को तुरंत रोकने, दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने और प्रभावित किसानों को मुआवज़ा देने की मांग की है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा है कि यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो वे सामूहिक रूप से धरना-प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि:
-
नदी किनारे ‘नो माइनिंग ज़ोन’ की सख्त निगरानी की जाए।
-
स्थानीय पंचायतों को खनन निगरानी समिति में शामिल किया जाए।
-
ड्रोन और सैटेलाइट निगरानी से अवैध खनन की पहचान की जाए।
-
किसानों की ज़मीन का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कर पुनः उपजाऊ बनाने की योजना तैयार की जाए।
निष्कर्ष
कुंडा कला का यह मामला केवल एक गांव का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में फैल रहे अवैध रेत खनन के नेटवर्क की एक झलक है। अगर इसे जल्द नहीं रोका गया, तो यह न केवल पर्यावरण को बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों की ज़िंदगी को भी गहरी चोट पहुँचा सकता है।
अब ज़रूरत है कि प्रशासन और सरकार इस पर त्वरित, पारदर्शी और सख्त कार्रवाई करें—ताकि यमुना नदी का प्राकृतिक संतुलन बना रहे और किसानों की मेहनत मिट्टी में न मिल जाए।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
सभी समाचार देखें सिर्फ अनदेखी खबर सबसे पहले सच के सिवा कुछ नहीं ब्यूरो रिपोर्टर :- अनदेखी खबर ।
YouTube Official Channel Link:
https://youtube.com/@atozcrimenews?si=_4uXQacRQ9FrwN7q
YouTube Official Channel Link:
https://www.youtube.com/@AndekhiKhabarNews
Facebook Official Page Link:
https://www.facebook.com/share/1AaUFqCbZ4/
Whatsapp Group Join Link:
https://chat.whatsapp.com/KuOsD1zOkG94Qn5T7Tus5E?mode=r_c
अनदेखी खबर न्यूज़ पेपर भारत का सर्वश्रेष्ठ पेपर और चैनल है न्यूज चैनल राजनीति, मनोरंजन, बॉलीवुड, व्यापार और खेल में नवीनतम समाचारों को शामिल करता है। अनदेखी खबर न्यूज चैनल की लाइव खबरें एवं ब्रेकिंग न्यूज के लिए हमारे चैनल को Subscribe, like, share करे।
आवश्यकता :- विशेष सूचना
(प्रदेश प्रभारी)
(मंडल प्रभारी)
(जिला ब्यूरो प्रमुख)
(जिला संवाददाता)
(जिला क्राइम रिपोर्टर)
(जिला मीडिया प्रभारी जिला)
(विज्ञापन प्रतिनिधि)
(तहसील ब्यूरो)
(प्रमुख तहसील संवाददाता