More injured : पाकिस्तान में बारिश ने मचाई तबाही अब तक 266 लोगों की मौत, 600 से अधिक घायल ?

More injured : पाकिस्तान में बारिश ने मचाई तबाही अब तक 266 लोगों की मौत, 600 से अधिक घायल

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More injured : पाकिस्तान में बारिश ने मचाई तबाही अब तक 266 लोगों की मौत, 600 से अधिक घायल ?

मूसलाधार बारिश से हुई भारी जनहानि और विनाश

  • पाकिस्तान में इस वर्ष मानसून ने unprecedented तबाही मचाई है। 26 जून से शुरू हुई लगातार मूसलाधार बारिश ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान किया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कम से कम 266 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 126 बच्चे भी शामिल हैं। इसके अलावा, 628 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। इस तरह की भारी बारिश और बाढ़ के कारण कई इलाकों में जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
  • बारिश का तेज़ी से बढ़ना और साथ ही साथ बाढ़ की स्थिति ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों को प्रभावित किया है। कई स्थानों पर सड़कें और पुल टूट गए हैं, जिससे सहायता पहुंचाना भी मुश्किल हो गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में मानसून के दौरान भारी बारिश की आवृत्ति और तीव्रता दोनों में वृद्धि हुई है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को दर्शाती है। इस भीषण बारिश ने कृषि क्षेत्र को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। फसलों का व्यापक नुकसान हुआ है, जिससे न केवल किसानों की आमदनी प्रभावित हुई है, बल्कि खाद्य सुरक्षा की चिंता भी बढ़ गई है। बाढ़ के पानी ने मकान, दुकाने, सरकारी भवन और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर भी क्षतिग्रस्त कर दिया है।

उत्तर भारत और खासकर उत्तरी पाकिस्तान में बारिश का प्रकोप

  • विशेष रूप से उत्तर पाकिस्तान में मानसून की बारिश का प्रकोप बहुत अधिक रहा है। यहां के कई इलाकों में नदियां उफान पर हैं और बाढ़ के पानी ने कई गांवों को पूरी तरह से बहा दिया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, पिछले 24 घंटों में भी देशभर में मानसून से जुड़ी घटनाओं में 14 लोगों की मौत हुई है और 17 लोग घायल हुए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि बारिश का कहर अभी थमा नहीं है।
  • भारी बारिश और बाढ़ के कारण सड़क संपर्क टूट गए हैं, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन एजेंसियां राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं, लेकिन भारी बारिश और ऊंचे जलस्तर ने राहत कार्यों को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है। मौसम विभाग ने भी अगले कुछ दिनों के लिए भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है, जिससे प्रभावित इलाकों में सतर्कता बरतने की जरूरत है। बारिश से प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छ पानी, भोजन, चिकित्सा सुविधाओं और रहने की जगह की भारी कमी हो गई है। संक्रमित बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां बाढ़ का पानी लंबे समय तक जमा है।

राहत और पुनर्वास कार्यों में प्रशासन की चुनौती

  • इस भीषण आपदा के बाद पाकिस्तान सरकार और स्थानीय प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज़ कर दिया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीम हर संभव प्रयास कर रही है कि प्रभावित लोगों तक जरूरी सहायता पहुंचाई जा सके।
    सरकार ने प्रभावित इलाकों में बचाव दल, स्वास्थ्य सुविधाएं, भोजन और शरण स्थल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। कई गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी राहत कार्यों में सहायता कर रही हैं।
  • हालांकि, व्यापक तबाही और खराब मौसम के कारण राहत कार्यों में काफी कठिनाई आ रही है। कई इलाकों में संपर्क टूट जाने के कारण राहत सामग्री और चिकित्सक दलों को पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। पुनर्वास के लिए भी बड़े पैमाने पर प्रयास किए जाने होंगे ताकि प्रभावित परिवारों को उनका खोया हुआ आशियाना और जीवन यापन का साधन मुहैया कराया जा सके। विभिन्न विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान को भविष्य में इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर तैयारी करनी होगी, जिसमें जल निकासी तंत्र का सुधार, बांधों और नालों का रखरखाव, और सतत आपदा प्रबंधन नीतियों का निर्माण शामिल है।

  • निष्कर्ष:
    पाकिस्तान में मानसून की भीषण बारिश ने जहां जनधन को भारी नुकसान पहुंचाया है, वहीं यह देश की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता के लिए भी बड़ी चुनौती है। 266 से अधिक मौतों और सैकड़ों घायल लोगों की संख्या इस आपदा की गहराई को दर्शाती है।
    राहत कार्यों को प्रभावी बनाने के साथ-साथ भविष्य के लिए सतत योजना बनाना आवश्यक होगा ताकि प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम किया जा सके। साथ ही अंतरराष्ट्रीय सहायता और सहयोग भी इस संकट से उबरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
    इस बार की बारिश ने यह भी याद दिलाया है कि जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरे अब वास्तविकता बन चुके हैं, जिनसे निपटने के लिए वैश्विक और स्थानीय स्तर पर सामूहिक प्रयास जरूरी हैं।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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