Prove oneself : राजनीति है तो कूटनीति होगी ही,पर जो भी हो युद्ध काल में ओवैसी ने स्वयं को सिद्ध ?

राजनीति है तो कूटनीति होगी ही,पर जो भी हो युद्ध काल में ओवैसी ने स्वयं को सिद्ध किया है।
विपक्षी नेता ऐसा होना चाहिए!
असदुद्दीन ओवैसी ने युद्ध के हालात में जिस तरीके से सेना और सरकार का साथ दिया और पाकिस्तान पर जुबानी हमला बोला वैसा किसी नेता ने जिगरा नहीं दिखाया..
एक तरफ जहां भारत के गद्दार पुलवामा और पहलगाम हमले के लिए मोदी का षडयंत्र बता रहे थे जिसे बताकर पाकिस्तान दुनिया को बता रहा था कि ये हमला हमने नहीं करवाया है और भारत को घेर रहा था और दूसरी तरफ ये बंदा उन सभी लोगों को ऐसी घटिया बयान के लिए जोकर करार दिया..
पाकिस्तान मुर्दाबाद बोलने वाले किसी एक विपक्षी नेता का नाम ढूंढोगे तो आपको एक ही नाम मिलेगा “ओवैसी“ जी हां।
भले ही ये नेता धर्म की राजनीति करता हो तो क्या हुआ देश पर संकट आया तो इसने सबसे पहले अपने देश को चुना, जाति ढूंढने वाले एक भी नेता या पाकिस्तानियों के पसंदीदा भारतीय कलाकार किसी ने भी पाकिस्तानी आतंकवाद और पहलगाम में हुए वीभत्स मजहबी नरसंहार के लिए कड़े शब्दों में निंदा नहीं की।
Note: “ऑपरेशन सिंदूर“ में जो भी लोग देश के साथ खड़े थे उन्होंने सरकार और सेना का साथ दिया और जो लोग देश पर संकट आने पर भी राजनीति कर रहे थे और सेना में भी राजनीति लाते हैं और पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं वे सभी देश के गद्दार हैं और ऐसे लोगों को अपने दिल दिमाग से निकाल कर बाहर फेंकिए क्योंकि देश है तभी हम हैं और फिर राजनीति..
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