Rahul Bhartiya : प्रयागराज में दलित युवक राहुल भारतीया की संदिग्ध मौत, नहर में मिला शव, जांच जारी

प्रयागराज से एक बार फिर दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। जिले के करछना क्षेत्र में 25 वर्षीय दलित युवक राहुल भारतीया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। राहुल का शव करछना की एक नहर में मिला है, जिससे पूरे क्षेत्र में सनसनी फैल गई। परिजन और स्थानीय लोगों में इस घटना को लेकर भारी आक्रोश है, वहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, क्योंकि प्रारंभिक सुराग मिलने के बावजूद समय रहते कार्रवाई नहीं की गई।
राहुल भारतीया शुक्रवार रात अपने ससुराल, जो कि कौंधियारा थाना क्षेत्र के मछहर उर्फ पुरवा गांव में स्थित है, वहां जाने के लिए निकला था। इसके बाद वह रहस्यमय ढंग से लापता हो गया। शनिवार सुबह माही गांव के पास एक लावारिस बाइक और चप्पल मिलने की सूचना मिली। यह वही रास्ता था जिससे होकर राहुल अपने ससुराल जा रहा था। ग्रामीणों द्वारा इसकी जानकारी पुलिस को दी गई, लेकिन कथित रूप से पुलिस ने इस सूचना को गंभीरता से नहीं लिया और मौके पर कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई।
शनिवार रात करीब एक बजे के आसपास नहर में एक शव बहता हुआ देखा गया। यह नहर मछहर उर्फ पुरवा गांव के पास स्थित है। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकाला गया। सोशल मीडिया पर बाइक और चप्पल की तस्वीरें पहले ही वायरल हो चुकी थीं, जिसके चलते शव की पहचान आसानी से हो सकी। मृतक की पहचान राहुल भारतीया के रूप में हुई, जो कि छह भाइयों में सबसे छोटा था और परिवार का जिम्मेदार सदस्य था।
राहुल पेशे से एक मजदूर था और मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। उसके दो छोटे बच्चे हैं – तीन साल का कार्तिक और दो साल का अमन। उसकी पत्नी कल्पना, फिलहाल अपने मायके मछहर उर्फ पुरवा गांव में रह रही थी। बताया जा रहा है कि राहुल अपनी पत्नी और बच्चों से मिलने ही शुक्रवार रात ससुराल की ओर निकला था, लेकिन वहां कभी नहीं पहुंच सका।
परिजनों का कहना है कि राहुल की मौत हादसा नहीं, बल्कि हत्या है। शव जिस स्थिति में मिला और जिस तरह बाइक और चप्पल पहले ही मिल चुकी थीं, उससे यह मामला संदेहास्पद बन जाता है। शव पर कोई स्पष्ट चोट के निशान नहीं बताए जा रहे हैं, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है, जो मामले की दिशा तय करेगी।

इस घटना ने पुलिस की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। सुबह जब लावारिस बाइक और चप्पल मिली थीं, तब पुलिस द्वारा कोई त्वरित कार्रवाई न करना और रात में शव मिलने तक इंतजार करना, इसे लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है। अगर पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती, तो शायद राहुल की जान बचाई जा सकती थी या कम से कम उसकी मौत के पीछे की सच्चाई जल्दी सामने आ जाती।
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले को लेकर नाराजगी जताई है। दलित समुदाय के लोगों ने इस घटना को दलित उत्पीड़न से जोड़ते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि राहुल जैसे गरीब, मेहनतकश युवक की रहस्यमयी मौत को सामान्य दुर्घटना मानकर बंद करना न्याय नहीं होगा।
पुलिस प्रशासन का कहना है कि मामला संदिग्ध है और हर पहलू से जांच की जा रही है। मृतक के परिवार वालों से पूछताछ की जा रही है, साथ ही राहुल की पत्नी और उसके ससुराल पक्ष से भी जानकारी ली जा रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि राहुल की किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं थी, या फिर वह किसी विवाद में शामिल था। हालांकि अब तक की जानकारी में ऐसा कोई ठोस सुराग सामने नहीं आया है।
शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा। प्राथमिक तौर पर पुलिस इस केस को संदिग्ध मृत्यु मान रही है लेकिन हत्या की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन को भी झकझोर दिया है, क्योंकि यह मामला न सिर्फ एक युवक की संदिग्ध मौत का है, बल्कि इसमें सामाजिक और जातीय एंगल भी जुड़ रहा है।
समाज के विभिन्न वर्गों में इस घटना को लेकर चिंता व्याप्त है। कई संगठनों ने मांग की है कि इस केस की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को सख्त सजा दी जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें। साथ ही पुलिस की जवाबदेही तय होनी चाहिए कि जब पहली सूचना मिली थी, तब उसने समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की।
राहुल के मासूम बच्चों और उसके परिवार के भविष्य को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। एक मजदूर की असमय और रहस्यमयी मौत ने उसके परिवार को आर्थिक और मानसिक दोनों तरह से झकझोर कर रख दिया है। सरकार से मांग की जा रही है कि परिवार को उचित मुआवजा और सहायता दी जाए, ताकि वे इस मुश्किल समय से निकल सकें।
प्रयागराज का यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि समाज में कमजोर वर्गों के साथ होने वाली घटनाओं को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन जब मामला सोशल मीडिया या जनता के बीच आता है, तब प्रशासन हरकत में आता है। यह रवैया बदलने की जरूरत है, ताकि हर नागरिक को न्याय समय पर मिल सके।
फिलहाल पुलिस जांच जारी है, और पूरे क्षेत्र की निगाहें अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट और पुलिस की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। क्या यह मामला सचमुच एक हादसा है या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है – इसका जवाब आने वाले दिनों में सामने आ पाएगा।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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