STF raid : आलोक सिंह कहां भागने की फिराक में? कफ सिरप कांड में धनंजय के करीबी के खिलाफ लुकआउट नोटिस, STF की दबिश

जौनपुर/लखनऊ: बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह के करीबी बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है। एसटीएफ की जांच में उसके खिलाफ तमाम अहम साक्ष्य, शैली ट्रेडर्स के साथ करोड़ों के लेन-देन से जुड़े साक्ष्य मिलने के बाद एसटीएफ ने उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करवाया है। आलोक प्रताप सिंह भी विदेश भागने की फिराक में है। एसटीएफ की टीमें उसकी तलाश में छापेमारी कर रही हैं।
एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए अमित सिंह टाटा ने अपने बयान में बताया था कि आजमगढ़ के विकास सिंह ने उसकी मुलाकात शुभम जायसवाल से करवाई थी। इसके बाद शुभम ने उसे अपने पार्टनर वरुण सिंह, गौरव जायसवाल और विशाल मेहरोत्रा से मिलवाया।उनके कहने पर ही कफ सिरप की बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल में तस्करी के लिए जनवरी 2024 में धनबाद के पते पर टाटा ने अपने नाम पर देवकृपा मेडिकल एजेंसी और बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह ने श्रेयसी मेडिकल एजेंसी के नाम से फर्म बनाई थी।
पहली बार में आलोक प्रताप सिंह और अमित सिंह ने पांच-पांच लाख रुपये लगाए और उन्हें 20 से 22 लाख रुपये तक मिले।अमित ने बताया था कि वह और आलोक दो-तीन बार ही धनबाद गए थे। वहां का सारा काम वरुण सिंह देखता था। धनबाद के बाद अमित और आलोक ने वाराणसी से ड्रग लाइसेंस लेकर वहां भी फर्म खुलवाई। यहां अमित की फर्म का नाम श्री मेडिकल और आलोक की फर्म का नाम मां शारदा मेडिकल रखा गया।

इन फर्मों का भी सारा लेन देन शुभम जायसवाल और उसके साथी देखते थे। वाराणसी की फर्मों में भी शुभम के पार्टनर विकास सिंह और विशाल मल्होत्रा के जरिए करीब 10 लाख की खरीद फरोख्त हुई। इसके बाद एसटीएफ ने आलोक प्रताप सिंह की फर्मों का शैली ट्रेडर्स से हुए फर्जी लेनदेन के तमाम साक्ष्य जुटाए और उसे वॉन्टेड बनाया।
धनंजय सिंह और बर्खास्त सिपाही का वोटर लिस्ट में एक ही पता जौनपुर की मलहनी विधानसभा सीट पर पूर्व सांसद धनंजय सिंह और भगोड़े बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह का एक ही पता है। जबकि वह जौनपुर का रहने वाला भी नहीं है। आजाद अधिकार सेना के अध्यक्ष पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर ने इस संबंध में डीजीपी और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।
अमिताभ ठाकुर ने पत्र में आरोप लगाया है कि मकान संख्या 17 में 17 लोगों के नाम दर्ज हैं। इसमें क्रम संख्या 120 पर आलोक प्रताप सिंह का नाम दर्ज है, जबकि 114, 115, 116 और 118 पर क्रमशः धनंजय सिंह के पिता राजदेव सिंह, भाई जितेंद्र सिंह, पत्नी श्रीकला और धनंजय सिंह के नाम दर्ज हैं। अमिताभ ठाकुर ने पत्र में लिखा है कि एक ही मकान संख्या अंकित होना गंभीर दिखता है इसकी जांच आवश्यक है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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