The problem of potholes : कुरैशियान चौक पर जल भराव और गड्ढों की समस्या से लोग परेशान चौक पर लोग होते चोटिल ?

The problem of potholes : कुरैशियान चौक पर जल भराव और गड्ढों की समस्या से लोग परेशान चौक पर लोग होते चोटिल

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The problem of potholes : कुरैशियान चौक पर जल भराव और गड्ढों की समस्या से लोग परेशान चौक पर लोग होते चोटिल ?

गंगोह नगर में मूलभूत समस्याएं

दिन-प्रतिदिन विकराल रूप लेती जा रही हैं, लेकिन जिम्मेदार विभाग और अधिकारी इन समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं। नगर के कुरैशियान तिराहे पर पानी भरने से राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर बरसात के दिनों में स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है। इस तिराहे से प्रतिदिन हजारों ग्रामीण और स्थानीय निवासी गुजरते हैं, लेकिन जलभराव और सड़कों की खराब हालत के कारण लोगों को चोटिल तक होना पड़ रहा है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि नगरपालिका प्रशासन की अनदेखी के चलते यह समस्या लगातार बनी हुई है। पानी की निकासी की कोई उचित व्यवस्था नहीं होने से तिराहे पर जलभराव आम बात हो गई है। गड्ढों में भरे पानी के कारण न तो राहगीरों को यह अंदाजा लग पाता है कि सड़क कहां है, और न ही वाहन चालक सुरक्षित तरीके से निकल पाते हैं। स्कूली बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह स्थान दुर्घटना का कारण बनता जा रहा है।

स्थानीय नागरिकों ने ईओ (नगर कार्यपालक अधिकारी) से अपील की है कि वे स्वयं शहर का भ्रमण करें और समस्याओं को स्वयं देखें। नागरिकों का कहना है कि यदि अधिकारीगण सिर्फ दफ्तर में बैठकर कार्य करेंगे तो जमीनी सच्चाई से अनभिज्ञ रहेंगे और समस्याएं कभी हल नहीं होंगी। लोगों ने यह भी मांग की है कि बरसात के कारण जिन सड़कों पर गड्ढे बन चुके हैं, उन्हें जल्द से जल्द भरा जाए।

नगरवासी बताते हैं कि पहले के ईओ श्री कृष्ण मुरारी जी की कार्यशैली बिल्कुल अलग थी। वे स्वयं सड़कों और गलियों में जाकर निरीक्षण करते थे और जहां भी कोई छोटी या बड़ी समस्या दिखाई देती थी, उसे प्राथमिकता पर हल करवाते थे। यही कारण था कि उनके कार्यकाल में नगर में बुनियादी सुविधाओं को लेकर लोगों में संतोष का भाव था। लेकिन वर्तमान में अधिकारी न तो मौके पर जाते हैं और न ही जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेते हैं।

बारिश के मौसम में शहर की सड़कों की हालत और भी खराब हो जाती है। कई जगह सड़कें टूटी हुई हैं, तो कहीं गहरे गड्ढे बन गए हैं। बारिश का पानी इन गड्ढों में भरकर उन्हें और भी खतरनाक बना देता है। कई दोपहिया वाहन चालक और पैदल चलने वाले लोग इन गड्ढों के कारण गिरकर चोटिल हो चुके हैं। गंगोह जैसे विकासशील क्षेत्र में यदि सड़कों की हालत ऐसी रहेगी, तो यह न केवल नगर की छवि को प्रभावित करेगा बल्कि दुर्घटनाओं का कारण भी बनेगा।

प्रदेश सरकार की ओर से समय-समय पर अधिकारियों को निर्देश दिए जाते हैं कि गड्ढों को भरने, सड़कों की मरम्मत और जलभराव जैसी समस्याओं पर प्राथमिकता के साथ कार्य किया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं कई बार यह कह चुके हैं कि “जहां गड्ढा हो, वहां सड़क होनी चाहिए।” बावजूद इसके नगर पालिका प्रशासन इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाता नजर नहीं आ रहा।

स्थानीय दुकानदारों और राहगीरों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बाद भी न तो कोई टीम निरीक्षण के लिए आती है और न ही कोई स्थायी समाधान मिलता है। केवल लीपापोती करके समस्या को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जनता का यह भी कहना है कि यदि अधिकारी स्वयं नगर भ्रमण करें और समस्याओं को अपनी आंखों से देखें, तो शायद उन्हें वास्तविक हालात का अंदाजा हो और कार्रवाई भी हो।

अब जब बरसात का मौसम पूरे जोर पर है, ऐसे में जलभराव, सड़कों की मरम्मत और साफ-सफाई को लेकर प्रशासन को और अधिक जिम्मेदारी से काम करना चाहिए। जिन जगहों पर ड्रेनेज व्यवस्था कमजोर है, वहां स्थायी समाधान की आवश्यकता है। जलनिकासी की उचित व्यवस्था और नियमित सफाई से ही इस प्रकार की समस्याओं को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।

नगरवासियों की यह भी मांग है कि नगरपालिका को जनता के साथ संवाद कायम करना चाहिए। समय-समय पर नगर भ्रमण कर आम लोगों से उनकी समस्याएं सुननी चाहिए और प्राथमिकता के आधार पर उनका निस्तारण सुनिश्चित करना चाहिए। साथ ही पूर्व अधिकारियों की कार्यशैली से सीख लेते हुए वर्तमान अधिकारी भी नगर के विकास और जनसुविधाओं के लिए गंभीरता दिखाएं।

कुल मिलाकर, गंगोह जैसे नगर में जहां विकास की आवश्यकता सबसे ज्यादा है, वहां बुनियादी समस्याओं को नजरअंदाज करना ठीक नहीं है। गड्ढे, जलभराव और टूटी सड़कों की समस्या किसी एक मोहल्ले तक सीमित नहीं रही, बल्कि पूरे नगर में व्याप्त हो चुकी है। इसलिए नगर प्रशासन को अब अलर्ट मोड पर आना चाहिए और जनता की मांगों के अनुरूप ठोस और प्रभावी कार्य योजना बनाकर उस पर अमल करना चाहिए। यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो न केवल लोगों का भरोसा प्रशासन से उठ जाएगा, बल्कि यह चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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