Three Brothers : बिजनौर में कुएं में उतरे तीन भाइयों की जहरीली गैस से दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम ?

Three Brothers : बिजनौर में कुएं में उतरे तीन भाइयों की जहरीली गैस से दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम

Three Brothers : बिजनौर में कुएं में उतरे तीन भाइयों की जहरीली गैस से दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम ?
Three Brothers : बिजनौर में कुएं में उतरे तीन भाइयों की जहरीली गैस से दर्दनाक मौत, गांव में पसरा मातम ?

एक हृदय विदारक हादसा

  • उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले के सरकथल गांव में रविवार को एक हृदय विदारक हादसा हो गया, जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। खेत में लगे पंपिंग सेट के पट्टे को ठीक करने के लिए कुएं में उतरे तीन भाइयों की जहरीली गैस से दम घुटने के कारण मौत हो गई। मृतकों की पहचान छतरपाल सिंह (25 वर्ष), उसके सगे भाई कशिश उर्फ छोटू, और चचेरे भाई हिमांशु के रूप में हुई है। रविवार सुबह ग्राम सरकथल निवासी छतरपाल अपने खेत में पंपिंग सेट का काम ठीक करने गया था। साथ में उसके भाई कशिश और चचेरा भाई हिमांशु भी थे। खेत में स्थित लगभग 20 फीट गहरे कुएं में पंपिंग सेट की मोटर का पट्टा चढ़ाने के लिए सबसे पहले छतरपाल नीचे उतरा। नीचे पहुंचते ही विषैली गैस के प्रभाव से वह बेहोश होकर गिर पड़ा। जब काफी देर तक उसकी कोई आवाज़ नहीं आई तो उसके चचेरे भाई हिमांशु ने नीचे उतरने का फैसला किया। वह भी कुछ ही पलों में गैस की चपेट में आकर बेहोश हो गया। इसके बाद तीसरा भाई, कशिश उर्फ छोटू, यह सोचकर कि दोनों को बाहर निकालना होगा, बिना किसी सुरक्षा के कुएं में उतर गया और वही हाल उसका भी हुआ – तीनों कुएं में बेहोश होकर गिर पड़े। घटना के वक्त पास ही मौजूद धर्मवीर सिंह ने जब यह भयावह दृश्य देखा, तो उन्होंने तुरंत शोर मचाया, जिससे गांव के लोग घटनास्थल पर दौड़ पड़े। गांव में कोहराम मच गया। चीख-पुकार के बीच कोई समझ नहीं पा रहा था कि क्या करें। तभी गांव का ही एक युवक चेतन ने साहस का परिचय दिया। उसने अपना मुंह और नाक गीले कपड़े से ढककर कुएं में उतरने की हिम्मत दिखाई, और बड़ी मुश्किल से तीनों भाइयों को रस्सी में बांधा। इसके बाद ग्रामीणों ने रस्सी के सहारे उन्हें बाहर निकाला। हालांकि तब तक काफी देर हो चुकी थी। गांववाले तीनों को फौरन सीएचसी नूरपुर अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया। तीन युवाओं की एक साथ मौत से गांव में मातम पसर गया है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। गांव की गलियां सन्नाटा ओढ़े हुए हैं और हर कोई स्तब्ध है कि ऐसा कैसे हो गया

कुएं में कैसे बनती है जानलेवा गैस?

गांवों में खेतों में बने पुराने कुएं अक्सर कई वर्षों तक ढके या बंद रहते हैं। इस दौरान उसमें जैविक पदार्थ, गंदगी, जानवरों का मल-मूत्र या मरे हुए जीव गिरने से कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी विषैली गैसें जमा हो जाती हैं। यह गैसें बिना गंध के होती हैं और सांस लेते ही स्नायुतंत्र को प्रभावित कर इंसान को बेहोश कर सकती हैं
अगर व्यक्ति को समय रहते बाहर न निकाला जाए तो कुछ ही मिनटों में दम घुटने से मौत हो जाती है। इसी कारण ऐसे कुएं में बिना किसी सुरक्षा उपकरण के उतरना बेहद खतरनाक होता है।

गांव में पसरा मातम, परिवारों पर टूटा दुख का पहाड़

  • छतरपाल, कशिश और हिमांशु की असमय और दर्दनाक मौत से उनके परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। छतरपाल और कशिश सगे भाई थे, जबकि हिमांशु उनका चचेरा भाई था। ये तीनों किसान परिवार से थे और अक्सर खेतों के काम में साथ रहते थे। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि तीनों मेहनती, सरल और मिलनसार स्वभाव के थे। उनका यूं अचानक चले जाना पूरे गांव के लिए न भर पाने वाली क्षति है। परिवार की महिलाओं का रो-रोकर बुरा हाल है। माताएं, बहनें और पत्नियां चीख-चीख कर बेसुध हो रही हैं। पूरा गांव शोक में डूबा है और हर आंख नम है। ग्रामीणों का कहना है कि इस प्रकार के हादसे पहले भी हुए हैं, लेकिन लोग जागरूक नहीं होते। गांव के बुजुर्गों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से ऐसे कुओं की नियमित जांच कराने और सुरक्षा उपाय अपनाने की मांग की है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

प्रशासन से सहायता की मांग, जागरूकता की जरूरत

  • घटना की सूचना पाकर स्थानीय प्रशासन भी मौके पर पहुंचा और स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन की ओर से पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया गया है। साथ ही अधिकारियों ने गांववासियों से अपील की कि वे कुएं, सेप्टिक टैंक या बंद स्थानों में बिना सुरक्षा उपकरण के प्रवेश न करें। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी जगहों में उतरने से पहले गैस डिटेक्टर, ऑक्सीजन सिलेंडर और सेफ्टी मास्क जैसे सुरक्षा उपाय अनिवार्य रूप से अपनाए जाने चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन को प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है, ताकि लोग अपनी जान जोखिम में न डालें।

  • यह हादसा एक बार फिर हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि जानकारी और सतर्कता की कमी कैसे एक साथ तीन जिंदगियां लील सकती है। सरकथल गांव में हुई इस हृदयविदारक घटना ने न सिर्फ तीन परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि पूरे जनपद को झकझोर कर रख दिया है। ज़रूरत है कि अब ऐसे हादसों से सबक लेते हुए गांव-गांव में जागरूकता फैलाई जाए, जिससे आगे कोई और परिवार इस तरह बर्बाद न हो।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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