Four vicious youths arrested : इटावा पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर चार शातिर युवकों को पकड़ा ?

Four vicious youths arrested : इटावा पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर चार शातिर युवकों को पकड़ा

Four vicious youths arrested : इटावा पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर चार शातिर युवकों को पकड़ा ?
Four vicious youths arrested : इटावा पुलिस ने इंटरनेशनल साइबर ठगी नेटवर्क का भंडाफोड़ कर चार शातिर युवकों को पकड़ा ?

इटावा पुलिस की बड़ी कार्रवाई: अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम नेटवर्क का भंडाफोड़

  • उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में पुलिस ने साइबर क्राइम की दुनिया में एक बड़ी सफलता हासिल की है। साइबर क्राइम थाना, कोतवाली पुलिस, एसओजी और सर्विलांस टीम की संयुक्त कार्रवाई में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संचालित ऑनलाइन मनी लॉन्ड्रिंग गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। यह गिरोह ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से फर्जी लेन-देन और ठगी करता था। इस नेटवर्क के तार केवल भारत तक सीमित नहीं थे, बल्कि यह गिरोह चीन, हांगकांग और इंडोनेशिया जैसे देशों के साइबर अपराधियों से भी जुड़ा हुआ था।
  • गिरोह के चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के युवक शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि यह नेटवर्क युवाओं को पहले गेमिंग और आसान पैसे कमाने के नाम पर फंसाता था, फिर उनके माध्यम से कई फर्जी खातों और ट्रांजैक्शन को अंजाम देता था। इससे जुड़े कई अंतरराष्ट्रीय बैंक अकाउंट्स और डिजिटल वॉलेट्स की जांच की जा रही है।

गिरफ्तार हुए चार आरोपी, कभी थे NDA की तैयारी में जुटे छात्र

  • इस गिरोह के जिन चार युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वे सभी शिक्षित और तकनीकी रूप से दक्ष हैं। इनमें शामिल हैं — यश प्रताप सिंह (बलिया), यश आर्या (झांसी), हिमांशु शर्मा (इटावा) और हिमांशु चौधरी (बुलंदशहर)। हैरानी की बात यह है कि ये सभी कभी देहरादून में एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) की तैयारी कर रहे थे और सैन्य सेवा में जाने का सपना देखते थे। लेकिन समय के साथ ये युवा ऑनलाइन क्रिप्टो, गेमिंग और आसान पैसा कमाने की लालच में फंसकर अपराध के दलदल में उतर गए।
  • पुलिस जांच में सामने आया है कि इन युवकों ने मिलकर एक ठगी नेटवर्क तैयार किया, जिसमें वे ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और फेक वेबसाइट्स के माध्यम से लोगों से पैसे ऐंठते थे। इनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे लैपटॉप, मोबाइल फोन, सॉफ्टवेयर और डिजिटल वॉलेट्स की जांच के दौरान पुलिस को भारी मात्रा में डेटा, ट्रांजैक्शन डिटेल्स और विदेशी बैंक खातों से लेन-देन के सबूत मिले हैं।

चीन और हांगकांग से जुड़े तार, फर्जी KYC के सहारे खुलते थे खाते

  • पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस गिरोह के विदेशी लिंक बहुत सक्रिय थे। गिरफ्तार युवकों के संपर्क चीन, हांगकांग और इंडोनेशिया के साइबर अपराधियों से थे, जो उन्हें तकनीकी सहायता, डार्क वेब एक्सेस और फर्जी डाक्यूमेंट्स प्रदान करते थे। गिरोह के सदस्य भारत में फर्जी KYC डॉक्यूमेंट्स के आधार पर बैंक खाते और डिजिटल वॉलेट्स खोलते थे और फिर उन खातों को मनी लॉन्ड्रिंग और ऑनलाइन फ्रॉड के लिए इस्तेमाल करते थे।
  • इन लोगों ने कई लोगों के आधार कार्ड, पैन कार्ड, सिम कार्ड आदि का दुरुपयोग कर उनके नाम पर फर्जी खाते खोले। इन खातों से लाखों रुपये की ट्रांजैक्शन रोज़ होती थी, जो बाद में क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से विदेशी खातों में भेज दी जाती थी। पुलिस ने इस नेटवर्क से जुड़े लगभग 30 बैंक अकाउंट्स, 10 डिजिटल वॉलेट्स और 15 मोबाइल नंबरों की पहचान की है, जिनकी जांच जारी है।

पुलिस की चौकसी से हुआ खुलासा, कई राज्यों तक फैला है नेटवर्क

  • इस बड़े साइबर फ्रॉड का खुलासा तब हुआ जब इटावा के साइबर क्राइम थाना को लगातार कई शिकायतें मिलीं कि कुछ गेमिंग ऐप्स और वेबसाइट्स के जरिए लोगों के खाते से पैसे गायब हो रहे हैं। इसके बाद पुलिस ने तकनीकी सर्विलांस, कॉल ट्रेसिंग और डिजिटल फॉरेंसिक की मदद से इस गिरोह तक पहुंच बनाई।
  • गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने बताया कि यह नेटवर्क केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था, बल्कि इसकी जड़ें दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल तक फैली हुई हैं। अब पुलिस अन्य राज्यों की साइबर क्राइम यूनिट्स और केंद्रीय एजेंसियों के साथ मिलकर इस गिरोह की पूरी श्रृंखला को उजागर करने की दिशा में काम कर रही है।
  • पुलिस अधीक्षक (SP) ने बताया कि यह गिरफ्तारी एक साइबर क्राइम मॉड्यूल के खिलाफ बड़ी कामयाबी है। उन्होंने कहा, “इस तरह के संगठित अपराध में शिक्षित युवा कैसे फंस रहे हैं, यह समाज के लिए चिंताजनक है।” सभी आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट, मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट और धोखाधड़ी की गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है।

निष्कर्ष:

  • इटावा पुलिस द्वारा भंडाफोड़ किया गया यह अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गिरोह यह दर्शाता है कि तकनीक का दुरुपयोग कैसे अपराध का रूप ले सकता है। कभी एनडीए का सपना देखने वाले ये युवक आज अंतरराष्ट्रीय मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त अपराधी बन चुके हैं। यह घटना युवाओं, अभिभावकों और पुलिस प्रशासन — तीनों के लिए एक चेतावनी है कि इंटरनेट की दुनिया में सतर्कता और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। साथ ही, यह सफलता यह भी बताती है कि प्रशिक्षित और टेक-सैवी पुलिस बल ऐसे नेटवर्क को तोड़ने में सक्षम है, बशर्ते समय रहते कार्रवाई हो।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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