Chikungunya medicine : आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने खोज ली चिकनगुनिया की दवा ?

- आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने खोज ली चिकनगुनिया की दवा,
अब महीनों नहीं झेलना होगा दर्द, जल्द होगा ट्रायल
आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने अपनी स्टडी में पाया है कि चिकनगुनिया वायरस को एक दवा से आसानी से रिप्लिकेट होने से रोका जा सकता है. यह दवा एचआईवी के लिए पहले से बनी हुई है. - चिकनगुनिया वायरल फीवर है लेकिन यह सामान्य बुखार नहीं है. इसमें मरीज कई दिनों तक दर्द और बुखार से परेशान रहता है. हाथ-पैर और जोड़ों में भयंकर दर्द होता रहता है. चिकनगुनिया की अब तक कोई दवा नहीं है लेकिन आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने इसके लिए दवा की खोज कर ली है. वैज्ञानिकों का दावा है कि एचआईवी की दवा इवाविरेंज से चिकनगुनिया के वायरस को रेप्लीकेट करने से रोका जा सकता है. इस संबंध में जो लैब टेस्ट किए गए हैं, उसमें इसका शानदार असर देखा गया है. यह स्टडी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से की गई है. स्टडी के दौरान लैब में जब चिकनगुनिया से पीड़ित चूहे में यह दवा दी गई तो वायरस का लेवल तेजी से कम हो गया.
वायरस को शुरुआत में रेप्लिकेट करने से रोक देता है……
- नेशनल सेंटर फॉर वेक्टर बोर्ने डिजीज कंट्रोल के मुताबिक चिकनगुनिया आज भी भारत के लिए चिंता का विषय जहां हर साल लाखों लोगों को यह वायरल बीमारी होती है. आज तक इस बीमारी के लिए कोई एंटी-वायरल दवा तैयार नहीं हुई है. लेकिन इस नई खोज से चिकनगुनिया को खत्म करने की एक नई उम्मीद जगी है. रिसर्च में यह भी पाया गया कि इवाविरेंज नाम की दवा सिंडबिस वायरस के रेप्लीकेशन को भी रोक देता है. सिंडबिस वायरस भी चिकनगुनिया वायरस के कुल का ही वायरस है. स्टडी के प्रमुख लेखक डॉ. संकेत नेहुल ने बताया कि इवाविरेंज दवा चिकनगुनिया वायरस के शुरुआती चरण में ही हस्तक्षेप करने लगता है और उसे खुद को पुनर्विकसित करने का मौका नहीं देता है.
जल्दी इंसानों पर ट्रायल……
- इस स्टडी की एक अन्य लेखक प्रोफेसर शैली तोमर ने बताया कि वर्तमान में जब किसी को चिकनगुनिया की बीमारी होती है तब उसके लक्षणों के आधार पर दवा दी जाती है. यानी अगर बुखार है तो बुखार कम करने की दवा और अगर दर्द है तो पेनकिलर दी जाती है. इसके लिए कोई एंटी-वायरल दवा नहीं बनी है. ऐसे में यह रिसर्च उम्मीद की एक किरण है. अगर इंसान पर इसका ट्रायल सफल हो गया तो इससे चिकनगुनिया को जल्दी ही खत्म किया जा सकता है क्योंकि चिकनगुनिया होने पर महीनों तक जोड़ों में दर्द होता रहता है. आईआईटी रुड़की के डायरेक्टर प्रोफेसर कमल किशोर ने बताया कि चिकनगुनिया भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए आज भी चैलेंज है. हम जल्दी ही इसकी दवा विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.
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