Kedarnath Temple : केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली है ?

Kedarnath Temple : केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली है ?

Kedarnath Temple : केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली है ?
Kedarnath Temple : केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली है ?

केदारनाथ मंदिर एक अनसुलझी पहेली है

केदारनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया था

इसके बारे में बहुत कुछ कहा जाता हैं!

पांडवों से लेकर आदि शंकराचार्य तक

आज का विज्ञान बताता हैं कि केदारनाथ मंदिर शायद 8 वीं शताब्दी में बना था!

यदि आप ना भी कहते हैं तो भी यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अस्तित्व में हैं!

केदारनाथ की भूमि 21वीं सदी में भी बहुत प्रतिकूल हैं!

एक तरफ 22,000 फीट ऊंची केदारनाथ पहाड़ी

दूसरी तरफ 21,600 फीट ऊंची कराचकुंड

तीसरी तरफ 22,700 फीट ऊंचा भरतकुंड हैं!

इन तीन पर्वतों से होकर बहने वाली पांच नदियां हैं!

01) मंदाकिनी

02) मधुगंगा

03) चिरगंगा

04) सरस्वती

05) स्वरंदरी

इनमें से कुछ इस पुराण में लिखे गए हैं!

यह क्षेत्र मंदाकिनी नदी का एकमात्र जलसंग्रहण क्षेत्र हैं!

यह मंदिर एक कलाकृति हैं!

कितना बड़ा असम्भव कार्य रहा होगा ऐसी जगह पर कलाकृति जैसा मन्दिर बनाना

जहां ठंड के दिन भारी मात्रा में बर्फ हो

और बरसात के मौसम में बहुत तेज गति से पानी बहता हो!

आज भी आप गाड़ी से उस स्थान तक नही जा सकते!

फिर इस मन्दिर को ऐसी जगह क्यों बनाया गया?

ऐसी प्रतिकूल परिस्थितियों में 1200 साल से भी पहले ऐसा अप्रतिम मंदिर कैसे बन सकता हैं?

1200 साल बाद भी जहां उस क्षेत्र में सब कुछ हेलिकॉप्टर से ले जाया जाता हैं!

JCB के बिना आज भी वहां एक भी ढांचा खड़ा नहीं होता हैं!

यह मंदिर वहीं खड़ा हैं और न सिर्फ खड़ा हैं बल्कि बहुत मजबूत हैं!

हम सभी को कम से कम एक बार यह सोचना चाहिए!

वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि यदि मंदिर 10 वीं शताब्दी में पृथ्वी पर होता

तो यह हिम युग की एक छोटी अवधि में होते!

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी, देहरादून ने केदारनाथ मंदिर की चट्टानों पर लिग्नोमैटिक डेटिंग का परीक्षण किया गया!

यह पत्थरों के जीवन की पहचान करने के लिए किया जाता हैं!

परीक्षण से पता चला कि

मंदिर 14 वीं सदी से लेकर 17 वीं सदी के मध्य तक पूरी तरह से बर्फ में दब गया था!

हालांकि मंदिर के निर्माण में कोई नुकसान नहीं हुआ!

2013 में केदारनाथ में आई विनाशकारी बाढ़ को सभी ने देखा हैं! इस दौरान औसत से 375% अधिक बारिश हुई थी

आगामी बाढ़ में 5748 लोग सरकारी आंकड़े मारे गए

और 4200 गांवों को नुकसान पहुंचा

भारतीय वायुसेना ने 1 लाख 10 हजार से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किए

सब कुछ ले जाया गया लेकिन इतनी भीषण बाढ़ में भी केदारनाथ मंदिर का पूरा ढांचा जरा भी प्रभावित नहीं हुआ!

भारतीय पुरातत्व सोसायटी के मुताबिक

बाढ़ के बाद भी मंदिर के पूरे ढांचे के ऑडिट में 99 फीसदी मंदिर पूरी तरह सुरक्षित हैं!

2013 की बाढ़ और इसकी वर्तमान स्थिति के दौरान निर्माण को कितना नुकसान हुआ था

इसका अध्ययन करने के लिए आईआईटी मद्रास ने मंदिर पर एनडीटी परीक्षण किया

साथ ही कहे कि मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित और मजबूत हैं!

यदि मंदिर दो अलग अलग संस्थानों द्वारा आयोजित एक बहुत ही वैज्ञानिक और वैज्ञानिक परीक्षण में उत्तीर्ण नहीं होता हैं!

तो आज के समीक्षक आपको सबसे अच्छा क्या कहता?

केदारनाथ मंदिर उत्तर दक्षिण के रूप में बनाया गया हैं!

जबकि भारत में लगभग सभी मंदिर पूर्व पश्चिम हैं!

विशेषज्ञों के अनुसार

यदि मंदिर पूर्व पश्चिम होता तो पहले ही नष्ट हो चुका होता

या कम से कम 2013 की बाढ़ में तबाह हो जाता

लेकिन इस दिशा की वजह से केदारनाथ मंदिर बच गया हैं!

मंदिर ने प्रकृति के चक्र में ही अपनी ताकत बनाए रखा हैं!

मंदिर के इन मजबूत पत्थरों को बिना किसी सीमेंट के एशलर तरीके से एक साथ चिपका दिया गया हैं!

पत्थर के जोड़ पर तापमान परिवर्तन के किसी भी प्रभाव के बिना मंदिर की ताकत अभेद्य हैं!

टाइटैनिक के डूबने के बाद पश्चिमी लोगों ने महसूस किया कि कैसे एनडीटी परीक्षण और तापमान ज्वार को मोड़ सकते हैं!

भारतीय लोगों ने यह सोचा और यह 1200 साल पहले परीक्षण किया! क्या केदारनाथ उन्नत भारतीय वास्तु कला का ज्वलंत उदाहरण नहीं हैं ?

2013 में मंदिर के पिछले हिस्से में एक बड़ी चट्टान फंस गई और पानी की धार विभाजित हो गई!

मंदिर के दोनों किनारों का तेज पानी अपने साथ सब कुछ ले गया लेकिन मंदिर और मंदिर में शरण लेने वाले लोग सुरक्षित रहे!

जिन्हें अगले दिन भारतीय वायुसेना ने एयरलिफ्ट किया था!

सवाल यह नहीं हैं कि आस्था पर विश्वास किया जाए या नही

लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि मंदिर के निर्माण के लिए

स्थल

उसकी दिशा

वही निर्माण सामग्री

और यहां तक ​​कि प्रकृति को भी ध्यान से विचार किया गया था जो 1200 वर्षों तक अपनी संस्कृति और ताकत को बनाए रखेगा!

हम पुरातन भारतीय विज्ञान की भारी यत्न के बारे में सोचकर दंग रह गए हैं!

शिला जिसका उपयोग 6 फुट ऊंचे मंच के निर्माण के लिए किया गया हैं कैसे मन्दिर स्थल तक लाया गया!

आज तमाम बाढ़ों के बाद हम एक बार फिर केदारनाथ के उन वैज्ञानिकों के निर्माण के आगे नतमस्तक हैं!

जिन्हें उसी भव्यता के साथ 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा होने का सम्मान मिला हैं!

यह एक उदाहरण हैं कि वैदिक हिंदू धर्म और संस्कृति कितनी उन्नत थी! उस समय हमारे ऋषि मुनियों यानी वैज्ञानिकों ने

आयुर्वेद में काफी तरक्की की थी!

मुझे गर्व हैं कि मैं भारतीय हूँ..

राष्ट्रगौरव सर्वोपरि

जय श्री राम हर हर महादेव

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