May it be useful : लचीला बने रहिये, पता नहीं कब आपके कौन काम आ जाए ?

“लचीला बने रहिये, पता नहीं कब आपके कौन काम आ जाए ”
जीवन की सबसे बड़ी सच्चाई यह है कि वह कभी एक जैसा नहीं रहता। हर दिन एक नया रंग लाता है, नई परिस्थितियाँ सामने आती हैं और हमें उनसे निपटने के लिए खुद को ढालना पड़ता है। ऐसे समय में जो लोग अपने विचारों, व्यवहारों और दृष्टिकोण में लचीलापन रखते हैं, वही सबसे बेहतर ढंग से जीवन जी पाते हैं। लचीलापन सिर्फ एक गुण नहीं, बल्कि एक जीवन-दृष्टि है – यह स्वीकार करने की कला है कि दुनिया हमारे अनुसार नहीं चलती, और हमें दूसरों के साथ सामंजस्य बिठाकर चलना होता है।
अक्सर हम लोगों को उनके वर्तमान रूप में आंक लेते हैं। कोई अभी कमजोर है, असफल है या संघर्ष कर रहा है – इसका मतलब यह नहीं कि वह सदा वैसा ही रहेगा। समय के साथ लोग बदलते हैं, हालात बदलते हैं। एक विद्यार्थी जो कभी आपसे पढ़ने में मदद मांगता था, कल को आपका सहयोगी बन सकता है या किसी ऊँचे पद पर पहुँच सकता है। एक साधारण-सा पड़ोसी, जो आज मामूली बातचीत करता है, कल को आपके जीवन की किसी बड़ी समस्या का समाधान बन सकता है। जीवन में हम जितना अधिक दूसरों के प्रति विनम्र और लचीले होते हैं, उतना ही हमारे संबंध गहरे और सार्थक बनते हैं।
लचीलापन यह भी सिखाता है कि हार कोई स्थायी चीज़ नहीं है। जब आप एक रास्ते में विफल होते हैं, तो उसका यह अर्थ नहीं कि आप समाप्त हो गए। यदि आप भीतर से लचीले हैं, तो आप एक नया मार्ग खोज सकते हैं, फिर से उठ सकते हैं और अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं। यही मानसिकता उन लोगों में दिखती है जो बार-बार गिरने के बाद भी दुनिया में एक नई पहचान बनाते हैं।
जीवन में कभी यह नहीं भूलना चाहिए कि हर व्यक्ति, हर अनुभव, हर संघर्ष का कोई न कोई उद्देश्य होता है। जिन लोगों को हम आज नजरअंदाज कर देते हैं, वे कल हमारे जीवन की डोर पकड़ सकते हैं। और जिन रिश्तों को हम समय ना देकर सूखने देते हैं, वे ज़रूरत के समय हमारे लिए नहीं बचते। इसीलिए, विनम्र रहना, खुला दिल रखना, और स्थितियों के साथ बहने की कला सीखना अत्यंत ज़रूरी है।
लचीलापन सिर्फ दूसरों के लिए नहीं, खुद के लिए भी ज़रूरी है। अपने आप को स्वीकार करना, अपनी गलतियों से सीखना, और खुद को कठोरता से नहीं बल्कि समझदारी से सँभालना – यही आत्मविकास की पहली सीढ़ी है।
यह जीवन कभी नहीं बताता कि किस मोड़ पर कौन व्यक्ति, कौन संबंध या कौन सी पुरानी बात काम आ जाएगी। इसलिए बेहतर यही है कि हम अपने भीतर इतनी कोमलता रखें कि हर किसी से जुड़ सकें, और इतना धैर्य रखें कि हर परिस्थिति में अपने आप को बचा सकें। क्योंकि यही लचीलापन हमें न सिर्फ मजबूत बनाता है, बल्कि इंसान भी बनाए रखता है।
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