Seminar concluded : आर्य समाज का छठा नियम विषय पर गोष्ठी सम्पन्न ?

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आर्य समाज का छठा नियम विषय पर गोष्ठी सम्पन्न

आर्य समाज को विभिन्न प्रकल्प लेने होंगे-अतुल सहगल

गाजियाबाद:-,बुधवार 5 फरवरी 2025,केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में आर्य समाज का छठा नियम विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया।यह कोरोना काल से 703 वाँ वेबिनार था।

वैदिक प्रवक्ता अतुल सहगल ने
विषय की भूमिका प्रस्तुत करते हुए ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में और वर्तमान के समय में आर्यसमाज के कार्यों और उपलब्धियों की संक्षेप में बात की।आर्यसमाज के 10 नियम इस संस्था और इसके सदस्यों के कर्त्तव्यओं व उद्देश्य की रुपरेखा बांधते हैं।उन्होंने कहा कि यह नियम हर सदस्य और पूरी संस्था पर लागू हैँ पर क्या इन नियमों का कठोरता से पालन हो रहा है?क्या आर्यसमाज अपने निर्धारित कार्य पूर्णरूप से व कुशलता से कर रहा है? ये बड़े प्रश्न हैं और इनपर गहन विचार और चिंतन करना होगा।आर्यसमाज हमारे समाज के सदस्यगणों की शारीरिक व आत्मिक उन्नति कितनी कर पाया? आर्यसमाज संसार की सामाजिक उन्नति गत 150 वर्ष में करने में कितना सफल रहा? वक्ता ने फिर 150 वर्ष के काल में आर्यसमाज द्वारा संपन्न किये मुख्य कार्यों की कुछ विस्तार से चर्चा की।वक्ता ने बताया कि किन क्षेत्रों में अधिक सफलता मिली और किन क्षेत्रों में सफलता न्यून रही।

Seminar concluded : आर्य समाज का छठा नियम विषय पर गोष्ठी सम्पन्न ?
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विशेष रूप से वक्ता ने उन क्षेत्रों और विषओं की चर्चा की जहाँ अभी बहुत कार्य शेष है व अपेक्षित है। शिक्षा,पाखंड खंडन,अंधविश्वास उन्मूलन,वेद विज्ञान व प्रोद्योगिकी, राजनीति,योग विद्या व आयुर्वेद इत्यादि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं।वक्ता ने इस बात पर ज़ोर देते हुए कहा कि आर्यसमाज को आज हर क्षेत्र में प्रवेश करने की आवश्यकता है।तभी इसके नियम संख्या 6 का पूर्णता से पालन होगा।इसे राजीनीति,समाज सेवा,विज्ञान व प्रोद्योगिकी,स्वास्थ्य, वित्त,उद्योग,कानून इत्यादि हर क्षेत्र में अपने प्रकल्प निर्माण करने और स्थापित करने होंगे।इसके लिए हम आर एस एस की तरफ दृष्टि डालें।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 50 से अधिक प्रकल्प बनाये हैं।आर्यसमाज को भी ऐसा ही करना होगा।विभिन्न क्षेत्रों में अपने प्रकल्प बना के सब संस्थाओं को वैदिक विचारधारा के अनुरुप ढालना होगा।वक्ता ने बताया कि आर्यसमाज एक परिवर्तन लाने वाली संस्था है और इसके लिए आंदोलन चलते रहने चाहियें।तभी आर्यसमाज के छठे नियम का पूर्ण रूप से पालन होगा।वक्ता ने इसके बाद आर्यसमाज के भावी कार्यक्रम की एक रुपरेखा प्रस्तुत की।वक्ता ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आर्य समाज के सदस्यगण अपनी संस्था के प्रत्येक नियम को गहराई से समझ के गंभीरतापूर्वक कार्य करेंगे तो इस समाज की गति और उपलब्धियां तेज़ी से बढ़ेंगी।ऐसा वर्तमान समय की मांग है।राष्ट्रीय और वैश्विक विकट समस्याओं का समाधान केवल आर्यसमाज के पास है।हमें अपने कार्य को गति देकर, समाज के हर क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हो जाना चाहिए।ऋषि दयानन्द के सपने तभी साकार होंगे।

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मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार यादव व अध्यक्ष आर्य नेत्री कृष्णा पाहुजा ने अपने विचार रखे।परिषद अध्यक्ष अनिल आर्य ने कुशल संचालन किया।प्रदेश अध्यक्ष प्रवीण आर्य ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

गायिका प्रवीना ठक्कर, कौशल्या अरोड़ा, जनक अरोड़ा, रविन्द्र गुप्ता, कुसुम भण्डारी, सुधीर बंसल, अनिता रेलन आदि ने मधुर भजन सुनाए।

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