Was eaten in anger : यूपी में युवक 29 स्टील चम्मच, 19 टूथब्रश निगल गया:डॉक्टरों ने 5 घंटे ऑपरेशन कर 50 चीजें निकालीं मरीज बोला- गुस्से में खा गया था

यूपी के हापुड़ जिले से हैरान करने वाली खबर सामने आई। यहां 40 साल का एक युवक ने स्टील के चम्मच, टूथब्रश और पेन निगल लिया। इससे उसकी जान खतरे में आ गई। पेट में असहनीय दर्द होने लगा।
परिजन उसे अस्पताल लेकर गए। वहां जब डॉक्टरों ने अल्ट्रासाउंड किया तो रिपोर्ट देखकर सभी हैरान रह गए। डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया, जो 5 घंटे तक चला। पेट से 29 स्टील के चम्मच, 19 टूथब्रश और दो पेन को बाहर निकाला। युवक की हालत अब ठीक है। ऑपरेशन के बाद उसे घर भेज दिया गया है।
दरअसल, युवक नशे का आदी था। परिजनों ने नशे की लत छुड़ाने के लिए उसे नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। गुस्से में उसने रोजमर्रा में यूज होने वाली चीजों को निगलना शुरू कर दिया।
घर वाले गाजियाबाद में छोड़ आए थे बुलंदशहर का रहने वाला सचिन (40) नशे का आदी था। घर वाले उससे काफी परेशान थे। कई बार समझाने के बाद भी उसकी नशे की लत दूर नहीं हुई। इसके बाद घरवाले सचिन को गाजियाबाद के नशा मुक्ति केंद्र में छोड़ आए। सचिन इस बात से बहुत गुस्से में था।
सचिन नशा मुक्ति केंद्र में करीब एक महीने रहा। इस दौरान उसने गुस्से में स्टील के चम्मच और टूथब्रश खाना शुरू कर दिया।
पेट दर्द, उल्टी और वीकनेस महसूस होने लगी कुछ समय बाद उसके पेट दर्द में दर्द होने लगा। उल्टी और वीकनेस महसूस होने लगी। 17 सितंबर को परिजन उसे हापुड़ के देवनंदनी अस्पताल लेकर आए। यहां एक्स-रे और सीटी स्कैन कराया गया, तो डॉक्टरों के होश उड़ गए। उसके पेट में धातु और प्लास्टिक की चीज़ें फंसी नजर आईं।
डॉक्टर श्याम कुमार समेत 5 लोगों की टीम ने 5 घंटे ऑपरेशन के बाद 29 स्टील के चम्मच, 19 टूथब्रश और दो नुकीले पेन समेत 50 चीजों को बाहर निकाला। 23 सितंबर को डॉक्टरों ने उसे डिस्चार्ज कर दिया।
पिका डिसऑर्डर या कोई गंभीर मानसिक बीमारी
डॉक्टरों ने मरीज के इस हरकत के पीछे का कारण मानसिक बीमारी बताया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला ट्राइकोटिलोमेनिया या ‘पिका डिसऑर्डर’ (Pica Disorder) या किसी गंभीर मानसिक विकार से जुड़ा हो सकता है, जिसमें व्यक्ति खाने योग्य न होने वाली वस्तुएं निगलता है।
मरीज स्वस्थ, डॉक्टरों ने भेजा घर डॉक्टर श्याम कुमार ने बताया- एक मरीज को उसके परिजन लेकर आए थे। नशा मुक्ति केंद्र में वो स्टील के चम्मच और टूथब्रश निगला करता था। जांच के बाद ऑपरेशन किया। पेट से सभी चीजों को बाहर निकाला गया। मरीज अब स्वस्थ है। उसे घर भेज दिया गया है।

अंबेडकरनगर में भी सामने आया था ऐसा केस
युवक ने निगल लिए थे नट-बोल्ट हापुड़ जैसा केस इसी साल जनवरी में अंबेडकरनगर में सामने आया था। यहां एक युवक के पेट से ऑपरेशन के बाद रिंच और नट बोल्ट निकला था।
इसका खुलासा उस समय हुआ जब 24 जनवरी मरीज ने परिजनों से तेज पेट दर्द की शिकायत की। इसके बाद परिजन मरीज को आनन फानन में अंबेडकर नगर जिला अस्पताल लेकर पहुंचे और ओपीडी डॉक्टर को दिखाया। परिजनों ने बताया कि मरीज ने कुछ खा लिया है।
इसके बाद डाक्टरों ने मरीज का एक्सरे और फिर सिटी स्कैन कराया। एक्सरे और सिटी स्कैन की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर दंग रह गए, क्योंकि उसके पेट में रिंच और नट बोल्ट जैसा कुछ दिखाई पड़ा। डॉक्टरों ने तुरंत मरीज का ऑपरेशन करने का फैसला किया। ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने पेट से 10 रिंच और नट बोल्ट निकाला।
सवाल: क्या ट्राइकोटिलोमेनिया पूरी तरह ठीक हो सकता है?
जवाब: हां, सही इलाज और थेरेपी की मदद से इसे पूरी तरह कंट्रोल किया जा सकता है। इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू होता है, रिजल्ट्स भी उतने अच्छे मिलते हैं। इसके लिए अच्छे मनोचिकित्सक की मदद लेनी चाहिए।
सवाल: क्या PICA अपने आप ठीक हो सकता है?
जवाब: 2 से 6 साल की उम्र में अक्सर बच्चों को PICA की समस्या होती है। ज्यादातर मामलों में यह अपने आप ठीक हो जाती है।
इस उम्र में बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से हो रहा होता है। इसलिए उन्हें ज्यादा पोषक तत्वों की जरूरत होती है। बैलेंस्ड डाइट न मिलने पर शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और PICA की समस्या होती है। पर्याप्त डाइट मिलने पर सबकुछ सामान्य हो जाता है।
प्रेग्नेंसी के समय भी कई महिलाओं को यह समस्या होती है, लेकिन पर्याप्त डाइट मिलने पर कुछ समय बाद अपने आप ठीक हो जाती है।
सवाल: PICA का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
जवाब: इसका पता लगाने का कोई निश्चित टेस्ट नहीं होता है। आमतौर पर ब्लड टेस्ट के जरिए यह देखा जाता है कि शरीर में किन जरूरी पोषक तत्वों की कमी है। डॉक्टर आमतौर पर पेशेंट के बिहेवियर हिस्ट्री पर गौर करते हैं। इसके अलावा यह पूछते हैं कि वह कौन सी नॉन न्यूट्रिटिव चीजें खा रहा है। इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है कि ईटिंग डिसऑर्डर किस लेवल तक पहुंच गया है।
सवाल: बाल खाने पर पेट में इसका गुच्छा क्यों बन जाता है?
जवाब: बाल को हमारा डाइजेस्टिव सिस्टम पचा नहीं सकता है। इसलिए बाल पेट की दीवार में जाकर चिपकते रहते हैं। अगर कोई व्यक्ति लगातार बाल खा रहा है तो ये चिपकते-चिपकते गुच्छे का आकार ले लेते हैं।
सवाल: किन लोगों को PICA का जोखिम ज्यादा है?
जवाब: इन लोगों को PICA का जोखिम ज्यादा है-
- छोटे बच्चों (2-6 साल) को।
- प्रेग्नेंट महिलाओं को।
- कुपोषित लोगों को, खासकर जिनके शरीर में आयरन और जिंक की कमी है।
- जिन्हें कोई मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है।
- जिन्हें ऑटिज्म है या और जिनका बौद्धिक विकास कम हुआ है।
सवाल: ट्राइकोटिलोमेनिया का जोखिम किन लोगों को ज्यादा है?
जवाब: इन लोगों को ट्राइकोटिलोमेनिया का जोखिम ज्यादा है-
- किशोर, जिनकी उम्र 11 से 13 साल है।
- जिनके शरीर में हॉर्मोनल बदलाव हो रहे हैं।
- जिन्हें पहले से एंग्जाइटी या डिप्रेशन है।
- जो लोग OCD और ADHD से ग्रसित हैं।
- अगर परिवार में किसी को मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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