योगी सरकार का बड़ा फैसला, नगर पंचायतों को 1 करोड़ तक के कार्य करने की स्वायत्तता

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में नगर विकास विभाग ने प्रदेश के नगरीय निकायों को अधिक वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान करने की दिशा में एक अहम कदम उठाया है। नगर विकास विभाग ने वर्ष 2021 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में व्यापक संशोधन करते हुए संचालन प्रक्रिया को अधिक सरल और जवाबदेह बनाया है।
इसके तहत अब नगर पंचायतों को 1 करोड़ रुपए और पालिका परिषदों को 2 करोड़ रुपए तक के कार्य स्वयं करने की स्वायत्तता होगी। इसके साथ ही नगरीय निकायों से करवाए जाने वाले निर्माण कार्यों में होने वाली गड़बड़ी या गुणवत्ता में कमी के लिए पचास-पचास प्रतिशत राशि संबंधित ठेकेदार और प्रशासनिक अधिकारी से वसूलने का भी प्रावधान किया गया है।
इसके अतिरिक्त नगरीय निकायों की विकास प्रक्रिया को तेज करने के लिए नई तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेश के नगर विकास विभाग ने 74वें संविधान संशोधन के मुताबिक नगरीय निकायों को अधिक वित्तीय एवं प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान की है।
नगर विकास विभाग ने 2021 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में जरूरी बदलावों को मंजूरी दी है। इसके तहत विभाग ने बाजार दरों में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए नगरीय निकायों की वित्तीय सीमा को पुनः निर्धारित किया है। इसके अनुसार, अब प्रदेश की नगर पंचायत को 1 करोड़ रुपए और नगर पालिका परिषद को 2 करोड़ रुपए के निर्माण एवं अन्य विकास कार्य करने की अनुमति प्रदान की गई है। जबकि, अभी तक उन्हें केवल 40 लाख रुपए तक के कार्य कराने की ही अनुमति थी।
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि एसओपी में संशोधन से स्थानीय नगरीय निकायों को न केवल वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी, बल्कि विकास कार्यों की गुणवत्ता और पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। यह नगरीय प्रशासन को जनहित में अधिक प्रभावी बनाएगा।

नगर विकास विभाग ने नगरीय निकायों के निर्माण एवं विकास कार्यों में गड़बड़ी या गुणवत्ता में कमी के लिए संबंधित ठेकेदार, अभियंता और प्रशासनिक अधिकारी की जवाबदेही को नए सिरे से तय किया है।
एसओपी में किए गए प्रमुख संशोधन के अनुसार, किसी भी निर्माण या विकास कार्य में गुणवत्ता की कमी या मापन में त्रुटि के कारण यदि अतिरिक्त भुगतान होता है, तो उसकी वसूली संबंधित ठेकेदार से 50 प्रतिशत और शेष 50 प्रतिशत राशि अभियंता एवं प्रशासनिक अधिकारियों से वसूल की जाएगी। वसूली की प्रक्रिया जिलाधिकारी द्वारा निर्धारित व संचालित की जाएगी। यदि वसूली न हो सके तो इसे भू-राजस्व की तरह वसूलने का प्रावधान है।
एसओपी में हुए संशोधन में नगरीय निकायों द्वारा विकास कार्यों के लिए आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोर दिया गया है। इसके अनुसार, नगरीय निकायों की 3.75 मीटर से अधिक चौड़ी सड़कों के निर्माण के लिए एफडीआर तकनीक का प्रयोग किया जा सकेगा। साथ ही सड़कें सीसी रोड या डमरीकृत बनाई जाएंगी। इनके अलावा 3.75 मीटर तक चौड़ी सड़कों पर इंटरलॉकिंग टाइल्स का प्रयोग किया जा सकेगा, बशर्ते वह मुख्य मार्ग न हों और उन पर भारी वाहन न चलते हों।
साथ ही नई एसओपी के तहत 3.75 मीटर से कम चौड़ी सड़कों के लिए केसी-टाइप नाली और उससे अधिक चौड़ी सड़कों के लिए यू-टाइप आरसीसी नाली के निर्माण को मंजूरी दी गई है। इनका निर्माण लोक निर्माण विभाग और आईआरसी मानकों के अनुसार किया जाएगा।
निकायों को निर्देशित किया गया है कि वे वार्डवार सड़क डायरेक्ट्री, अभिलेखीकरण और जीआईएस मैपिंग करें ताकि दीर्घकालिक योजनाएं आसानी से बनाई जा सकें। इसके साथ ही सभी विकास योजनाएं सड़क, जल निकासी और रोड लाइट को समाहित करते हुए समेकित रूप में बनाई जाएंगी। यह संशोधित एसओपी नगरीय प्रशासन के विकेंद्रीकरण और जवाबदेही को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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