Denial of allegations : सीएचसी शामली में हुई चोरी की घटना पर पुलिस की त्वरित कार्रवाई, डॉ. दीपक चौधरी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन

जनपद शामली में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) शामली के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. दीपक चौधरी के कैम्प कार्यालय में हुई चोरी की घटना को लेकर पुलिस प्रशासन द्वारा विस्तृत जांच की जा रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, दिनांक 21 अक्टूबर 2025 को डॉ. दीपक चौधरी दीपावली पर्व के अवसर पर अपने पैतृक गांव गए हुए थे। इसी दौरान उनके सीएचसी स्थित कैम्प कार्यालय से अज्ञात चोरों द्वारा चोरी की घटना को अंजाम दिया गया। घटना की जानकारी मिलते ही डॉ. दीपक ने तत्काल थाना कोतवाली शामली पर तहरीर दी, जिसके आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच प्रारंभ की।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, घटना के संबंध में थाना कोतवाली शामली पर सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया गया है। जांच के क्रम में डॉ. दीपक चौधरी द्वारा पुलिस को तीन संदिग्ध व्यक्तियों के नाम बताए गए — जिनमें नीशू उर्फ निशांत, सौरभ उर्फ मोन्टी, और सलमान शामिल हैं। प्रारंभिक पूछताछ में यह सामने आया कि इन तीनों का डॉ. दीपक चौधरी के साथ व्यक्तिगत परिचय रहा है तथा उनका उठना-बैठना डॉ. दीपक के साथ होता रहा है। यही कारण रहा कि इन्हें संदेह के दायरे में लिया गया।
पुलिस टीम ने इन तीनों संदिग्धों को हिरासत में लेकर पूछताछ की, किन्तु अब तक की गई पूछताछ में इनके द्वारा चोरी किए जाने की कोई ठोस पुष्टि नहीं हो पाई है। वहीं यह भी ज्ञात हुआ कि संदिग्धों में से दो व्यक्तियों की माता — श्रीमती नीतू — सीएचसी शामली में वार्ड आया के पद पर कार्यरत हैं, जिससे यह मामला और संवेदनशील हो गया है। पुलिस जांच टीम इस पहलू पर भी बारीकी से छानबीन कर रही है कि क्या घटना में किसी प्रकार का अंदरूनी सहयोग रहा या नहीं।
घटना के शीघ्र अनावरण के लिए पुलिस विभाग ने उच्चस्तरीय जांच टीमें गठित की हैं। क्षेत्राधिकारी नगर के नेतृत्व में प्रभारी निरीक्षक कैराना, झिंझाना, कोतवाली शामली, स्वॉट टीम और सर्विलांस टीम को इस केस की जांच में लगाया गया है। सभी टीमें मिलकर घटना से संबंधित साक्ष्य जुटाने, तकनीकी निगरानी करने तथा चोरी गए सामान की बरामदगी सुनिश्चित करने में जुटी हैं। पुलिस प्रशासन ने यह भी कहा है कि जल्द ही इस चोरी की घटना का पूर्ण रूप से अनावरण कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी और चोरी गए माल की बरामदगी सुनिश्चित की जाएगी।

इस बीच, सोशल मीडिया और कुछ स्थानीय रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि डॉ. दीपक चौधरी द्वारा पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पर पुलिस विभाग ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा कि डॉ. दीपक द्वारा लगाए गए आरोप तथ्यों पर आधारित नहीं हैं। पुलिस ने स्पष्ट किया है कि वर्ष 2025 के दौरान पुलिस कार्यवाही में मृत अपराधियों के पोस्टमॉर्टम के मामलों में डॉ. दीपक चौधरी किसी भी पैनल में सम्मिलित नहीं रहे हैं। अतः उनके द्वारा पुलिस पर लगाए गए किसी भी प्रकार के दुराचार या पक्षपात के आरोप भ्रामक और असत्य हैं।
पुलिस प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि अपराधियों की मृत्यु या पुलिस मुठभेड़ की घटनाओं में पोस्टमॉर्टम प्रक्रिया पूरी तरह से माननीय उच्चतम न्यायालय और मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप की जाती है। इन दिशा-निर्देशों के अनुसार, ऐसे सभी मामलों में पोस्टमॉर्टम की वीडियोग्राफी कराई जाती है और डॉक्टरों के पैनल द्वारा ही जांच की जाती है। यह प्रक्रिया पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से लागू की गई है, और जिला प्रशासन इसका अक्षरशः पालन कर रहा है। इसलिए डॉ. दीपक चौधरी के आरोप किसी प्रमाणिक साक्ष्य से पुष्ट नहीं होते।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि पुलिस प्रशासन किसी भी व्यक्ति के साथ भेदभाव या दुराचार का समर्थन नहीं करता। सभी मामलों में जांच तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर की जाती है। चोरी की इस घटना में भी निष्पक्ष जांच की जा रही है, और किसी निर्दोष व्यक्ति को फंसाने या किसी दोषी को बचाने की कोई मंशा नहीं है। पुलिस विभाग ने जनता से भी अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत स्थानीय पुलिस को दें।
जांच से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि तकनीकी सर्विलांस, सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल लोकेशन और स्थानीय सूचना स्रोतों के माध्यम से मामले की तह तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। फिलहाल प्राथमिक जांच से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि चोरी में किन-किन व्यक्तियों की प्रत्यक्ष संलिप्तता रही। पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जैसे ही पर्याप्त साक्ष्य प्राप्त होंगे, दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।
घटना की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी मामले पर नजर बनाए हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ किया जाएगा ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
अंततः यह कहा जा सकता है कि सीएचसी शामली में घटित यह चोरी की घटना न केवल एक आपराधिक मामला है, बल्कि यह प्रशासनिक सतर्कता की भी परीक्षा है। पुलिस प्रशासन ने अपने स्तर से पूरी गंभीरता के साथ जांच आरंभ कर दी है, और उम्मीद है कि शीघ्र ही यह मामला सुलझा लिया जाएगा। साथ ही, पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि डॉ. दीपक चौधरी द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह असत्य और अप्रमाणिक हैं तथा जांच तथ्यों के आधार पर आगे बढ़ाई जा रही है। आने वाले दिनों में इस मामले का खुलासा होने पर वास्तविक दोषियों की पहचान और चोरी गए सामान की बरामदगी संभव हो सकेगी, जिससे जनपद में कानून व्यवस्था के प्रति जनता का विश्वास और मजबूत होगा।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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