Young sagar prajapati : ऊंचा गाँव के जवान सागर प्रजापति की ट्रेनिंग के दौरान शहादत, गांव में शोक की लहर ?

Young sagar prajapati : ऊंचा गाँव के जवान सागर प्रजापति की ट्रेनिंग के दौरान शहादत, गांव में शोक की लहर

Young sagar prajapati : ऊंचा गाँव के जवान सागर प्रजापति की ट्रेनिंग के दौरान शहादत, गांव में शोक की लहर ?
Young sagar prajapati : ऊंचा गाँव के जवान सागर प्रजापति की ट्रेनिंग के दौरान शहादत, गांव में शोक की लहर ?

शामली।

  • देश की सेवा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों की श्रृंखला में अब उत्तर प्रदेश के शामली जिले का नाम एक बार फिर से जुड़ गया है। जनपद शामली के ऊंचा गाँव निवासी सागर प्रजापति पुत्र सतीश प्रजापति का भारतीय सेना की मध्य प्रदेश के सागर ज़िले में ट्रेनिंग के दौरान निधन हो गया। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, सागर प्रजापति की यह दुखद मृत्यु एक हादसे के चलते हुई है, जब वह सेना की कठिन ट्रेनिंग का हिस्सा ले रहे थे। जैसे ही यह खबर गांव में पहुंची, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई और हर आंख नम हो गई।

सेना में चयन के बाद देशसेवा का सपना अधूरा

  • सागर प्रजापति का भारतीय सेना में चयन कुछ माह पूर्व ही हुआ था। वह प्रारंभिक प्रशिक्षण के लिए मध्य प्रदेश के सागर जिले में भेजे गए थे, जहां सैन्य अनुशासन, शारीरिक दक्षता और हथियारों की तकनीकी जानकारी दी जाती है। बताया जा रहा है कि प्रशिक्षण के दौरान अचानक आई एक दुर्घटना में सागर की जान चली गई। यह जानकारी सेना मुख्यालय द्वारा सागर के परिजनों को दी गई, जिसके बाद से पूरे गांव में मातम का माहौल है।
  • परिजनों के अनुसार, सागर देश सेवा के लिए शुरू से ही प्रेरित थे और उन्होंने बड़े ही कठिन परिश्रम से सेना में चयन प्राप्त किया था। उनके पिता सतीश प्रजापति एक सामान्य किसान हैं, जिन्होंने अपने बेटे को फौजी बनाने के लिए दिन-रात मेहनत की थी। सागर की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि सागर शांत स्वभाव और मेहनती प्रवृत्ति का युवा था, जिसे बचपन से ही देशभक्ति की भावना थी।

गांव में पसरा मातम, हर आंख नम

  • जैसे ही सेना की ओर से सागर के शहीद होने की खबर ऊंचा गांव पहुंची, लोग स्तब्ध रह गए। घरवालों का रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं गांव के बुजुर्ग, युवा, महिलाएं—सभी सागर को श्रद्धांजलि देने उनके घर पर एकत्र हो रहे हैं। हर कोई यह कहता दिखाई दे रहा है कि सागर ने बहुत कम उम्र में देश के लिए बलिदान देकर पूरे क्षेत्र का नाम रोशन कर दिया।
  • सागर का पार्थिव शरीर सेना के वाहन से उनके गांव लाया जाएगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। जिला प्रशासन की ओर से भी आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। स्थानीय प्रशासन के अधिकारी और ग्राम प्रधान परिवार के संपर्क में हैं। उम्मीद की जा रही है कि जिले के उच्च अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी अंतिम संस्कार में शामिल होकर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
  • गांव में तिरंगे और श्रद्धांजलि पोस्टरों से माहौल पूरी तरह देशभक्ति में डूब गया है। सागर के दोस्त और हमउम्र युवा फूट-फूट कर रो रहे हैं। सागर के शिक्षक और स्कूल स्टाफ भी उनके बलिदान को सलाम कर रहे हैं। सभी की जुबान पर बस एक ही बात है—”सागर हम सबका गर्व था और रहेगा।”

प्रशासन व सेना की ओर से सम्मान की तैयारी

  • शहीद सागर प्रजापति को सेना की ओर से फुल मिलिट्री ऑनर्स यानी पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी जाएगी। सेना के अधिकारियों ने परिजनों को भरोसा दिलाया है कि शहीद के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जाएगा और परिवार को हर संभव सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। साथ ही, राज्य सरकार की ओर से भी आर्थिक सहायता, परिवार में नौकरी और अन्य योजनाओं का लाभ देने की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की उम्मीद है।
  • मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से भी शोक संदेश भेजा गया है, जिसमें सागर के बलिदान को नमन करते हुए कहा गया है कि “राज्य को अपने वीर सपूत पर गर्व है। सरकार उनके परिवार के साथ हर कदम पर खड़ी है।” जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर प्रशासनिक अमला पूरी तरह सतर्क है और पार्थिव शरीर के गांव पहुंचने से लेकर अंतिम संस्कार तक की सारी तैयारियों में लगा हुआ है।
  • शहीद की स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखने के लिए स्थानीय विद्यालय में उनके नाम से कक्ष या गेट निर्माण की बात भी सामने आ रही है। कई सामाजिक संगठनों ने भी उनके नाम पर समारोह आयोजित करने की इच्छा जताई है।

निष्कर्ष:

  • सागर प्रजापति की शहादत ने न सिर्फ उनके परिवार, गांव और जनपद को गर्व से भर दिया है, बल्कि पूरे देश को यह याद दिलाया है कि मातृभूमि की सेवा में जुटे हमारे सैनिक कैसे हर दिन अपने प्राणों को दांव पर लगाते हैं। ऐसे वीरों की शहादत व्यर्थ नहीं जाती—वे अमर होते हैं, इतिहास में दर्ज होते हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं। सागर भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनका नाम हमेशा सम्मान और गर्व के साथ लिया जाएगा—“शहीद सागर प्रजापति अमर रहें!”

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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