Deputy collector : दोस्तों ने दिलाई बाइक, स्विगी में काम के साथ की तैयारी, डिलीवरी बॉय बन गया डिप्टी कलेक्टर

शादी के 8 साल बाद मुश्किलों को पार करते हुए एक डिलीवरी बॉय डिप्टी कलेक्टर बन गया। झारखंड के एक छोटे से गांव से आने वाले लड़के ने अपने दोस्तों और पत्नी के सपोर्ट के सहारे सफलता की सीढ़ियां चढ़ा। सूरज के पास ना कोई महंगी कोचिंग थी, ना ही कोई अमीर घर-परिवार, ना ही पढ़ाई करने का माहौल… अगर कुछ था तो गरीबी से निकलने की छटपटाहट और खुद को साबित करने का जज्बा शायद इसलिए जब सफलता मिली तो उनके साथ उनकी पत्नी दोनों की आंखों में आंसू थे। परिवार में आर्थिक चुनौतियों के अलावा सूरज यादव के पास दोस्तों की मदद से खरीदी एक सेकेंड हैंड बाइक थी, रोज पांच घंटे डिलीवरी का काम और एक सपना जिसे उन्होंने कभी टूटने नहीं दिया। इन्हीं चीजों के दम पर उन्होंने अपनी सक्सेस स्टोरी लिखी।
झारखंड के एक छोटे से गांव में जन्मे सूरज की जिंदगी में अक्सर ही दो वक्त की रोटी कमाना एक मुश्किल काम था। पिता राजमिस्त्री थे और घर के आर्थिक हालात तंग लेकिन गरीबी के हालात के बीच सूरज यादव का सरकारी नौकरी का सपना मुश्किलों से कहींं बड़ा था।
सूरज पढ़ाई और परीक्षा की तैयारी के लिए रांची आए। खर्चा चलाने के लिए उन्होंने दोस्तों की सलाह और मदद के सहारे एक सेकेंड हैंड बाइक खरीदी। इसके बाद स्विगी फूड डिलीवरी बॉय और बाइक टैक्सी का काम करना शुरू कर दिया।
सुबह से शाम तक सड़कों पर भाग दौड़ करते हुए जो भी कमा पाते उससे सिर्फ किराया और खाने का जुगाड़ हो पाता था। थकी हुए शरीर और आंखों के बावजूद सूरज यादव की रातें किताबों के नाम होती थीं। इस विश्वास के साथ कि मेहनत एक दिन रंग लाएगी, उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी।
दोस्तों ने सूरज को अपनी स्कॉलरशिप का पैसा जोड़कर बाइक तो दिलाई ही साथ ही संघर्ष के समय हौसला बढ़ाने के लिए उनके साथ खड़े रहे। घर की जिम्मेदारी बहन ने संभाली और उनकी पत्नी भी मजबूती से सपोर्ट में खड़ी रही। इस तरह सूरज के दोस्त और पूरा परिवार सफलता हासिल करने में उनकी रीढ़ बन गया।
आखिरकार सूरज यादव की मेहनत रंग लाई और उन्होंने जेपीएससी (झारखंड लोक सेवा आयोग) की परीक्षा 110वीं रैंक के साथ पास कर ली। इंटरव्यू के दौरान जब बोर्ड ने उनसे उनकी डिलीवरी जॉब के बारे में पूछा, तो सूरज ने आत्मविश्वास से जवाब दिया कि कैसे उन्होंने अपने काम से टाइम मैनेजमेंट और लॉजिस्टिक्स की भूमिका सीखी।
उनका जीवन का अनुभव किसी किताबी ज्ञान से कहीं ज्यादा गहरा था। अब वह जल्द ही डिप्टी कलेक्टर बनने की राह पर हैं। बीबीसी के एक इंटरव्यू में बात करते हुए सूरज कहते हैं कि जब उन्होंने शादी के 8 साल बाद फोन पर अपनी पत्नी को सफलता की खुशखबरी दी तो दोनों ही अपने आंसू नहीं रोक पाए और रो पड़े।
सूरज ने अपना अनुभव साझा करते हुए यह भी कहा, ‘मेरे जीवन में सबसे बड़ा और दिलचस्प बदलाव ये आया कि पहले मैं स्विगी बॉय के तौर पर जाना जाता था लेकिन अब डिप्टी कलेक्टर के रूप में जाना जाऊंगा।’
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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