New punishment for possession : यूपी में जमीन कब्जाने की नई सजा ?

यूपी में जमीन कब्जाने की नई सजा – अब सीधे जेल की राह
- उत्तर प्रदेश सरकार ने जमीन कब्जाने वालों के खिलाफ अपनी सख्ती और नीतियों को और मजबूत किया है। अब, एंटी भू-माफिया अभियान के तहत कब्जा करने वालों के लिए सीधी जेल की राह दिखाने के लिए नए सख्त नियम बनाए गए हैं।
यह कदम न केवल जमीन कब्जाने की समस्या को रोकने के लिए बल्कि पूरे प्रदेश में भूमि से जुड़े अपराधों पर नियंत्रण पाने के लिए उठाया गया है।
जमीन कब्जाने का मामला
- उत्तर प्रदेश में भू-माफियाओं द्वारा शासकीय, सार्वजनिक और निजी भूमि पर कब्जा करना एक गंभीर समस्या बन चुकी है। खासकर सरकारी और सार्वजनिक भूमि पर कब्जे की घटनाएं बढ़ रही हैं, जिनका सीधा असर आम जनता और सरकारी योजनाओं पर पड़ता है। भू-माफिया अक्सर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन का नामांतरण कराते हैं और फिर उस पर कब्जा जमा लेते हैं। यही नहीं, चकरोड, तालाब, खलिहान, चारागाह जैसी सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर भी अतिक्रमण बढ़ा है, जिससे राज्य की योजनाओं और विकास कार्यों में रुकावट आती है।
एंटी भू-माफिया पोर्टल और नए नियम
- उत्तर प्रदेश सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए एंटी भू-माफिया पोर्टल की शुरुआत की है। इस पोर्टल पर अब लोग जमीन कब्जाने से संबंधित अपनी शिकायतें सीधे दर्ज कर सकते हैं। खास बात यह है कि अब शिकायतें सीधे एसडीएम को स्थानांतरित हो जाएंगी, जिससे प्रक्रिया में तेज़ी आएगी और भूमि विवादों का निवारण जल्द होगा। पहले शिकायतों का निपटारा लेखपाल और राजस्व निरीक्षकों के स्तर पर होता था, लेकिन कई बार इन शिकायतों का समाधान लंबित रहता था। अब नए नियमों के तहत प्रशासनिक स्तर पर तीन चरणों में कार्रवाई की जाएगी, जिससे जल्द समाधान सुनिश्चित हो सकेगा।
अब तीन चरणों में होगी कार्रवाई
- 1 .पहला चरण (एसडीएम और डीएम स्तर): इस चरण में तहसील स्तर पर एसडीएम और जिला प्रशासन से कार्रवाई शुरू होगी। सभी शिकायतों की शुरुआती जांच होगी और यदि आरोप सही पाए गए, तो प्रशासन तत्काल कार्रवाई करेगा।
2 .दूसरा चरण (पुलिस अधीक्षक और पुलिस आयुक्त स्तर): यदि मामले में पुलिस का हस्तक्षेप आवश्यक होगा, तो संबंधित पुलिस अधीक्षक या पुलिस आयुक्त मामले को देखेंगे। इसमें गिरफ्तारी और कानूनी प्रक्रिया को अंजाम देने की प्रक्रिया होगी।
3 .तीसरा चरण (राजस्व परिषद, प्रमुख सचिव और पुलिस महानिदेशक स्तर): यदि मामला गंभीर हो और इसमें उच्च स्तर की जांच की आवश्यकता हो, तो राजस्व परिषद, प्रमुख सचिव या पुलिस महानिदेशक के स्तर पर भी कार्रवाई की जाएगी।
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