Case filed : नकुड़ में मतदाता पुनरीक्षण दौरान फर्जी हस्ताक्षर पकड़े गए आरोपी पर मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर ?

Case filed : नकुड़ में मतदाता पुनरीक्षण दौरान फर्जी हस्ताक्षर पकड़े गए आरोपी पर मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर

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Case filed : नकुड़ में मतदाता पुनरीक्षण दौरान फर्जी हस्ताक्षर पकड़े गए आरोपी पर मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर ?

सहारनपुर जिले के विधानसभा क्षेत्र—02 नकुड़—में निर्वाचक नामावली के पुनरीक्षण कार्य के दौरान एक गंभीर अनियमितता सामने आई है, जिसने मतदाता सूची में पारदर्शिता से संबंधित प्रश्नों को फिर एक बार चर्चा में ला दिया है। भारत निर्वाचन आयोग की सख्त निगरानी और निर्देशों के बीच यह घटनाक्रम प्रशासन के लिए भी चिंताजनक माना जा रहा है।

औचक निरीक्षण में मामला खुला

दिनांक 30 नवंबर 2025 को उप जिलाधिकारी/उप जिला मजिस्ट्रेट नकुड़ तथा खंड शिक्षा अधिकारी एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी, नकुड़ द्वारा क्षेत्र के बूथ संख्या 91, ग्राम चौराकलां, थाना चिलकाना में पुनरीक्षण कार्य का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान, प्राथमिक विद्यालय के शिक्षा मित्र शमीम अहमद द्वारा भरवाए गए गणना प्रपत्र (फॉर्म-17) का घर-घर सत्यापन कराया गया।

निरीक्षण दल ने इस सत्यापन में प्रत्येक मतदाता से संबंधित विवरण की क्रॉस-चेकिंग की। इसी दौरान एक ऐसी अनियमितता सामने आई जिसने पूरे पुनरीक्षण कार्य पर सवाल खड़े कर दिए।

विदेश में रह रहे व्यक्ति के नाम पर हस्ताक्षर!

ग्राम चौराकलां के मतदाता समून के रिकॉर्ड का सत्यापन करते समय टीम उनके घर पहुँची। वहाँ पर समून स्वयं मौजूद नहीं थे, बल्कि उनके भाई अकरम मिले। पूछताछ में अकरम ने बताया कि समून लगभग तीन वर्षों से सऊदी अरब में नौकरी कर रहे हैं और इस दौरान एक बार भी गाँव नहीं आए हैं।

लेकिन जब निरीक्षण दल ने समून के गणना प्रपत्र को देखा, तो पाया कि उस पर स्वयं समून के हस्ताक्षर दर्ज हैं। यह तथ्य चौंकाने वाला था, क्योंकि यदि समून वर्षों से विदेश में हैं, तो प्रपत्र पर उनके हस्ताक्षर होना असंभव है।

नियमों के अनुसार, गणना प्रपत्र पर मतदाता स्वयं या उसके घर के किसी सदस्य द्वारा किए गए सही हस्ताक्षर होने चाहिए। यह भी जरूरी है कि हस्ताक्षर केवल उसी की ओर से किए जाएँ, जो नियमों के तहत अधिकृत हो।

इस मामले में हस्ताक्षर फर्जी पाए गए। मौके पर मौजूद टीम ने तुरंत इसे गंभीर अनियमितता के रूप में दर्ज किया।

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों का उल्लंघन

भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार, मतदाता सूची पुनरीक्षण के दौरान दिया जाने वाला कोई भी विवरण, हस्ताक्षर या घोषणा पूरी तरह से सही, वास्तविक और सत्यापित होनी चाहिए। प्रपत्र पर गलत या फर्जी हस्ताक्षर करना सीधे-सीधे नियमों का उल्लंघन है।

इस संदर्भ में अकरम पर आरोप है कि उन्होंने विदेश में रह रहे अपने भाई समून के स्थान पर दस्तावेज़ पर फर्जी हस्ताक्षर किए। यह कृत्य निर्वाचन कार्य में मिथ्या घोषणा (false declaration) की श्रेणी में आता है।

अधिकारियों की कार्रवाई: मुकदमा दर्ज कराने की तहरीर

गंभीरता को देखते हुए, खंड शिक्षा अधिकारी एवं सहायक निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी संजय डबराल ने समून के भाई अकरम सहित अन्य निकट संबंधियों के विरुद्ध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 31 के अंतर्गत कार्यवाही कराने हेतु थाना चिलकाना प्रभारी निरीक्षक को लिखित तहरीर सौंप दी है।

धारा-31 के अनुसार—
“निर्वाचक नामावली से संबंधित किसी भी प्रक्रिया में मिथ्या घोषणा करना अथवा गलत सूचना प्रदान करना दंडनीय अपराध है।”

इस धारा के तहत दोषी पाए जाने पर आरोपी को दंडित किया जा सकता है, जो चुनावी प्रक्रिया की शुचिता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रावधान है।

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गणना प्रपत्र (फॉर्म 17) का महत्व

पुनरीक्षण के दौरान गणना प्रपत्र मतदाता की उपस्थिति, पहचान और निवास स्थिति की पुष्टि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्रपत्र मतदाता सूची की सटीकता का आधार बनता है। किसी भी प्रकार का फर्जी हस्ताक्षर, गलत जानकारी, या मिथ्या घोषणा संपूर्ण निर्वाचन प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है।

इसी वजह से निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया को अत्यंत संवेदनशील और कड़े नियमों के तहत संचालित करता है।

प्रशासन का सख्त रुख

निरीक्षण टीम के अनुसार, इस तरह की अनियमितता से मतदाता सूची की विश्वसनीयता प्रभावित होती है, और यदि ऐसे मामलों को अनदेखा कर दिया जाए, तो भविष्य में और भी गंभीर फर्जीवाड़े सामने आ सकते हैं। इस कारण अधिकारियों ने बिना देर किए कार्रवाई की।

यह कदम न केवल दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि पुनरीक्षण कार्य में ईमानदारी से जुटे अधिकारियों और कर्मचारियों का मनोबल भी बढ़ाता है।

मतदाता सूची की पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

यह मामला इस बात का संकेत है कि प्रशासन पुनरीक्षण कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही या फर्जीवाड़ा सहन नहीं करेगा। चुनावी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव हैं। ऐसे में यह कार्रवाई एक बड़ा संदेश देती है कि हर नागरिक, कर्मचारी और संबद्ध व्यक्ति को नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की आवश्यकता

यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में निर्वाचन प्रक्रियाओं को लेकर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता की ओर भी इशारा करती है। कई लोग हस्ताक्षर, विवरण और प्रपत्रों के महत्व को समझे बिना दूसरों की ओर से हस्ताक्षर कर देते हैं, जो गंभीर अपराध बन जाता है।

News Editor- (Jyoti Parjapati)

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